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5.10.10

साधक परिक्रमा-2

अयोध्या-मुद्दे पर ब्लागर-लेखकों की बाढ है। हर आलेख पर ट्टिपणियां भी खूब आ रही हैं। हिन्दू भावना उभार पर है, तो कभी ना कभी प्रतिक्रियावश मुस्लिम भावना भी उभरेगी ही। इस तर्क को कोई नहीं सुनना चाहता, भ्रम में बने रहना चाहते हैं सब-

भ्रम में जीने के लिये, बहुत जरूरी जान।
बाबरी और मन्दिर को, तत्वतः पहचान्।
तत्व सहित पहचान, देख ले अपने भीतर।
मानव है तू, मानव बन समुदाय छोङ कर्।
कह साधक, मंजिल के ये सब बनते जीने।
मंजिल ओझल, मानव उलझा भ्रम में जीने।

1 comment:

आपका अख्तर खान अकेला said...

bhaayi jaan jb fesle ki nql khud hindu or muslman pdhenge or fir sr pitenge tb kya hoga aakhir men fir apil ke baad tyaag ke bhav ke sath smjhota hi to aek rastaa he to fir abhi kyun nhin . akhtar khan akela kota rajsthan