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11.10.10

थकी-हारी उत्तराखंड कांग्रेस अब 'निशंक' के खिलाफ खड़े कर रही है प्रयोजित पत्रकार-लेखक
डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' के मिशन 2012 अभियान से बौखलायी कांग्रेस

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कहते हैं कि विकास के शिखर पर पहुंचने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले विकास की परिभाषा को समझना होता है,या विकास के साथ-साथ खुद को जीवंत बनाए रखना होता। तभी व्यक्ति समाज में हो रहे हर परिवर्तन को खुद में भी समाहित कर,दूसरों को उससे जोड़ सकता है। लेकिन किसी व्यक्ति की खुद की बुनियाद ही,रेत के टिले पर खड़ी हो,वह दूसरे को कैसे सहारा दे सकता है। यकीनन इसमें कोई सोचने या चिंतन करने वाली कोई विशेषता ही नहीं रह जाती हैं कि दूसरे को विकसित करने के लिए हमें खुद भी विकसित होना होगा। लेकिन आज ऐसा बहुत कम देखने में आता हैं कि हम किसी दूसरे को विकसित कर उसे सम्मान के पथ पर देख पाएं।
यहीं दिनचर्या इन दिनों उत्तराखंड में देखने को आए दिन मिल रही है। विपक्षि पार्टी कांग्रेस इन दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ.निशंक से इस कधर घबरा गयी हैं कि,वह निशंक को किसी भी तरह घेरने का मौका नहीं चुकना चाहती है। फिर चाहे इससे राज्य में उसकी किरकिरी ही क्यों ना हो जाए,उसे तो किसी भी हाल में निशंक पर किचड़ उछालने का काम करना है। लेकिन यह सब करते हुए कांग्रेस के नेता यह भूल जा रहे हैं कि इस किचड़ के धाग साफ-साफ उसी के खुद के दामन पर दिखायी दे रहे है। जिसको देखते हुए कई बार कांग्रेस आलाकमान भी उत्तराखंड के अपने प्रभारियों को सुझाव भी दे चुकी हैं कि माननीय कुछ भी ऐसी बयानबाजी न करें की आम जनमानस में पार्टी के छवि खराब हो,लेकिन कांग्रेस के नेताओं को डॉ.निशंक की सफलता देखी नहीं जा रही है। इसलिए तो कांग्रेस अब निशंक के खिलाफ प्रायोजित लेखक और पत्राकार खड़े कर रही है।
सोमवार को मैं कांग्रेस के दिल्ली कार्यलय में प्रतिदिन की रिपोर्टिंग हेतु गया था। यहां पहुंचने पर मुझे कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिन भर की ख़बरों के साथ एक पैकेट अलग से दिया और निवेदन के साथ कहां,बंधु इस पुस्तक को जरूर पढ़े और कुछ लिखें भी। निश्चित तौर पर मैने पुस्तक पढ़ी भी,पुस्तक का नाम है,'पराजय का रहस्य' और इसके लेखक खुद को दून रत्न घोषित कर चुके श्री प्रताप सिंह परवाना जी है,इस पुस्तक की सबसे बड़ी बात तो यह हैं कि इसमें टाईटल में लिखा गया हैं कि,'मिशन 212 पर आधारित व्यंग्य काव्य संग्रह'। खुद को दून रत्न और कई पुस्तकों के रचियता मानने वाले प्रताप सिंह जी यह अभी से ही अच्छी तरह जानते हैं कि बीजेपी का मिशन 2012 क्या है? भले ही बीजेपी और डॉ.निशंक अपना मिशन 2012 का घोषणा पत्र तैयार नहीं कर पाएं हो लेकिन माननीय प्रताप जी ने इसकी आलोचना तय कर दी है। इन कवि मोहदय को यह ज्ञात अच्छी तरह से हो गया हैं कि किस तरह से कांग्रेस का प्रवक्ता बन कर यह खुद की इस पुस्तक के माध्यम से बड़ा नाम बनने की कोशिश कर सकते है। शायद इसलिए इन्होंने अपनी बात में लिखा हैं कि,'कविता मेरे लिए मनोरंजन अथवा मनो विनोद का साधन मात्र नहीं है वरन् यह चिंतन का रहस्य है।' मैं यहां इन कवि मोहदय से यह जरूर कहना चाहूंगा की कविता रहस्य तो कतई नहीं हो सकती और ना किसी पर किछड़ उछालकर मनोरंजन का साधन।
आज के समय में बहुत से लेखक-पत्रकार निश्चित तौर कुछ पार्टियों के प्रवक्ता बन कर इनके लिए काम कर रहे है। मुझे तो क्या एक समझदार और प्रखर बुद्धिजीवि कुनवे को भी परवाना जी पुस्तक और इसमें प्रकाशित इनकी असामाजिक रचनाएं निश्चित तौर पर कांग्रेस प्रवक्ता की भूमिका को तो तय करते ही दिखेगी है। ऐसा ना होता तो,आखिर क्यों यह पुस्तक कांग्रेस के लोगों द्वारा बांटी जाती है। जिससे यह तो साफ हो ही रहा हैं कि यह पुस्तक निश्चित तौर पर कांग्रेस के द्वारा प्रायोजित है साथ ही इसकी बोली-भाषा निश्चित तौर पर पहाड़ के जन-मानस को गाली भी देती हैं,जिसकी जितनी भरसना की जाएं वह कम ही है। यही नहीं यह पुस्तक एक बाहरी लेखक के माध्यम से उत्तराखंड की लोक-संस्कृति,यहां विरास्त और परम्पराओं का अपमान भी करती है। मैं जनना चाहता हूं,माननीय दून रत्न प्रताप सिंह परवाना से कि क्या उन्होंने कांग्रेस के राज में हुए,जैनी कांड,लाल बत्ती की बाहर,नौछमी नारेणा के ठुमके और कई बड़े-बड़े घोटालों पर कोई व्यंग्य किया क्या? क्या परवाना जी को यह जानकारी हैं कि खाना और खिलाना जैसी परम्परा तो हमेशा से कांग्रेस की रही है। क्या भूल गए...संसद में लहाराती नोट की गडियों को परवाना जी,उसपे भी तो कुछ पंक्तियां लिखिए। कांग्रेस का झंडा थामने और उसकी पीठ पर सवारी करने वालो को आज तक कुछ नहीं मिला है। मत भूलें की जिन दिनों आप दून में लगभग मृत्यु की सया पर लेट चुके थे। तब इसी बीजेपी सरकार और इसी के मुखिया ने आपको जीवन दान दिया था। आप ने बिल्कुल ठीक लिखा हैं कि 'जीवन के जिस परिवेश में मुझे सुख का आभास हुआ वही मेरी कविता का विषय बन गया।' लगता हैं कांग्रेस के कवि प्रवक्ता बन कर आपको कुछ ज्यादा ही सुख प्राप्त हो गया है। माननीय ईश्वर ने आपको बहुत अच्छी सोच दी हैं, उसका विकास करें पतन नहीं। वरन जीवन के सत्य से हमेशा के लिए हार जाएंगे और संभालने वाला कोई नहीं मिलेगा..परवाना साहब।
चलिए अब हम आपको डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक की विकास यात्रा के कुछ पहलुओं से अवगत कराते हैं। आज विकास में हम देश के 28 राज्यों में तीसरे स्थान पर हैं। केंद्रीय वित्त आयोग ने हमारे प्रयासों को सराहा है और इसलिए एक हजार करोड़ की प्रोत्साहन राशि हमारे राज्य को अनुमोदित की है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय जो राज्य गठन के समय 14 हजार वार्षिक थी,बढ़कर आज लगभग तीन गुना हो गई है। यह देश का पहला राज्य है जिसने केंद्रीय कर्मियों की तरह सबसे पहले अपने राज्य कर्मियों को छठे वेतनमान का लाभ दिया है। दुनिया के अब तक के सबसे बड़े आयोजन कुम्भ का सफल संचालन राज्य की बढ़िया व्यवस्था और कुशल प्रबंधन का ही परिचायक है। यह हमारे सफल नियोजन का ही परिणाम है कि केंद्रीय योजना आयोग ने हमारे बजट प्रस्ताव को पूरा का पूरा मंजूर कर लिया। जो अपने आप में ऐतिहासिक है। हमने पहली बार पहाड़ के लिए भी विशेष आर्थिक नीति बनाते हुए उसे व्यावहारिक धरातल पर उतारना शुरू किया। सुविधाएं व रोजगार के अवसर बढ़ाकर पलायन रोकना हमारी इस सरकार की प्राथमिकता है। उद्योंग बढ़ाने के साथ-साथ औद्योगिक निवेशकों को सामाजिक जिम्मेदारी से भी बांधा है। इस तरह यहां लगने वाले उद्योग अब स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण के साथ-साथ रोजगार भी देंगे। प्रशिक्षण अवधि के दौरान युवाओं को साढ़े पांच हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति भी मिलेगी। पंतनगर स्थित सिडकुल के अंतर्गत पहल के प्रथम चरण का शुभारंभ कर दिया गया है। एन.आई.टी,आई.आई.एम जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थान हम यहां खोलने जा रहे हैं। प्रदेश को पर्यटन,ऊर्जा,आयुर्वेद के साथ-साथ शैक्षिक हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य के विकास के लिए अगले बीस सालों का पूरा खाका ब्लू-प्रिंट,विजन-2020 तैयार किया हैं,और यह सब किया मुख्यमंत्री निशंक ने सिर्फ अपने एक छोटे से कार्यकाल में,जिसको देखकर कांग्रेस बौखला गयी है।
आज प्राकृतिक दैवीय आपदा के चलते उत्तराखंड की जो स्थिति हैं। वह किसी से छुपी नहीं है। इस पर कांग्रेस को राजनैतिक रोटियां सेकने के अलावा और कुछ नहीं सुज रहा है। यहीं नहीं आपदा दौरे पर ही कांग्रेस के नेता खुद ही अपनी पार्टि के नेताओं पर किचड़ उछालने से नहीं चुक रहे है। खुद ही एक के बाद एक बयान मीडिया में कांग्रेस के बड़े से बड़ा नेता दे रहे है। ऐसे में जब राज्य के मुख्यमंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल निंशक पूरे प्रदेश के तूफानी दौरा कर बाढ पीडितों के दरवाजे पर जाकर उनकी पीडा सुन रहे हैं और दिल्ली जाकर बाढ पीडतों की मदद के लिये प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री के यहां दस्तक दे रहे हैं। वहीं कांग्रेज बाढ़ पीडितों के आंसुओं पर राजनिति कर रही। जिसके चलते निश्चित तौर पर उत्तराखंड में आम जनमानस में कांग्रेस के किरकिरी हो रही हैं,जिससे बौखला कर कांगेसी अब निशंक के खिलाफ कभी कुछ तथाकथित पत्रकारों को खड़ा कर रही हैं तो कभी कुछ लेखकों को लेखन के प्रोत्साहित कर रही तो कभी निशंक के खिलाफ रातों-रात पोस्टर छपाकर चसपा देती है। लेकिन कहते हैं कि 'चिराग तो तमाम आंधी तूफानों के बाद भी चमकता रहता है'।
-जगमोहन 'आज़ाद'

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