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15.2.11

मैं इस ब्लॉग पर कुछ कवितायें लिखने पढ़ने के इरादे से आया था । वैसा कर भी रहा हूँ । परन्तु , मैं देख रहा हूँ कि यहाँ कुछ लोग राष्ट्रप्रेम से अभिभूत हैं और कुछ करना चाहते हैं । वैसे मित्रों के सामने मैं उन विचारों को रक्खूँगा और कुछ कार्यक्रम पेश करूंगा जिससे देशहित एवं विश्वहित हो ।
(1) भारत की राष्ट्रीय संस्कृति की रक्षा वैदिक दर्शन एवं संस्कृत भाषा की रक्षा के विना संभव नहीं ।
(२) भारतीय संस्कृति विविधता में एकता का सन्देश देती है । वैदिक दर्शन हमारी प्राकृतिक विविधता को स्वीकार करता है पर हमारी मौलिक एकता को बनाये रखता है । वैदिक एकता का मूल सूत्र है ॐ । बौध धर्म के मन्त्रों में भी ॐ की स्थिति यथावत बनी रही ।
(३) कार्यक्रम का पहला चरण यह है कि हम ॐ रूपी अक्षर ब्रह्म को पहचानें , इसे अपनी एकता का आधार मानें , घर में इसे रक्खें , ॐ से प्रारंभ होने वाला अपने इष्ट देवता का मंत्र अथवा सिर्फ ॐ का ही कम से कम तीन बार जाप अवश्य करें एवं राष्ट्र तथा विश्वहित के लिए परमात्मा से प्रार्थना करें । शूरुआत ऐसे ही हो । ॐ ।

2 comments:

Shalini kaushik said...

om! me hi samahit hai jeevan v mrityu .bahut sundar post .
pandey ji ,mere ek jankar ko pichhle 7-8 varsh se ''sorises' [shayad yahi sahi spelling hai ]ki bimaree hai .bahut ilaj ke bad bhi sahi nahi ho rahi hai .aap is par ek aalekh jaroor prastut karen ya mere mail id ''shalinibadshahkaushik2@hotmail .com 'par upyogi jankari post karen .

Dr Om Prakash Pandey said...

dhanyawaad!