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26.1.11

चाहता हूँ प्‍यार से पाँव वो पखार दूँ

कौन दिलासा देगा नन्‍हीं बेटी नन्‍हें बेटे को,
भोले बालक देख रहे हैं मौन चिता पर लेटे को
क्‍या देखें और क्‍या न देखें बालक खोए खोए से,
उठते नहीं जगाने से ये पापा सोए सोए से
चला गया बगिया का माली नन्‍हें पौधे छोड़कर...
...चाहता हूँ आज उनको प्‍यार का उपहार दूँ,
जी उठो तुम और मैं आरती उतार लूँ
 
कर गयी पैदा तुझे उस कोख का एहसान है,
सैनिकों के रक्‍त से आबाद हिन्‍दुस्‍तान है
धन्‍य है मइया तुम्‍हारी भेंट में बलिदान में,
झुक गया है देश उसके दूध के सम्‍मान में
दे दिया है लाल जिसने पुत्रमोह छोड़कर...
...चाहता हूँ प्‍यार से पाँव वो पखार दूँ,
 
लाडले का शव उठा बूढ़ा चला शमशान को,
चार क्‍या सौ-सौ लगेंगे चाँद उसकी शान को
देश पर बेटा निछावर शव समर्पित आग को,
हम नमन करते हैं उनके देश से अनुराग को
स्‍वर्ग में पहले गया बेटा पिता को छोड़कर...
...इस पिता के पाँव छू आशीष लूँ और प्‍यार लूँ,
जी उठो तुम और मैं आरती उतार लूँ
 
by PSR 

7 comments:

Atul Shrivastava said...

गणतंत्र दिवस की आपको और पूरे देशवासियों को शुभकामनाएं। वीर शहीदों को सलाम जिनके बलिदान के बाद हमको आजादी मिली और इसके बाद गण पर्व मनाने का अवसर आया। बेहतरीन और भावपूर्ण रचना।

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (27/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com

गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

Unknown said...

thanx atul ji

Alokita Gupta said...

bahut hi bhawpurn prastuti

udaya veer singh said...

mitra

jai hind ,

rachna apke desh -prem ko darsati hai . shahidon ke prati sache samman ka pratinidhitwa karti hai . accha laga .
abhar .

इस्मत ज़ैदी said...

बेहतरीन कविता !
पूरी कविता इतनी सुंदर है कि दो चार पंक्तियां चुनना मुश्किल था ,बहुत भावपूर्ण कविता है जो पाठक को भावुक करने में सक्षम है
बधाई और शुभ्कामनाएं

Unknown said...

aap sabkaa aabhaar..