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27.3.11

चित्कार

व्याकुल जनता चित्कार करे
अपने रहनुमाओं से डरे
जालिमों शर्म करो घोटालों और बदकारों से
महंगाई और बेरोजगारी ये है सीना तान खड़े
पक्ष विपक्ष करते मस्ती जनता हुई है त्रस्त और पस्त
भूख गरीबी और बीमारी के दानव की मार अजब
टाम आदमी घुट-घुट मरता अपनी देख के लाचारी
फिर भी इनकी फिक्र नहीं कि देष हुआ बेहाल
आंकड़ो की खेल दिखा करते ये वाह वाह
तरक्की और खुशहाली हकीकतन सिर्फ आंकड़ों में दर्ज है
प्रत्येक भारतीय पर पैंतीस हजार कर्ज है।

डॉ राजीव मिश्र मानव

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