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7.2.11

कविता: पिंजरे की चिड़िया थी

कविता: पिंजरे की चिड़िया थी


पिंजरे की चिड़िया थी सोने के पिंजरे में
वन कि चिड़िया थी वन में
एकदिन हुआ दोनों का सामना
क्या था विधाता के मन में.............

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