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27.10.10

पहाड़ का सीना चीर, अनवरत बह रही धारा

राजकुमार साहू , जांजगीर छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में पहाड़ों पर कई मंदिरों का निर्माण हुआ है और यहां बरसों से देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। पहाड़ पर विराजित डोंगरगढ़ की मां बम्लेष्वरी हो या फिर कोरबा जिले की मां मड़वारानी। यहां भक्त, विराजित देवियों के साल भर आराधना करते हैं। नवरात्रि के दौरान इन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है, जहां आस्था उमड़ती है। सैकड़ों सीढ़ियां चढ़कर भखे-प्यासे श्रद्धाभाव लेकर भक्त इन धार्मिक आस्था के केन्द्रों तक पहुंचते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसी अनेक मिसालें देखने को मिलती हैं, जहां की प्राकृतिक रमणीयता श्रद्धालुओं तथा दर्षनार्थियों का मन मोह लेती है और वे भक्तिभाव में रम जाते हैं। जांजगीर-चांपा जिले के तुर्रीधाम ऐसा ही एक धार्मिक स्थल है, जहां पहाड़ का सीना चीरकर जल की धारा बरसों से अनवरत बह रही है। यह अद्भुत नजारा देखकर दर्षन के लिए पहुंचने वाले दर्षनार्थी एकबारगी दंग रह जाते हैं कि आखिर पहाड़ के भीतर से किस तरह जल की धारा बह रही है। तुर्रीधाम में हर बरस सात दिनों का मेला लगता है, जहां छत्तीसगढ़ समेत उड़ीसा से भी लोग आते हैं। सावन महीने में तो भक्तों का रेला मंदिर में देखने लायक रहता है। यहां पड़ोसी राज्यों से भी श्रद्धालु दर्षनार्थ पहुंचते हैं।
जिला मुख्यालय जांजगीर से 30 किमी दूर सक्ती क्षेत्र के तुर्रीगांव में भगवान षिव का मंदिर स्थित है। यह नगरी तुर्रीधाम के नाम से विख्यात है। ऋषभतीर्थ से षुरू हुई जलधारा आगे चलकर करवाल नाले में तब्दील हो जाती है, जहां से कलकल करती धारा बहती है। इस नाले की खासियत यह भी है कि मंदिर के समीप हमेषा जल भरा रहता है और पानी की धार अनवरत बहती रहती है। इस धार्मिक नगरी में स्थित भगवान षिव मंदिर के पिछले हिस्से से जल की धारा हर समय बहती है, चाहे गर्मी हो या फिर बरसात। तुर्रीगांव के रहवासियों का तो यहां तक कहना है कि गर्मियों में पहाड़ से निकलने वाली जल की धारा और तेज हो जाती है। वह धारा मंदिर के नीचले हिस्से से होते हुए करवाल नाला में जाकर मिल जाती है, जबकि भगवान षिव का मंदिर पहाड़ से सैकड़ों फीट नीचे बना है। जानकारों का कहना है कि मंदिर में स्थापित लिंग भी नीचे है और नीचे जाने के लिए सीढ़ी का निर्माण किया गया है। इस निर्माण को भूमिज षैली का नाम दिया गया है। तुर्रीधाम में मंदिर का निर्माण जैसा हुआ है और जिस तरह से पहाड़ से जल की धारा बह रही है, कुछ ऐसी ही स्थिति मध्यप्रदेष के चित्रकोट स्थित हनुमान पहाड़ में है, जहां भूमिगत जल बहता है। यहां भी लोग यह नहीं जान पाए हैं कि पहाड़ के उपर कहां से जल की धारा बहना षुरू हुई है। वहां ऐसा जल स्त्रोत बना है, जहां हर मौसम में जल की धारा बह रही है। तुर्रीधाम में ऐसा ही नजारा हर समय देखने को मिलता है।

तुर्रीधाम के ग्रामीण छत्तराम का कहना है कि पहाड़ से जल कहां से बह रहा है, वे नहीं जानते। जल की धारा पहाड़ से होते हुए करवाल नाला में जाकर मिलती है। उनका कहना है कि पहाड़ में अनेक वनौषधि रहती है। इसके चलते ग्रामीण इस जल को कीटनाषक के रूप में छिड़काव करते हैं। एक और महत्वपूर्ण बात है कि पहाड़ से बह रहा जल कभी खराब नहीं होता, यह जल गंगाजल की तरह हमेषा वैसा ही रहता है। इस कारण से लोगों की श्रद्धा बढ़ती जा रही है। इस जल स्त्रोत के संबंध में किवदंति है कि तुर्रीगांव का एक चरवाहा, जानवर चराने गया था। इसी दौरान उसे भगवान षिव के दर्षन हुए। षिवजी ने उसे वर मांगने को कहा तो चरवाहा ने कहा कि मुझे धन-दौलत, सोने-चांदी, हीरे-जेवरात नहीं चाहिए, गांव में हमेषा पानी की किल्लत बनी रहती है। आप कृपया करके इस समस्या से छुटकारा दिलाइए और ऐसा कुछ कीजिए कि बारहों महीने यहां जल उपलब्ध रहे। गांव के बुजुर्गों के अनुसार तब से तुर्रीधाम में चट्टान से पानी अनवरत बह रहा है और गांव में कभी भी पानी की दिक्कतें नहीं हुई है। भीषण गर्मी में भी कोई परेषानी सामने नहीं आती। उस चरवाहे के वंषज अब भी गांव में निवास करते हैं। समय के बदलते चक्र के साथ यहां मंदिरों का निर्माण होता चला गया और यह एक धाम के रूप में स्थापित हो गया।

पुरातत्व के जानकार एवं जिला पुरातत्व समिति के सदस्य प्रो। अष्विनी केषरवानी का कहना है कि तुर्रीधाम, करवाला नाला के तट पर बसा है, जहां श्रद्धालु भगवान षिव के दर्षन के लिए आते हैं। हर वर्ष लगने वाले मेले में लोगों की भीड़ उमड़ती है। अनेक विषेषताओं के कारण तुर्रीधाम के प्रति लोगों की आस्था दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। मंदिर के उपर तट पर स्थित पहाड़ से अनवरत जल की धारा बरसों से बह रही है, जो रमणीय है और षोध का विषय है कि आखिर ऐसा क्यों और किस कारण से हो रहा है। गर्मी के दिनों में धारा और तेज होने को लेकर भी पुरातत्व के जानकारों को कार्य किए जाने की जरूरत बनी हुई है।

1 comment:

Sanjeet Tripathi said...

hamare apne chhattisgarh ki badhiya jankari bhai rajkumar ji, shukriya