Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

14.7.10

क्या मेरी मौत भी ऐसे ही होगी? (यह आप सब पर भी लागू हो सकता है)


काफी दिनों से ब्लॉग लिखने का अवसर नहीं मिला और आज मिला तो विषय नहीं सूझ रहा था. काफी विचार किया तभी मन में एक बात दौड़ी कि आजकल लोगों की मौतें काफी हो रही है यानी प्राकृतिक आपदाओं, नक्सली हमले और
आंतकवादियों के द्वारा तो कहीं रोड दुर्घटना और प्रेम-प्रसंग के चलते भी मौतें हो रही हैं. सोचा क्यूं न अपनी मौत के बारे में भी सोच लूं. आखिर बुराई क्या है अपने आने वाले कल के बारे में प्लानिंग कर लेता हूं. क्योंकि मैं सोचूं या न सोचूं मरना तो मुझे है ही.

आज कल वैसे तो कई तरीकों से लोगों की जान जा रही है लेकिन हम भारत में रहते हैं इसीलिए कुछ भारतीयों जैसा ही सोचेंगे न. हर किसी की जिंदगी में ऐसे कई पल आते है जब उसे अपनी मौत सामने खड़ी नजर आती है मसलन जैसे गर्लफ्रैंड के घर पर अकेले उसका भाई पकड़ ले, स्कूल में नकल करते समय, चलती बस से कूदते समय, या चलती ट्रेन में चढते समय कई बार ख्याल आता है कि अगर एक पल की देरी हो जाती तो आज का दिन न देख पाते.

मेरी जिंदगी में भी ऐसे कई पल आए जब लगा कि मैं तो गया. पर हर बार शायद भगवान को मेरी जरुरत नहीं थी. एक बार बारिश में ऑटो पलट गई तब का मंजर याद करते हुए सोचता हूं कि कैसे आज यह ब्लॉग लिख रहा हूं, कई बार दिल्ली की भीड़ भरी बस में लटकते समय मन में सिर्फ एक ही बात आती है कि यार अगर हाथ छूटा तो जान निकल जाएगी, और भी ऐसे कई मौके आए जब लगा कि मौत करीब है.

अब जब इन सब से बच गया तो सोच रहा हूं कि मेरी मौत होगी कैसे? काफी विचार-मंथन किया और फिर दिमाग में कई रास्ते आए जिनसे शायद मेरी मौत हो सकती है:

1. आंतकी हमले में हो सकती है मेरी मौत: हो सकता है अगली बार जब दिल्ली में कोई आतंकी हमला हो तो मरने वालों में मेरा नाम भी हो और यह तो सबसे आम होगा.

2. नक्सली मार दें : हो सकता है अगली बार जब मैं गांव जाऊं(अगर कभी जाना हुआ तो) तो बिहार के रास्ते में नक्सली रेल की पटरी उड़ा दें और हादसे में मेरी मौत हो जाए.

3. मिलावट का खाना खाने की वजह से : आजकल बाहर का खाना कुछ ज्यादा ही खा रहे हैं और इंडिया टीवी की भविष्यवाणी या एक्सक्लूसिव समाचार अगर सही हुए तो भी ..…

4. सड़क दुर्घटना में : भागती सड़कें और करोड़ों की गाडियों के बीच अगर कोई मरता है तो उसकी लाश कहां चली जाती है पता भी नहीं चलता और दिल्ली में तो सड़क हादसे होते ही रहते हैं ऐसे में यह भी एक संभावित कारण हो सकता है.

5. प्यार के चक्कर में ऑनर हत्या : हालांकि मैं ऐसा इसलिए सोच रहा हूं क्योंकि आजकल ऑनर किलिंग का दौर चल रहा है और दिल तो बच्चा है जी, कब किस पर आ जाए क्या कहना?

हर आम और मध्यम वर्ग की सोच

खैर यह सब तो था कि मेरी मौत होगी कैसे लेकिन मैं ऐसा सोच क्यूं रहा हूं. यह बात मैं नहीं सभी आम आदमी सोचते हैं. क्यूंकि जिस तरह से आज कल दिन और हालात बदल रहे हैं आम जनता क्या करे. समय आएगा जब हो सकता है दिल्ली में मैट्रो और महंगाई की वजह से काफी मौतें होंगी.

एक आम आदमी तो हर दिन मरता है ऐसे में अगर उसे मौत एक ही दिन जाए तो इससे बेहतर क्या होगा. लोग कहते हैं चार दिन की चांदनी फिर पुरानी रात मगर अब तो आम आदमी के जीवन में चांदनी आती ही नहीं.

महंगाई के इस दौर में हो सकता है दाल-सब्जी खरीदने के लिए भी बैंक से लोन मिले, और फिर कर्ज के बोझ से आम आदमी आत्महत्या करेगा और मैं भी आम जनता में आता हूं तो

लिखते समय हम कुछ भी लिख सकते हैं लेकिन सोचते समय तो हर हद पार करने की ताकत होती है. और यकीन मानिए यह सब सोचते समय मुझे बिलकुल भी घबराहट नहीं हुई क्योंकि मुझे मालूम है कि मैं इतना अच्छा भी नहीं कि भगवान को मेरी जरुरत हो. हा….. हा…. हा

1 comment:

अजित गुप्ता का कोना said...

समीरजी की भाषा में आर्ट ऑफ डाइंग सीख रहे हैं क्‍या? मौत तो कभी भी आ सकती है, इसलिए कुछ उधार मत रखिए। नहीं तो अगले जनम तक चुकाना पड़ेगा। वैसे ब‍हुत सटीक लिखा है आपने, बधाई।