Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

27.10.10

में हूँ दूर कितना/अपने चाँद से

में हूँ दूर कितना /अपने चाँद से....................
यूँ ही टहलते अचानक ,
नज़र पड़ी आसमान पर ,
देख चाँद को मन मुस्काया ,
और देखा इक सितारा,
चमकता हुआ,
जो उस चाँद के पास था बहुत,
कहा दिल ने मेरे,
चाँद की नजदीकी के अहसास से,
कितना तेज हे ,
इस सितारे में,
तब...............
सितारा 'वो' बोला चुपके से मेरेकान में ,
ना...............
मत सोच तू ऐसा ,
जो दिखता हूँ तुझे पास इतना ,
मुझसे पूछ ,
की हकीकत में हूँ मे दूर कितना ,
में हूँ दूर कितना /अपने चाँद से।
अपने चाँद से ...............
संगीता मोदी "शमा"


6 comments:

Shalini kaushik said...

yad dila gayee"chand ke pas jo sitara hai wo sitara haseen lagta hai"kavita achhi lagi.sangeeta jee best of luck.

sangeeta modi shamaa said...

thanx shalini ji

vandana gupta said...

वो गाना याद आ गया…………चाँद के पास जो सितारा है वो ह्सीन लगता है………………बहुत सुन्दर ।

निर्मला कपिला said...

अच्छी लगी कविता। धन्यवाद।

Manoj Gupta 'Mannu' said...

वाह-२ , क्या बेबकूफ़ बनाया(?) , फेस बुक पे हिंगलिश , लेकिन खोज़ है लिया ना ??
वाकई खूब सूरत रचना है , बधाई कबूल करे , आयेज भी ऐसी रचनाएँ मिलेगी इसी उम्मीद के साथ........

Manoj Gupta 'Mannu' said...

वाह-२ , क्या बेबकूफ़ बनाया(?) , फेस बुक पे हिंगलिश , लेकिन खोज़ है लिया ना ??
वाकई खूब सूरत रचना है , बधाई कबूल करे , आयेज भी ऐसी रचनाएँ मिलेगी इसी उम्मीद के साथ........