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8.2.11

सबसे अनुरोध “मुझे” अपने बीच रहने दीजिये


मै (प्रेम/प्यार) आप सभी आदरणीय जनों के साथ साथ धरती पर मौजूद हर एक प्राणी,जीव,जंतु,पशु,पछि इत्यादि सभी को सादर प्रणाम करता हूँ, ईश्वर की असीम अनुकम्पा और आप श्रेस्ठ जानो के सहयोग से मुझे आप सब के बीच रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, हाँ हाँ मुझे ये अच्छी तरह पता है कि आप सब में से कई लोग तो मुझे जानते तक नहीं सो उन लोगों को तो ये बताना जरुरी ही है की आखिर मै हूँ कौन जो अचानक ही आज आप सब के बीच आकर आप सब से आग्रह करने लगा! और बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो मुझे जानते तो हैं लेकिन सही तरीके से वाकिफ ना होने की वजह से मुझसे हमेशा सौ कोशों की दुरी बनाते हुए ३६ का आंकड़ा रखते है! और कुछ लोग ऐसे भी है जो मुझसे अपर स्नेह रखते हुए अति विश्वास भी करते हैं इस लिए यहाँ सबसे पहले तो मै उनलोगों का आभारी हूँ जो मुझसे परचित है और हमेशा अपने इर्द गिर्द यानि अपने बीच मुझे लगभग २४ घंटा रहने का मौका देते है,मुझसे सभी अनजान प्राणी आप चाहे तो उनसे भी मेरे बारे में पूछ सकते है! खैर चलिए आप क्यों उन लोगों को कस्ट देंगे मै खुद ही अपना परिचय संछिप्त रूप में आप सभी को दे देता हूँ!

जैसा की मेरा नाम है प्रेम/प्यार,अब चुकि मै दो शब्दों से इस संसार में प्रचलित हूँ इस लिए दोनों आपको बताना पड़ रहा है लेकिन यहाँ इस मामले पर आपको ज्यादा सोचने और समझने कि जरुरत नहीं क्योंकि मेरे दोनों शब्दों का भावार्थ एक ही है,हाँ तो मै आपको अपने बारे में बता रहा था……..जहाँ तक मुझे अपने बारे में जानकारी है मै कब और कहाँ पैदा हुआ ये तो मुझे बिलकुल भी पता नहीं! प्राथमिक शिछा से लेकर अपने अब तक के शिछा को मैंने एक ही स्कुल से प्राप्त किया और मेरा सुरु से विषय भी एक ही रहा है और वो ये है इस धरती पर जीवन यापन करने वाले हर प्राणी, जिव,जंतु को आपस में जोड़ना ,हर हाल में सबके अन्दर एक दुसरे के प्रति सेवा का भाव पैदा करना,हर हाल में सबको खुश करना,और हर हाल में सबको एक सुखद एह्शाश की प्राप्ति कराना ! अब चुकि मुझे मेरे गुरु जी द्वारा सिर्फ और सिर्फ यही पढाया गया तो मै अपने गुरु जी के बताये मार्गों पर चलये हुए ये कार्य करता हूँ! आप सभी के बीच मेरे अनेको रूप है और मुझे मेरे अनेको रूपों से जाना भी जाता है लेकिन हकीकत में मेरा अपने हर रूप में सिर्फ और र्सिर्फ़ एक ही काम है-किसी भी हाल में इस धरती पर उपलब्ध अनेको प्रकार के प्राणियों को केवल सुखद एह्शाश कराना और खुश करना! आगे बढ़ने से पहले आपको बता दूँ कि यहाँ धरती पर मेरा एक प्रबल दुश्मन भी है जिसका नाम है “नफरत”! और हम दोनों में सबसे बड़ी खाशियत यह है कि जहाँ मै रहता हूँ वहां से कोसों दूर भी मेरा प्रबल दुश्मन (नफरत) भटकता नजर नहीं आता,और जहाँ ये रहता है वहां मेरे लिए कोई जगह ही नहीं बचती! अब इसका कारण ये है की भाई मेरे और मेरे दुश्मन के कार्यों में जमीन और आसमान का अंतर है मै अगर पूरब हूँ तो वो पश्चिम है अब आप समझ ही सकते है की जब इतनी बड़ी विषमता हम दोनों में है तो एक साथ हम एक जगह पर कैसे रहा सकते है,एक तरफ मेरे द्वारा जहाँ हर हाल में किसी भी कीमत पर किसी भी प्राणी,जिव,जंतु के इस धरती पर पैदा होने से लेकर उसके मृत शैया पर जाने तक सिर्फ और सिर्फ उन्हें आपस में जोड़ने से लेकर सुख,शांति,ख़ुशी बाँटने का कार्य किया जाता है वहीँ दूसरी तरफ मेरे प्रबल दुश्मन (नफरत) के द्वारा इनके बीच के लगाव को तोड़ने,सुख,शांति और ख़ुशी में केवल और केवल बिघ्न डालने का कार्य ही किया जाता है!

अब मै तो अपने तरफ से भरपूर कोशिश करता हूँ की हमेशा आप सभी के बीच रहूँ और मेरे द्वारा आप सभी का हमेशा हर संभव सेवा होता रहे लेकिन कही कही आप सभी के ही सहयोग से मेरे दुश्मन(नफ़रत) को अपने बीच हाबी कर लिया जाता है और थोडा सा आपका सह पाते ही वो अपना पांव तेजी से आप सबके बीच फ़ैलाने लगता है और फिर जैसे ही उसका बर्चस्व आप लोगों के बीच होता है तो ना चाहते हुए भी मजबूरन मुझे वहां से दूर हटना पड़ता है! और इसके बाद अपने दुश्मन का प्रभाव आप लोगों पर आपकी दशा देख कर मुझे बहुत दुःख होता है लेकिन मै कर भी क्या सकता हूँ मुझे आपके बीच रहने के लिए आपका सहयोग चाहिए होता है मै अपनी तरफ से लाख कोशिश कर लूँ आप के बिच नहीं रह सकता जब तक आप लोगों का सहयोग मेरे साथ नहीं रहेगा!

इस लिए मै (प्रेम/प्यार) इस धरती पर मौजूद हर एक प्राणी,जीव,जंतु,पशु,पछि से अपने विनम्र स्वभाव के साथ एक बार नहीं बल्कि हजार बार हाथ जोड़ कर निवेदन करता हूँ की प्लीज़ आप सभी लोग मुझे अपने बीच से दूर करने की कोशिश मत करिए,मै आप सभी को विस्वास दिलाता हूँ की अगर आप सभी १ प्रतिशत भी मुझे अपने बीच रखेंगे तो मै १०० प्रतिशत आपकी सेवा करने के साथ साथ अपने प्रबल दुश्मन (नफ़रत) जो सिर्फ और सिर्फ सबका नुकशान ही करना जानता है को कभी भी आप सब के बीच आकर नुकशान नहीं करने दूंगा जिससे आप सभी के जीवन में हमेशा और हमेशा खुशियों की भरमार रहेगी और आप सब ख़ुशी से भरपूर जिन्दगी जी पाएंगे! धन्यवाद…….

!!एक बार फिर मेरा (प्रेम/प्यार) आप सब को नमस्कार!!

3 comments:

अजित गुप्ता का कोना said...

बहुत ही रोचकता के साथ प्रेम की बात कह दी। अच्‍छा आलेख।

डॉ० डंडा लखनवी said...

सराहनीय आलेख।
प्रभावकारी लेखन के लिए बधाई।
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कृपया पर्यावरण संबंधी इस दोहे का रसास्वादन कीजिए।
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गाँव-गाँव घर-घ्रर मिलें, दो ही प्रमुख हकीम।
आँगन मिस तुलसी मिलें, बाहर मिस्टर नीम॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

Alokita Gupta said...

bahut khub varnan prem ka