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13.10.10


वन्दे मातरम बंधुयों,

मन्दिर मस्जिद बहुत बनाये,
आओ मिलकर देश बनाये,
बहुत जिए हम जानवर बनकर,
अब तो इन्सां बनके दिखाएँ............

जाति और धर्म पर हमने,
युद्ध लड़े ना जाने कितने,
बहुत बहाया खूँ धरती पर,
अब प्रेम रस की गंगा बरसायें...........

दीवार लगा कर अलग कर दिया,
घर जो अपना साझा था,
अब वो वक्त आ गया है,
बीच कि ये दीवार गिराएँ...........

जोश जरूर रहे दिलों मैं,
जोश नजर आना चाहिए,
जो भी आँख उठाये वतन पर,
उस दुश्मन को मार गिराए...........

झगड़े अपने दुनिया देखि,
चल दुनिया को आज दिखाएँ,
मैं तेरे घर सींवई खाऊं,
तू मेरे घर दीप जलाये...........

आदमी रहे मगर हम,
आदमियत के पास ना गुजरे,
हम और हामी से दूर होकर,
अब तो हम इनसान कहाएँ..........

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