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6.2.11

मप्र का प्रयाग है 'पचनदा'

'देश में जहां कहीं भी नदियों के संगम हैं, वहां तीर्थ बन गए हैं। इलाहाबाद का संगम तो हिन्दू आस्थाओं का केंद्र ही है। नदियों का ऐसा ही अदभुत संगम मप्र के भिंड जिले में हैं। इसे 'पचनदा' के नाम से जाना जाता है।मध्यप्रदेश के भिंड और उप्र के इटावा की सीमा पर प्रकृति में 'क्वांरी', पहूज, यमुना, चंबल एवं सिंध का 'अदभुत संगम' तैयार किया है। चूंकि इस स्थान पर ५ नदियां आपस में गले मिलती है, इसलिए उसे लोकभाषा में 'पचनदा' कहा जाने लगा।देश के बीचों बीच मप्र के भिंड जिले से बहने वाली पहूज नदी के अलावा पहूज की उपनदी सिंध इटावा के पास यमुना से मिलती है जहां पहले से चंबल नदी यमुना के गले मिल चुकी है। मप्र के मुरैना और भिंड जिले से गुजरने वाली कुंवारी नदी भी इटावा में यमुना में समा जाती है। कुंवारी नदी को भी सिंध की उपनदी माना जाता है।मालवा में जन्मी सिंध नदी जिसे काली सिंध भी कहा जाता है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से होती हुई इटावा के पास यमुना की गोद में विलीन हो जाती है। चंबल खुद अपनी दो उपनदियों पहूज और क्वांरी के साथ यमुना में अपना अस्तित्व विलीन कर देती है।इन पांच बडी नदियों के संगम स्थल पर प्रकृति ने इतना खूबसूरत और विहंगम दृश्य उत्पन्न किया है कि उसे देखते ही बनता है। वर्षा में 'पचनदा' अगर रौद्र रूप में दिखाई देता है तो गर्मियों में बेहद शांत। 'पचनदा' को दूसरा त्रिवेणी संगम माना जाता है। जो लोग इलाहाबाद नहीं जा पाते वे इस संगम को ही प्रयाग मानकर पूज लेते है।पांच नदियों का यह अदभुत, अकल्पनीय संगम गंगा, यमुना और गोदावरी के संगम त्रिवेणी की तरह चर्चित नहीं बन पाया? एक तथ्य यह भी है कि प्रदूषण का शिकार यमुना में पचनदा पर समाहित होने वाली नदियों में चंबल सबसे 'यादा पाक साफ नदी मानी जाती है।पचनदा जाने के लिए मुरैना जिले में राजघाट से चंबल नदी में वोट के जरिए जा सकता है। राजघाट से पचनदा की दूरी करीब १.. किमी दूर है। दूसरा रास्ता भिंड जिले से सडक मार्ग का है। यहां जीप से बरही तक पहुंचकर पचनदा के दर्शन किए जा सकते है।पचनदा में बाबा साहब का एक पुराना मंदिर है। यहां प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर एक विशाल धार्मिक मेला लगता है। पचनदा अंचल से लगी पुरानी जगम्मनपुर जागीर का कन्नखेर देवी मंदिर भी दर्शनीय है।- राकेश अचल

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