Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

28.9.10

पत्रकारिता में वेश्यावृत्ति की उपजती प्रवृत्ति : सामयिक ज्वलंत मुद्दा

पहले मै अपने बारे में बता दू कि मै एक छात्र हू तथा पढ़ाई करने के साथ पत्रकारिता की ABCD सीख रहा हूँ । मै पिछले ६ महीनों से एक बेहद मजबूत मीडियाहाउस में अपनी पत्रकारिता की ट्रेनिंग कर रहा हूँ । कहने के लिए मै पत्रकारिता की ट्रेनिंग ले रहा हू लेकिन असली वाकया कुछ और ही है जिसके बारे में फिर कभी विस्तार से भड़ास निकालूँगा.। लेकिन अभी मुद्दे पर चलना ज्यादा उचित होगा।

यु तो पत्रकारिता में वेश्यावृत्ति की प्रवृत्ति बहुत पुरानी है देखा जाए तो जो काम आज हम कर रहे है मेहनतयही काम शुरू में वो भी करते थे जो आज बड़े एडिटर बन गए है । बड़े एडिटर बनते ही अपने पुराने दिनों को भूल कर जो लूट खसोट क धंधा इन्होने किया तथा लोगो को डरा धमकाकर जो पैसा इन्होने बनाया आज उसी कि बदौलत यह महान संपादकों में शुमार किये जाने लगे है। एक वक्त होता था जब प्रभु चावला जी पैदल चलकर रिपोर्टिंग करने जाते थे.।।ऐसा मै कम उम्र के होने के नाते सिर्फ दावा नहीं कर रहा हूँ बल्कि उन्ही के एक पुराने सहयोगी रहे एक सज्जन जिन्होंने अपना नाम रामप्रताप सिंह बताया वो कहते है.। बात अभी गोस्वामी जी की ही करते है जो हाल ही में पिटे है दैनिक जागरण के महान संपादक महोदय (बड़े पत्रकार) जो अपने आखिरी समय में भी वही जवानी वाला काम करने से बाज नहीं आये इसी वजह से गार्डो से पिट गए.।।जिंदगी भर लोगो से उगाही करते रहे और अपनी आलीशान कोठी को बहुत ही बेहतरीन बना लिए ।।अपनी शुरुआत साइकिल से रिपोर्टिंग करके की थी.।।।।।बस समय बीतने के साथ धाक जमाते गए.जिंदगी भर समिति के फंड क पैसा खाकर तथा समिति के लिए आबंटित कोठी को अपनी निजी कोठी कि तरह इस्तेमाल करने रहे ।।।दबंगई तो उनकी पुराणी आदत में शुमार था ही.।अंतिम समय में भद्दगी हो गई.।।  यह तो एक दो छोटे उदाहरण मात्र भर है.।।


यहाँ पत्रकारिता की वेश्यावृत्ति के बारे में बताता हू.।यहाँ पत्रकारिता करने के नाम पर आज हर कचहरी में दो-चार कथित पत्रकार भाई आपको मिल ही जायेंगे.।।जो पैसे लेकर खबर छपवाने और बदनाम करने क काम व्यापक पैमाने पर कर रहे है. यकीन न हो तो पास के किसी भी कचहरी में जाकर किसी को एक थप्पर मार दो.पुलिस वाले को समझा दो.। मामला जब खतम होने लगेगा तभी यह कथित पत्रकार लोग आपकी रिपोर्टिंग शुरू कर देंगे.।थोरे पैसे मांगेंगे कि हम न्यूज़ रुकवा देंगे.।।कुछ इस तरह हो रहा है पत्रकारिता को वेश्यावृति के धंधे का रूप देने का घटिया खेल.।

अब हो जाए बात एक दो मीडिया हाउस में चलने वाले इससे भी शर्मनाक खेल का ।यहाँ जिस लड़की ने पत्रकारिता की पढ़ाई भी नहीं की हो जिसे खेल के नाम पर लुखाछिपी खेलने के अलावा कुछ न आता हो उसे खेल वाली बुलेटिन का एंकर बना दिया गया और जो लोग योग्य थे उन्हें दरकिनार कर दिया गया.। ऐसी बाते मेरे सामने आई है । वजह वो लड़की उन कथित मीडिया हाउस के मालिकों के साथ पार्टिया अटेण्ड करती है साथ ही उनकी ही माह्नगी गाडियों में उनके साथ घूमकर उनका शोभा बढाने के साथ लोगो पर रौब झाड़ने की एक वजह बनती है । यह एक अलग तरीके से मीडिया कर्मी होने का फायदा उठाना ही हुआ.।।इसे भी हम उसी श्रेणी में खडे कर सकते है ।।

यहाँ ३ री बात.। पत्रकार होकर किसी के पास एड के नाम पर उगाही कोई नई बात नहीं है.। स्टिंग आपरेशन के नाम पर उगाही का खेल तो पुराना है इसे लगभग पूरी दुनिया जानती है यहाँ पैसे लेकर छोटे छोटे न्यूज़ पेपर में खबर बनाने उसे खारिज करने का काम पुराना है.। यह एक कड़ाई सच्चाई है  लेकिन आप सबके सामने इसलिए बयान कर रहा हू कि यह भी धंधे बाजी वाली ही कारस्तानियो में शुमार होता है.।
हर कोई सिर्फ वही पहुचता है जहा कुछ पैसे मिलने की उम्मीद हो.।कोई किसी गरीब के मामले को नहीं उठाता सिर्फ B4M इसका अपवाद है इस लिंक के जरिये देख सकते है।यहाँ सिर्फ और सिर्फ यशवंत जी जैसे महान आदमी ने मेरा साथ दिया..अपने दम पर चार जमानती भी भर चुके है । कुछ काम अभी भी बाकी है  http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6564-journalist-help.html ।।यहाँ देख चुका हू कि कोई किसी के मदद को सामने नहीं आता खासकर छोटे पत्रकारों के।जिससे कि वो भी उन्ही कामो कि तरफ बढ़ जाते है जो उनके वसूलो के खिलाफ होते है।। जिन्हें वो घृणा दृष्टि से शुरू में देखते थे उन्ही के कदमो का पीछा करना उनकी मजबूरी बन जाती है ।। अभी तक मेरी दिक्कत खतम नहीं हुई है इससे हो सकता है कि आज मै जो बाते लिख रहा हू दूसरों के बारे में वही खुद भी करू.।स्टिंग आपरेशन करके मै भी ४०.०००० रुपये बना सकता हू ।।लेकिन तब क्या होगा? ।।।आओ खुद सोचिये अगर मै सिर्फ एक स्टिंग आपरेशन से ४०.००० कमा कर अपने भाई को छुडा सकता हू तो इस बात की क्या गारंटी है कि मै आगे से वो काम नहीं करूँगा? अगर मै यह काम करता हू तो यह भी पत्रकारिता की दलाली के साथ अपने जमीर की साथ ही खुदकी भी दलाली होगी. । मगर मै ऐसा नहीं करूँगा। मै ताल ठोककर कहता हू, हाँ मै पत्रकारिता सीख रहा हू लेकिन मै कभी पत्रकारिता की दलाली करके अपना घर नहीं भरूँगा।.

आज पत्रकारिता के नाम पर खुद को बुद्धजीवी कहलाने वाला एक नया वर्ग भी तैयार हो गया जो कम्युनिज्म के नाम पर नक्सलियों के साथ खड़े रहने का दंभ भर रहा है एक ऐसे ही सज्जन से मुलाकात हो गई.।।बोले पिछले १२ वर्षों से पत्रकारिता में हू ।।कई जगहों पर नौकरी कर चुका लेकिन आजतक अपनी संपत्ति के नामपर कुछ भी नहीं बना पाया इसकी वजह उन्होंने बताई कि मै ठहरा अपने शर्तों पर जीने वाला इंसान सो किसी से पाटी नहीं गरीबो का शोषण सहन के खिलाफ था साथ ही उन्होंने मीडिया की वेश्यावृत्ति की कुछ परते भी खोली कि मीडिया हाउस में पत्रकारों का शोषण हो रहा है फिर भी कोई आवाज़ नहीं उठाता क्योकि सबको अपने नौकरी जाने का डर सताता रहता है, चुपचाप कड़वे खूंट पीकर काम करना सबको उचित लगता है , सो अब यही सोचा हू । साथ ही उन्होंने बताया कि मै बिहार और पश्चिम बंगाल में अपनी सेवाए डे चूका हू ।।।यार वहां मेरा जमा नहीं.।क्युकी वह नक्शालियो के बीच रहकर कुछ करना संभव ही नहीं था अगर वह रहो तो नक्सलियों के साथ आवाज़ मिलकर उठाओ ।।लेवी में से कुछ कमीशन वगैरह मिलने की भी बात उन्होंने स्वीकार की.।कहते है कि बिहार में आज जो भी लोग बड़े पत्रकार होने का दंभ भरते नहीं थकते उन्होंने हमेशा नक्शालियो के साथ कदल ताल की है.।।वरना जहा नक्शली आम लोगो से धन ऐठ्कर अपना सारा काम काज चला रहे है व्ही इन महान पत्रकारों कि हवेली शान से खड़ी है कभी किसी नक्सली ने आँख उठाकर भी नहीं देखी.।यह भी कड़वा सच उन्होंने स्वीकार किया.।।साथ ही उन्होंने बताया की साथी लोग अक्सर किसी न किसी का स्टिंग आपरेशन करने के नाम पर नक्सलियों के साथ धन की उगाही करते थे.।  

तो यह रहे पत्रकारिता को वेश्यावृत्ति में तब्दील करने कुछ सीधे-साधे तथ्य ।।बाकी भी बहुत सारे कारस्तानिया आई है सामने जो कम्मेंट्स में आगे आते रहेंगे.। 
 
हमारे यहाँ आज पत्रकारिता के नाम पर सिर्फ एक दुसरे की टाँगे खीची जा रही है जो कतई उचित नहीं है । मै यहाँ किसी की भी टांगो की खिचाई करने के लिए अपना लेख नहीं लिख रहा हू.।लेकिन मुझे जो उचित लगा मैंने वही लिखा है । मै न तो कम्युनिस्ट हूँ और न ही कांग्रेसी, भाजपाई भी नहीं हू और न ही समाजवादी.।।मै सिर्फ और सिर्फ भारतीय हू जो हमेशा रहूँगा। इन सब बातो का सबूत भी दे सकता हू।।आप मुझसे फेसबुक पर इन सारी बातो पर अपनी राय भी रह सकते है ,कमेंट्स का विकल्प है है आपके पास.।। http://www.facebook.com/realfighar आगे भी इसी तरह लेख मिलते रहेंगे। --जय हिंद 
श्रवण शुक्ल 
९७१६६८७२८३


3 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

bhayi khne ko to ptrkaritaa ki abcd pdhne ki baat khte ho lekin jo likhaa he voh a to z pdh kr is pr doktret ki upaadhi lene ke bad jo likhaa jata he usi ke baad shayd yeh s kha jaata he jo apne likha he , yhe bilkul ktu sty he kdva sch e . akhtar khan akela kota rajsthan

ABHISHEK MISHRA said...

इस देश को आप जैसे पत्रकारों की सख्त आवश्ताकता है जो इस में सुधार ला कर पत्रकारों को खोई हुई शाख वापस दिला सके

Unknown said...

भाई अभिषेक जी सिर्फ मेरे चाहने या न चाहने से कुछ नहीं होगा. मै तो अपने कदम बढ़ा चूका हू...सबके साथ कि जरुरत होगी..उम्मीद है सभी पत्रकार बंधू इस नेका काम में मेरे साथ कदल ताल करेंगे.

भाई अकेला जी ...ए.बी.सी.डी.अभी पढ़ रहा हू..लेकिन जितना झील चूका हू यहाँ जितने लोगो के मर्म को देखा हू वही बयान किया हू ..

श्रवण शुक्ल