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24.10.10

आखिर क्यों घबरा रहे हैं पक्ष-विपक्ष के कुछ चेहरे मुख्यमंत्री डॉ.'निशंक' की सफलताओं से
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दुनिया ने देखा कि उत्तराखंड में हुई प्रलयकारी वर्षा ने किस तरह तबाही मचाई। जिसके चलते हजारों लोग बेघर हो गये हैं। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 167 से अधिक जनहानि हुई है। राज्य में प्राकृतिक आपदा के कहर,अतिवृष्टि तथा बादल फटने व भू-स्खलन एवं बाढ़ से जनजीवन बुरी तरह अस्त व्यस्त रहा। विगत 44 वर्षों के बाद ऐसी दैवीय विभिषिका से राज्य को अपार जनमाल की क्षति हुई है। चारधाम यात्रा मार्ग बुरी तरह से प्रभावित हुआ। कई हजार कि.मी. मोटर मार्ग क्षतिग्रस्त होने के साथ कई पैदल मार्ग,पुल,विद्यालयों,सैकड़ों पेयजल लाइनें,सिंचाई नहरों,चैक डैम,विद्युत लाइनों,पावर हाउस एवं अन्य सार्वजनिक सम्पत्तियों के साथ ही सैकड़ों निजी घरों को अपार क्षति पहुंची। और करोडों रूपये की खड़ी फसल, कच्चे पक्के मकान और मवेशीखाना नष्ट हो गये। ऐसे में इस नवोदित राज्य को सबसे ज्यादा ऐसे लोगों की आवश्यकता थी। जो इस प्रलयकारी घड़ी में उसके साथ खड़े होकर,उसे संघर्ष करने की क्षमता प्रदान कर सके। जो यहां के जनमानस को इस दैवीय आपदा के कुरूर परिवेश से बहार निकालकर उजाले में लाकर खड़ा कर सके। जो उस जनमानस के आंसूओं को पोंछ सकें,जिसने अभी-अभी अपना हंसता-खेलता बचपन खोया है। जिसने खुद की जीवन लीला को खंडित होते हुए अपनी आंखों से ही देखा हैं,और ऐसे में एक व्यक्ति था। जो खुद के प्रयासों और दूसरों को अपने साथ चलने के लिए प्रेरित करते हुए। उत्तराखंड के उस जनमानस के साथ खड़ा था। जिसने अभी-अभी ही एक भंयकर तुफान की आगोश में अपना सब कुछ खोया था। इन सब के बीच एक चेहरा था जो हमेशा इन्हें सांत्वना देने और इनके दुःखों को दूर करने को रात-दिन खड़ा था। वह चेहरा था उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' का जिसने खुद को परिभाषित करते हुए उस कालखंड के मुंह से उन तमाम लोगों को बहार निकालने का हर संभव प्रयास किया जो इस दैवीय आपदा की आगोश में खो गए थे।
जब लोग इस प्रलयकारी तबाही में खुद के जीवन को खो चुके लोगों की लाशों पर भी राजनैतिक रोटियां सेक रहे थे। ख़ास तौर पर खुद के विश्व की सर्वश्रेष्ठ पार्टी को चोला बताने वाली कांग्रेस,उस वक्त डॉ.निशंक अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ उत्तराखंड की आपदा प्रभावित क्षेत्र की जनता के साथ रात-दिन खड़े थे। ऐसे में पक्ष और विपक्ष के कुछ चेहरों पर एक डर अवश्य पैदा हो चुका था कि अब क्या होगा। हम क्या करें,यह ज़मीन से जुड़ा हुआ व्यक्ति तो रात-दिन पहाड़ के जन-मानस के साथ खड़ा है। कैसे इसे बदनाम किया जाया। सौ इन्होंने तरह-तरह हथकंडे हजामें शुरू किए। किसी ने कहां प्रदेश सरकार आपदा ग्रस्त लोगों को मदद नहीं दे रही है। तो कुछ बीजेपी के बड़े चेहरे निशंक की सफलताओं से घबरा कर,पार्टी आलाकमान के पास शिकायत लेकर गए कि निशंक ने ऐसा नहीं किया वैसा नहीं किया और न कर रहे है?
लेकिन कहते हैं कि जो व्यक्ति विकास की मिसाल लिए सबसे आगे खड़ा होता है। उस पर पत्थर तो हर कोई मारता हैं,उसकी हाथों की मिसाल को बुझाने की कोशिश भी हर कोई करता हैं। लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं। जो उस व्यक्ति के हाथों की मिसाल को आगे लेकर जाएं। उसे प्रोत्साहित करें। लेकिन आपदा के समय में निशंक के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। जब उन्होंने तमाम पार्टी के लोगों से अपील की कि आप हमारे साथ आएं। प्रदेश की जनता को इस समय हमारी मदद की आवश्यकता है। लेकिन जब उनकी अपील किसी ने नहीं सुनी,तब वह अकेले ही अपने मिशन पर निकल पड़े और आज उसका परिणाम हमारे सामने हैं। यह डॉ.निशंक का ही भागीरथी प्रयास हैं कि जिस दैवीय आपदा से कल तक उत्तराखंड का अधिकतर हिस्सा तबाह था। आज वह फिर से विकास के फुल खिल रहे है। लोगों की जिंदगी फिर से अपने रास्ते से गुज़रने लगी हैं,और डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक को लोग रैस्क्यूमैन के नाम से जानने लगे है। दूसरी तरफ विपक्ष और पक्ष के वह चेहरे निशंक की सफलता को देखते हुए,खुद के बाल नोच रहे है।
यह तो प्राकृतिक आपदा से उत्तराखंड को निकालने का एक सुफल प्रयास था। लेकिन दुनिया ने देखा हैं कि आज उत्तराखंड विकास में देश के 28 राज्यों में तीसरे स्थान पर हैं। केंद्रीय वित्त आयोग ने भी निशंक के प्रयासों को सराहा है और इसलिए एक हजार करोड़ की प्रोत्साहन राशि भी राज्य को अनुमोदित की है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय जो राज्य गठन के समय 14 हजार वार्षिक थी,बढ़कर आज लगभग तीन गुना हो गई है। यह देश का पहला राज्य है जिसने केंद्रीय कर्मियों की तरह सबसे पहले अपने राज्य कर्मियों को छठे वेतनमान का लाभ दिया है। दुनिया के अब तक के सबसे बड़े आयोजन कुम्भ का सफल संचालन राज्य की बढ़िया व्यवस्था और कुशल प्रबंधन डॉ.निशंक के ही प्रायसों का परिणाम है। यह भी पक्ष और विपक्ष को कभी नहीं भुलना चाहिए की डॉ.निशंक के सफल नियोजन का ही परिणाम है कि केंद्रीय योजना आयोग ने उत्तराखंड के बजट प्रस्ताव को पूरा का पूरा मंजूर किया था। जो अपने आप में ऐतिहासिक भी है। मुख्यमंत्री निशंक का ही प्रयास था कि पहली बार पहाड़ के लिए भी विशेष आर्थिक नीति बनाते हुए उसे व्यावहारिक धरातल पर उतारना शुरू हुआ। यह कौन नहीं जानता की डॉ.निशंक ने सुविधाएं व रोजगार के अवसर बढ़ाकर पलायन रोकने का जो सुफल प्रयास किया और उद्योंग बढ़ाने के साथ-साथ औद्योगिक निवेशकों को सामाजिक जिम्मेदारी से बांधा। इस तरह उत्तराखंड में लगने वाले उद्योग में स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण के साथ-साथ रोजगार देने की सार्थक पहल भी की। इसके साथ ही प्रशिक्षण अवधि के दौरान युवाओं को साढ़े पांच हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति,पंतनगर स्थित सिडकुल के अंतर्गत पहल के प्रथम चरण का शुभारंभ । एन.आई.टी,आई.आई.एम जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थान उत्तराखंड में खोलने का निर्णय और प्रदेश को पर्यटन,ऊर्जा,आयुर्वेद के साथ-साथ शैक्षिक हब के रूप में विकसित करने का भागीरथी प्रयास साथ ही राज्य के विकास के लिए अगले बीस सालों का पूरा खाका ब्लू-प्रिंट,विजन-2020 तैयार करने डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक की एक आर्दश सोच का ही परिणाम है। जिसकी सफलता को देखते हुए विपक्ष और पक्ष के कुछ चेहरों के तो होश-फाफता हो गए है।
लेकिन निशंक यहीं नहीं रुके है ना ही थके है। वह तमाम विरोधों और रुकावटों के बावजूद अपने मिशन पर निरंतर संघर्षरत है। उन्हें प्रदेश के आखिरी छोर और अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना है। वह विकास की परिभाषा को उत्तराखंड के जन-मानस के चेहरे पर देखना चाहते है। जिसके लिए उन्होंने युवा सोच से लेकर बुढ़ी नम आंखों के लिए भी सपने बुने हैं,जिन्हें वह अपने हाथों से इन्हें सौपने के लिए निरंतर आगे बढ़ रहे है। फिर चाहे वह रोजगार के अवसर हों या फिर ग्रामीण क्षेत्र के संर्वागीण समुचित विकास का दायरा। डॉ.निशंक विकास के धरातल पर काम करके दिखाना चाहते है। वह उन लोगों को दिखाना चाहते हैं,जो लोग हर रोज उन्हें आरोपो के दायरे में रख कर चिखते-चिल्लाते हैं,कि निशंक की यात्रा यहीं तक है...कि मेरी यात्रा तो प्रदेश के आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति की सोच तक हैं। मैं उसकी विकास यात्रा में शामिल होकर,उसके लिए एक फलित ज़मीन तैयार करना चाहता हूं,जिसमें उसका आने वाला कल भी हंसता खेलता दिखे और तब लोग कहें की,ये सब हम ने किया है। जिसे देखकर,जिसके बारे में सुन का विपक्ष और पक्ष के कुछ प्रभावित चेहरों पर पसीना छुट जाता हैं और वह बाल नोचने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। क्योंकि डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने उत्तराखंड की देवभूमि पर विकास की जो नींव आज रख दि हैं,उससे अब कोई नहीं हिला सकता न डिगा सकता है।
- जगमोहन 'आज़ाद'

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