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7.2.11

वसंत आया हे

वसंत आया हे.....................
मंद-मंद बह रही पवन ,
कह गई चुपके से मेरे कानों में,
सुन सखी वसंत आया हे .
वन-उपवन में कही आम बौराया हे,
महसूस कर ये महक ,
कही महुआ महका हे ,
कोयल की मधुर तान को सुन तू
और भवरों की गुनगुन भी सुन,
उड़ा जा रहा तेरा आँचल संभाल जरा
सखी कि सुन वसंत आया हे
झूम-झूम सरसों के खेत यूँ
लग रहे हे जेसे कि किसी अल्हड ने
ली अंगड़ाई हे ,
पलाश के फूलो पर भी
मादकता छाई हे ऐसे
वन में लगी हो आग जेसे
कि सखी फिर वसंत आया हे
बहक रहा मन
कि महकने लगा हे अंग-अंग
सुनकर कोयल कि धुन
और भंवरे कि गुनगुन,
ह्रदय में कोई टीस सी उभरी हे
नैनों कि कोर भी भर आई हे
ए पवन तू भी सुन कि पूछती हे ये "शमा"
क्यों आया हे ये वसंत?
क्यों आया हे ये वसंत?
संगीता मोदी "शमा"

1 comment:

Dr Om Prakash Pandey said...

bahut mohak , bahut rochak , bahut sundar !