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13.6.11

भद - भद - भद

अजीब दुनिया का वक्तव्य
                                               

* एक बिंदु पर सरकार की बड़ी भद पिट रही है की वह रामदेव  से मिलने हवाई अड्डे क्यों गयी ? इस पर हम अपनी बुद्धि से उत्तर दे  रहे हैं | कि, अव्वल तो  यह कि मंत्री जन रामदेव का स्वागत [उन्हें रिसीव] करने  नहीं गए थे , न किया  | इसे बार -बार स्पष्ट किया गया है ,तब भी आश्चर्य है कि यह कांग्रेस के महासचिव को ही नहीं पच रहा है,और किसी को क्या कहें | रणनीति यह थी कि बाबा से बातचीत करके उन्हें वहीँ से वापस कर दिया जाय ,लेकिन बात नहीं बनी |
      दूसरे  "साम -दाम -दंड- नीति" से काम लेना तो राजनीति का धर्म  है | तमाम मूढ़ जनता के ही सही , अगुवा छद्म संत- योगी रामदेव को महत्व देकर , उनको आदर देकर सरकार ने कुछ भी गलत नहीं किया ,कोई पाप नहीं किया | अब इस से बाबा का दिमाग खराब हो गया ,उनका अहंकार बढ़ गया तो क्या किया जाय |लेकिन वह उनकी हठधर्मिता के आगे झुकी तो नहीं , और उसके आगे का उसका व्यवहार प्रशंसा योग्य है | जो लोग ४ जून के प्रति बहुत भावुक हैं और उसकी हास्यास्पद तुलना इमरजेंसी व जलियाँवाला बाग से कर रहे हैं , उन्हें पता होना चाहिए कि इससे कहीं  ज्यादा दुर्घटना  सामान्य से सरकारी  यूनियनों के आंदोलनों में हो जाया करती  है |
   फिर ,आखिर एक पागल आदमी से और कितने लोकतांत्रिक ढंग से निपटा जा सकता है ?  अन्ना के साथ तो ऐसा नहीं हुआ | अब , अलबत्ता अन्ना भी बाबा की भाषा बोलने लगे हैं | उन्हें अपनी गाँधी वादी प्रकृति  पर आ जाना चाहिए , और अजरी  - खजरी  वालों के झाँसे में नहीं आना चाहिए | उन्हें समझना चाहिए कि केवल वही पाँच देश के सभ्य नागरिक नहीं हैं ,और जो बाहर के लोग हैं वे उनसे उन मुद्दों पर सहमत नहीं हैं जिन पर उनको उकसाने वाले लोग जिद कर रहे हैं | जिस तरह वे तर्क देते हैं कि सरकार को सभ्य जनता की बात सुननी चाहिए, उसी तर्क पर उनके लिए भी यह वाजिब है कि वह अन्य सभ्य नागरिकों की भी बात सुनें , जिनके प्रतिनिधि होने का दावा वे कर रहे हैं ,वरना वे भी बाबा की तरह ही छद्म और अप्रासंगिक हो जायेंगे और अंततः बाबा की तरह ही अपनी भी भद पिटायेंगे |

           लेकिन एक बात हमारी समझ में नहीं आई | वह सरकार की भी है और अन्ना जी की भी |  अन्ना सफाई देते हैं की वह भाजपाई नहीं हैं  | न हों, लेकिन वह हो क्यों नहीं सकते ? वह कोई भी 'आई' हों इस से क्या फर्क पड़ता है ? यदि उनकी माँग सही है तो सरकार को उस पर ध्यान देना चाहिए |  सरकार भी वही गलती कर रही है बाबा या अन्ना को हिन्दूवादी संगठनों से पोषित उनका मुखौटा बताकर | उनको कहाँ से साथ -समर्थन मिल रहा है , इससे क्या ? वे संगठन देश के बाहर के तो नहीं हैं ,न देशद्रोही  ही  करार दिए गए हैं |
     यह अच्छी राजनीति नहीं है | जिस तरह उन्होंने बाबा का सब कुछ जानते हुए एअर पोर्ट पर उनसे मिलना तय किया था , उसी प्रकार अन्ना से  उनकी किसी के साथ संलग्नता जानते हुए भी उनके साथ सुयोग्य व्यवहार करना चाहिए  | वरना वह भी जनता के बीच अपनी  भद पिटाएगी |


        * बाबा रामदेव के भक्तों  -सेवकों  -संगियों  को अभी  बाबा का विशेष  ख्याल   रखना  होगा  | बाबा बहुत कमज़ोर  जीव  हैं और इस समय   हताशा   के अत्यंत  शिकार  | कहीं डिप्रेशन  के चलते  वह  आत्म हत्या न कर लें !   

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