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16.12.10

आज जिसे देखो वही नेता....

लोग कहते हैं,आंकड़े कहते हैं,अख़बार कहते हैं,संचार तंत्र कहते हैं कि महंगाई बढ़ रही है,जनसँख्या बढ़ रही है,चोरियां बढ़ रही है सर्दी बढ़ रही है पर कोई यह क्यों नहीं कहता की नेतागर्दी बढ़ रही है क्यों क्या आपने नोट नहीं किया पर मैंने तो किया.आज सुबह अख़बार देखा कहीं किसी स्थानीय नेता की खबर थी तो कहीं किसी नेता की यहाँ तक की चुटकुले में भी नेता जी ही छाये थे .आप भी ध्यान दें-
"एक दोस्त दूसरे से-यार मेरा पडोसी मेरा पीछा नहीं छोड़ता क्या करूँ?
दोस्त-यार उसे इलेक्शन  लडवा कर जितवा दे देख पांच साल तक अपना मुहं नहीं दिखायेगा."
नेताओं के विषय में बातें बढ़ गयी हैं क्योंकि नेताओं की जमात बढ़ गयी है.महात्मा गाँधी,सरदार वल्लभ भाई पटेल ,जवाहर लाल नेहरु ,गोविन्द वल्लभ पन्त जैसे नेताओं वाला ये देश आज जिन नेताओं के दर्शन कर रहा है उनके लिए तो ये देश आँखें भी नहीं खोलना चाहेगा.आप खुद गौर करें तो आप की गली मोहल्ले में लगभग हर तीसरा व्यक्ति नेता मिल जायेगा और कुछ ही महीनो की बात है स्थानीय इलेक्शन आ रहे हैं तब हर व्यक्ति ही नेता बन जायेगा.चुनाव लड़कर नगर पालिका में सदस्य बनना अब हर व्यक्ति की महत्वाकांक्षा में जुड़ता जा रहा है भले ही उसे नगर के लिए कुछ काम करना आता हो या नहीं यही स्थिति बड़े स्तर के इलेक्शन की है. पैसे ,दम के बल पर चुनाव में टिकट हासिल करते हैं और जनता के लालच और ज़रूरतों के बूते चुनाव जीत जाते हैं भले ही काम कैसे किया जाता है इसकी उन्हें कोई जानकारी हो या न हो.चापलूसी एक ऐसा अस्त्र है जिसे अपना कर ये नेता जनता को अपने वश में कर रहे हैं और ये नहीं कह सकते कि जनता भोली भाली है क्योंकि जनता भी ये देख कर कि इनकी किस किस से जान  पहचान   है और हम इसका फायदा कैसे उठा सकते हैं इन्हें जिता रही है .नेतृत्व क्षमता इन नेताओं में कहीं नहीं है और ये किसी सही काम को अंजाम भी नहीं दे सकते क्योंकि सही तौर पर ये नेता हैं ही नहीं किन्तु चूँकि नेता बनने के लिए किसी डिग्री की ज़रुरत नहीं है केवल मख्खान्बाज़ी आने की ज़रुरत है तो जिसे देखो वो नेता बनने चल दिया है शायद इसीलिए किसी शायर ने भी सलाह देते हुए कहा है-
औलाद को धंदे में लगा क्यों नहीं देते,
बुक हाथ में चंदे की थमा क्यों नहीं देते,
लुच्चा है लफंगा है अगर आपका लड़का
लीडर उसे बस्ती का बना क्यों नहीं देते.

4 comments:

Shikha Kaushik said...

your are very right .i am fully agree with you .

vandana gupta said...

आज का सच है ये।

Dr Om Prakash Pandey said...

aapaki bhasha sundar aur sashakta hai tatha hriday bhawanaaon se bhara hua hai . aapke baare mein aur janane kee apeksha hai .

अजित गुप्ता का कोना said...

जनता उसे गधे को नेता बनाती हैं जिस पर अपना बोझ लाद सके। हम सब वोट उस व्‍यक्ति को देते हैं जो हमारा परिचित हो और हमारा काम करा सके वो भी नाजायज। जब हम नेता के चक्‍कर लगाकर उसे महान बना देते हैं तब वह भी स्‍वयं को महान समझने लगता है। दूसरी तरफ कोई व्‍यक्ति सामाजिक कार्य कर रहा होगा तब भी उसे नेताजी ही कहा जाएगा।