Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

15.2.11

आजाद देश के तुम आजाद हो हम थे गुलाम हम हैं गुलाम

नौकरशाह और नेता मंत्री, सारे हैं आजाद
राष्ट्र इन्ही के इर्द-गिर्द है,  इन्होने  कर दिया  बर्बाद ।

ये चाहे जितना करें घोटाला,
फिर भी है इनका बोलबाला।
इनके आगे कोर्ट कचहरी सब गये हैं हार
हम जनता की कौन सुनेगा,  सदियों  की गुहार ?

कानून ढिंढोरा जितना पिटे
इनके फैंसले लगते बेमानी,
एक-एक कर बरी हो जाते
कहीं न कहीं हो रही मनमानी।

इन सबसे आगे भी सोचो,
हो कैसे जनता का उद्धार ।
जिनकी समस्याएँ हैं वहीं पड़ी,
सन् 47  से  वहीं  खड़ी
वह रही.....दे’ा निहार ।।

आज भी देश में,  भूखे पेट हैं  और तन नंगे।
पीने का नहीं पानी-तालाब और नाले ही हैं
उनकी हर-हर गंगे ।।

जहाँ बत्ती नहीं, पर है बाती जरूर
सड़क नहीं, पर है पगडंडी मगरूर
आज तक जो आया, सिर्फ दे गया पैगाम !
तुम आजाद हो!!! आजाद देश को करो सलाम

भूखे पेट कब तक भरेंगें, सुन- सुन कर इनके कलाम।
आजाद देश के तुम आजाद हो
हम थे गुलाम हम हैं गुलाम ।।

सवा अरब की आबादी में, सवा लाख का शासन है।
माल-मलाई ये खा गये, हमे दिया सिर्फ भाषण है।।

हमारे नाम पर कर्जे ले कर, भरें हैं सबने-अपने घर
जो थे वो भर चले गये,   जो हैं सो भर रहे निडर

कल क्या होगा इस देश का ?
इनके माथे पर शिकन तक नहीं,
जैसा होगा कल गुजारेगें- ‘वो’
जरा भी इनको  फिकर तक नहीं।।

हम तो सदियों से थे  एैसे ही,
और आज भी हैं  हम वैसे ही।

अब हम न आएँगे तुम्हारे झाँसो में,
चाहे जितने सुनाओ, तुम अपने कलाम !
आजाद देश के तुम आजाद हो
हम थे गुलाम  हम हैं गुलाम ।।

देesh भक्त दोस्तों,
पहले अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कम्पनी भारत में व्यापार के
बहाने आयी थी और हमारी पांच पुस्तों को गुलाम बनाकर
रखा। आज फिर व्यापार के नाम पर एक लाख से ज्यादा विदेशी
कम्पनियां भारत में आकर खुल के व्यापार कर रही हैं। उस वक्त
भी मीर जाफरों, गद्दारों ने अंग्रेजों का साथ दिया था
और आज भी वह जनता को गुमराह कर अंग्रेजों का खुलकर
साथ दे रहें हैं। अगर समय रहते इन विदेशी कम्पनियों को
इस देश से नही भगाया गया तो अबके आपकी गुलामी के
200-300 साल नहीं बल्कि 5-6 हजार साल होंगे। इन मीर
जाफरों का क्या जाऐगा ? इन्होने तो 64 वर्षों में घोटाले
कर-कर के 400 लाख करोड़ से ज्यादा का अकूत धन स्विस
व अन्य विदेshi  बैंको में जमा करा रखा है! आप और आपका
देश भाड़ में जाऐ!  इनके ठेंगे से ? ये तब भी ओहदेदार या
रायबहादुर ही होंगे! 
दोस्तों जो गलतियां पहले हमारे पुरखे कर गये थे, 
अब उन्ही गलतियों को पुनः न दोहराने दें! इनके सामानों
को खरीदना बंद करें, इनके सामानों और संस्थानों की होली जलाऐं
और स्वदेशी सामानों को ही अपनाएँ।  ये कम्पनियां अपने आप ही
भाग जाऐंगी। इतिहास में जो कलंक हमारे माथे पर चिपका हुआ है
उसे मिटा दीजिए।
                    इम्तहान का यह आखिरी मौका है।

1 comment:

Dr Om Prakash Pandey said...

sirf yahee kafee naheen hai .