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26.1.11

गणतंत्र दिवस,ईमानदारी पर बेईमानी की जीत का जश्न-ब्रज की दुनिया

आज २६ जनवरी,२०११ है.जागते ही अख़बार पर नजर डाली.अख़बार के मुख्य पृष्ठ पर खबरें कुछ इस तरह थीं-लाल चौक सील,नासिक में ए.डी.एम. को जिंदा जलाया,भ्रष्टाचार विकास का दुश्मन-राष्ट्रपति,मंजूरी बिना चल रहे कई कोर्स,राजेश तलवार पर कातिलाना हमला.क्या यही है बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर?क्या ऐसे ही भारत के सपने भगत,अशफाक और बिस्मिल की आँखों में थे जब वे फांसी के फंदे को चूम रहे थे?निश्चित रूप से नहीं.इन शहीदों ने सपने में भी नहीं सोंचा होगा कि जिस वतन की आजादी के लिए वे अपने प्राण न्योछावर करने जा रहे हैं उसका भविष्य ऐसी अँधेरी सुरंग है जिसका कोई अंत नहीं.
                                   आपने कभी सोंचा है कि हमारे देश में क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है?जिस राष्ट्रपति के पद को कभी त्याग की साक्षात् प्रतिमूर्ति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने सुशोभित किया था आज उसी कुर्सी पर कई हजार करोड़ रूपये के घोटालों में संदिग्ध महिला शोभायमान है.क्या इसी को विकास कहते हैं?कल तेल माफियाओं ने महान तिलक की पुण्यभूमि महाराष्ट्र में एक ईमानदार ए.डी.एम. को दिनदहाड़े जिन्दा जला दिया.क्या केंद्र सरकार और सोनिया गांधी बताएगी कि यह जीवित-दहन किस प्रकार ग्राहम स्टेंस की हत्या से अलग है या अलग नहीं है?यह सिर्फ एक ईमानदार व्यक्ति की हत्या नहीं है बल्कि यह बेईमानी के हाथों ईमानदारी की हत्या है.यह सतबल पर पशुबल की जीत है और आज गणतंत्र दिवस समारोह को मैं इसी जीत के जश्न के रूप में देखता हूँ क्योंकि यह घटना इस महादिवस की पूर्व संध्या पर घटी है.
                         आज अम्बानियों और टाटाओं की बढती संपत्ति के बल पर  दुनिया के सबसे तेजी से विकास कर रहे चंद देशों में से एक बन चुके महान भारत की महान राष्ट्रपति भ्रष्ट नेताओं की तालिओं की गडगडाहट के बीच दलाली देकर ख़रीदे गए हथियारों के प्रदर्शन के बीच विजय चौक पर राष्ट्रवाद का प्रतीक तिरंगा फहराएगी.हाँ,वही झंडा जिसके लिए ११ अगस्त,१९४२ को पटना के सचिवालय चौराहे पर एक-एक करके सात युवकों ने हँसते-हँसते प्राणों की आहुति दे दी थी.
                                                      आज हमारा गणतंत्र अराजकता की अँधेरी गुफा में भटक रहा है.लोगों का न्यायपालिका सहित पूरी व्यवस्था पर से विश्वास उठता जा रहा है.कल फ़िर अदालत परिसर में एक आरोपी पर जानलेवा हमला हुआ.पुलिस के अनुसार हमला करनेवाले की मानसिक स्थिति पूरी तरह ठीक है और बी.एच.यू. का गोल्ड मेडलिस्ट यह युवक उत्सव शर्मा आरोपितों को सजा नहीं मिल पाने की बढती प्रवृत्ति से व्यथित था,इसलिए उसने उन्हें खुद सजा देने का प्रयास किया.क्या बदलते समय के इस पदचाप को हमारे नेता और जनता सुन रहे हैं?मुझे तो इस युवक में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त का अक्स नजर आ रहा है जिन्होंने कभी बधिरों को आजादी का जयघोष सुनाने के लिए नेशनल असेम्बली में बम फेंका था.
                        कितनी बड़ी बिडम्बना है यह,कितना बड़ा विरोधाभास है कि आज एक तरफ जब पूरे देश में उत्सवपूर्वक तिरंगा फहराया जा रहा है,श्रीनगर के लालचौक पर लोगों को झंडा फहराने से रोका जा रहा है.गोरे अंग्रेज चले गए और कहीं उनसे भी ज्यादा निष्ठापूर्वक उनके कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं काले अंग्रेज.जब श्रीनगर भारत का अभिन्न हिस्सा है तो वहां समारोहपूर्वक तिरंगा क्यों नहीं फहराया जा सकता?क्योंकि कुछ कट्टरपंथी मुसलमान इसे पसंद नहीं करते और इससे वोटबैंक पर असर पड़ता है?मतलब कि तिरंगा भी वोटों की गन्दी राजनीति का शिकार हो गया.मैं मानता हूँ कि भाजपा का मकसद भी पूरी तरह से पवित्र नहीं है लेकिन इससे सरकार को किसी को तिरंगा फहराने से रोकने का अधिकार नहीं मिल जाता.तिरंगा हमारी आन,बान,शान और जान है.इसे फहराने से रोकने की सोंचना भी देशद्रोह है.
                               आज के ही अख़बार में पद्म सम्मान पानेवालों की सूची भी प्रकाशित की गई है.इनमें से ज्यादातर जरूर ऐसे हैं जिन्हें सम्मानित किया ही जाना चाहिए लेकिन कई ऐसे भी हैं जिन्होंने देश के लिए कुछ नहीं किया सिवाय एक परिवार विशेष के प्रति वफ़ादारी प्रदर्शित करने के.यही प्रवृत्ति बनी रही तो एक दिन वह भी आएगा जब यशवंत सोनावने के हत्यारों को भी पद्म सम्मान मिल जाएगा.
                  दोस्तों आज अगर गणतंत्र गन तंत्र में बदल रहा है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है?निश्चित रूप से हम,हम भारत के लोग जिन्होंने २६ नवम्बर,१९४९ को भारत के संविधान को पूरी निष्ठा से आत्मार्पित किया था.चीनी में एक कहावत है कि हमारे उत्थान या पतन से देश का उत्थान या पतन होता है.देश का नैतिक पतन वास्तव में हमारे समाज,हमारे परिवार और हमारे स्वयं का नैतिक पतन है,नैतिक स्खलन है क्योंकि देशरूपी शरीर की हमीं कोशिका हैं और आप तो जानते हैं कि कोशिका में विकृति आने से ही कैंसर जन्म लेता है.जय हिंद!!!

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