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10.2.11

ज़िन्दगी जिन्दादिली क नाम है







एम अफसर खान सागर

एक विकलांग की जिंदादिली
आज समाज में लोग ठीक होने के बावजूद काम करने से कतरा रहे हैं और भीक या दान पर ज़िन्दगी गुजार रहे हैं मगर ये कहानी जो की हकीकत है एक ऐसे विकलांग की जो त्रिच्य्क्ले से गाँव में घूम कर जूता -चप्पल सिल के और परिवार का पेट पाल रहा है ।





2 comments:

Shalini kaushik said...

prerna dayak post unke liye jo poorn roop se sahi saksham hote hue bhi loot mar karte hain.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

प्रेरक प्रस्तुति....