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15.10.10

भिलाई - पत्रकार बिरादरी पत्रकारों पर हमले पर मौन क्यों

धन्यवाद शिबु भाई ,  ई. टीवी के पत्रकार वैभव शिव पांडेय और सुरेन्द्र ठाकुर जो की जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ के पत्रकार हैं उनके साथ हुई मार पीट,  लूटपाट और कैमरे की तोडफोड की खबर आपने मीडिया क्लब में दी । मैं थोडी देर पहले ही बिलासपुर से आया और आपकी खबर पढकर हतप्रभ रह गया । हालांकी वैभव घर आ गया है लेकिन उसके जख्म हरे भरे हैं । मैं हैरान रह गया कि इतनी बडी घटना घट गई और दुर्ग भिलाई के किसी भी समाचार पत्र को इनकी सूध नही लगी ।   धारा 151  जैसी मामूली खबर तक देने वाले हमारे पत्रकार बंधुओं को इन दोनो युवा न्यूज रिपोर्टरों से इतनी एलर्जी की छोटे से कालम में भी जगह देना इन्हे मंजूर नही था ।
          मैं आहत हूँ इस बात से कि मैं आज इन पत्रकारों की सच्चाई इस मंच पर रख रहा हूँ और केवल इस मंच पर ही नही हर जगह लिखूंगा और तब तक लिखता रहूँगा जब तक इन युवा साथियों को इंसाफ ना दिला दूँ । आखिर हम पत्रकार एकजूटता क्यों नही दिखाते हैं इसके पीछे एक ही कारण है ... कलम का बिका हुआ होना .. दीवाली सिर के ऊपर है विज्ञापन चाहिये तो वो खबर दो जिनसे ये प्रशासन खुश हो सके । कमीशन की चिंता नही है चिंता है ऊपरी रकम की जिनसे घर की दिवाली पर घर रंगीन बनाने के सपने देखे गए हैं । .... देखो खूब  सपने देखो पर ये मत भूलो की चाहे वह इलेक्ट्रानिक मिडिया हो प्रिंट मिडिया पत्रकार हर पत्रकार की एक नजर से देखो, खबरों में प्रतिद्वंदिता कर लो कमीशन का काम भी बखूबी कर लो पर हे महान लौह नगरी भिलाई के नपुंसक पत्रकारों इस घटना के बाद अब तो मर्द बनो । सोचो उस घटना के बारे में जब तुम्हारे प्रिंट मिडिया के साथी को आकाशगंगा में पिटा गया था तब सबसे पहले खबर किसने दिया था । तुम्हारे साथी की गलती होने के बाद भी इलेक्ट्रानिक मिडिया की बदौलत ही विपक्ष को ही माफी मांगनी पडी थी और तुम अपने उन्ही इलेक्ट्रानिक मिडिया के दोस्तों को मदद देने के बजाय अपने अपने स्वार्थ में पडे हो । सोचो उनकी जगह तुम होते तो क्या होता ... या शायद जब ऐसा ही तुम्हारे साथ होगा तो क्या होगा । तुम अस्पताल में पडे रहोगे । ठीक हो गये तो भला, वरना हम तो सोचेंगे चलो एक काम्पीटीटर गया ।
                  अलग अलग धडे में बंटने की आदत छोडो और एक होना सीख जाओ । अगर बंटे रहोगे तो तुम अपना पावर दिखाते फिरोगे और हम अपना दिखाते रहेंगे मगर सोच कर देखो फायदा कौन उठायेगा ।

1 comment:

khabar-express said...

shame, shame & shame. jo bhi ghatna hui, sharmnaak hai. lagatar patrakaron par hamle ho rahe hain, press biradari chup hai. yah ladaai ladne se bhi ghabaraa gaye. badiya hai. apni baari aane ka intjaar karen aise patrakar, jo afsaron aur netaon k chaaran bhaat banne me jyada khush hote hain. par inhe kyaa risk. risk lene se pahle hi dubak kar bhaag jaate hain. ya fir afsaron k pair pakad lete hain.