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1.1.11

नए साल पर दो कविताएं

सभी पाठकों और ब्‍लागरों को नया  साल मुबारक हो


दार्जलिंग की पहा‍डियों से कंचनजंघा की चोटियों पर सुर्योदय का नजारा

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मेरे जीवन का 
एक वर्ष और
बीत गया....,
धूमिल छवि 
जिसकी
है मेरे पास
थोडी खुशियां, थोडे गम
कहीं जीत, कहीं हार
यही तो है
जिनके साए  में
कट जाती है
जिंदगी
एक स्‍वच्‍छंद आकाश
और है मेरे पास
जिसमें लिखना है
मुझे अपना कल
अपना  आने  वाला कल
उस कल को
खुशगवार बनाएगी
तुम्‍हारी,
सिर्फ तुम्‍हारी 
 दुआएं 

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नए वर्ष की
पहली सुबह
तुम्‍हारी जिंदगी में
खुशी का  पैगाम
ले  के आए
जो हुआ, सो हुआ
अब यही तमन्‍ना
आंसू तेरी आंखों में
न छलक पाए।
संग चलें हम तुम
इस नीले गगन के तले
आओ यही कसम लें,
हम जीवन पथ पर चलें।
हो एक दूसरे के
दिलों पर राज
चलो कर  लें हम तुम
यह प्रण आज
तुम्‍हे मेरी
गर जरूरत पडे
मुडकर  पीछे आवाज देना
मैं सदा तुम्‍हारे साथ हूं।

4 comments:

vandana gupta said...

आपको तथा आपके पूरे परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Asha Lata Saxena said...

नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो |
आशा

पी.एस .भाकुनी said...

सुन्दर अभिव्यक्ति।
आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।

Atul Shrivastava said...

आप सबको नए साल की शुभकामनाएं। नया साल आपके और आपके परिवार में खुशहाली लाए।