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12.2.11

....."प्रधानमंत्री जी"

...... "प्रधानमंत्री जी" मै सचमुच बेहद हैरान हूँ .... आखिर कोई इस तरह आप की उपेक्षा कैसे कर सकता है ... आप देश की कार्यपालिका के मुखिया हैं ... देश की संवैधानिक शक्तियों के अनुपालन का वैधानिक सोता भी आप की गंगोत्री से ही फूटता है ... फिर ऐसे में आप को हर बार दरकिनार कैसे किया जा सकता है... और आखिर ये लोग कौन है जो ऐसा करने पर लगातार आमादा है... क्या आप इन्हें पहचान नहीं पा रहे है या पहचान कर भी मजबूर है ... यह आप की कोई राजनैतिक विवशता है या व्यक्तिगत निष्ट का मसला ... सवालो की तो एक लम्बी फेहरिस्त है मगर जवाब ही नहीं मिल रहे हैं ... पहले आप के ही एक मंत्री राजा पर आप के आदेशों की नाफरमानी का आरोप लगा , फिर मुख्या सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति में आपको अँधेरे में रखने की बात सामने आयी... देश में आयोजित commenwelth गेम्स में पूरी दबंगई के साथ हुए अरबो के भ्रष्टाचार की खबर पूरी दुनिया में सुर्खियाँ बन आप को मुह चिढाती रहीं ... आखिर आप का ही तो चेहरा इस दुनिया की सबसे बड़ी दूसरी आबादी का प्रतिनिधि है ... आखिर हद तो तब हो गयी जब सीधे तौर पर आप कि अध्यक्षता वाले अंतरिक्ष आयोग से भ्रष्टाचार कि सड़ांध बहार निकली और वह भी इस देश के सबसे बड़े संभावित घोटाले के रूप में ... हर बार हमें सरकार के नहीं बल्कि एक पार्टी के प्रवक्ता के द्वारा बताया जाता रहा कि जो भी हुआ है वह सरकार को, मतलब आप को, अँधेरे में रख कर किया गया है ... प्रधानमंत्री जी ऐसा तो तभी हो सकता है जब या तो सरकार पर नौकरशाही हावी हो या फिर सरकार के मुखिया के तौर पर कोई छद्म चेहरा महज दिखावे के लिए जनता जनार्दन के सामने रखा गया हो ... अजेय नौकरशाही को वश में रखने का आपकी पार्टी का पुराना दावा है... " सरकार चलाना आता है ".... फिर ऐसे में न चाह कर भी इस दुसरे विकल्प कि ओर निगाहे अनायास ही ताकने लगती है , प्रधानमंत्री जी आप दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र के महानायक है... इस लिहाज से आप इस देश के सर्वाधिक ताकतवर व्यक्ति है ... शायद देश कि जनता यह स्वीकार न कर पाये कि निर्णयन और नियमन के इस सोपान क्रम में इस देश के संविधान के आलावा भी कोई है जो आप के ऊपर है .... जनता को प्रधानमंत्री कि दरकार है नाकि सुपर प्रायीमिनिस्टर की...
Posted by Aap ki Baat aap Ke Saath at 7:47 PM

1 comment:

पद्म सिंह said...

मौनम स्वीकारस्य लक्षणम ... प्रधानमंत्री जी की खामोशी यही कहती है कि दुर्भाग्य से यह सच है भाई