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13.6.11

योग गुरु के नौ दिन

* गलत आदमियों
 और संगठनों के सही से सही  लगने वाले कर्यक्रमों में भाग न लें   |

* बाबा रामदेव पर दिमाग , अक्षर और शब्द बरबाद करना बेकार ही है , मेरे लिए तो वे हमेशा निरर्थक रहे , पर ज़रूरी है कि उनके बहाने हम कुछ राजनीतिक प्रशिक्षण लें | यथा -
१ -उन्हें सरकार द्वारा सचमुच कोई महत्त्व दिए जाने से इन्कार किया जाना चाहिए था क्योंकि वे एक संविधान विरोधी क्रिया कलाप में संलग्न थे | नीति के अनुसार सरकार का कर्तव्य है जनता में वैज्ञानिक सोच का विकास करे और समाज की संस्थाओं को भी उसमे सहयोग करना चाहिए | लेकिन रामदेव शुरू से अवैज्ञानिक आस्था जनता में फैलाते रहे | कायदे से तो सरकार को ऐसे लोगों को चिन्हित करके उन पर नज़र रखना , उन्हें हतोत्साहित करना और ज़रुरत पड़ने पर इन पर मुक़दमा चलाकर इन्हें जेल भेजना चाहिए | इसी खामी का खामियाजा अब सरकार को भुगतना पड़ रहा है | और देश को यह विडम्बना सहनी पड़ रही है कि जो देशद्रोही है वह देश भक्ति का नाटक कर सक रहा है |#

       २ - ख्याल आता है कि कहीं यदि अंग्रेजी डाक्टर उनका इलाज़ करने से इन्कार कर देते तो ? कारण यह कि वह अपने योग शिविरों में इन डाक्टरों की छुट्टी ही किये दे रहे थे | सारा काम उनका योग करता | तो अब क्यों आये हो बाबा इस अस्पताल में ?अपने योग से अपना इलाज करो , हम तो नहीं चढ़ाते तुम्हे ग्लूकोज़ | इस बार तो कर दिया , भविष्य में इन्हें एलोपैथिक चिकित्सा प्रदान नहीं की जानी चाहिए | हंसी की बात है , यदि मुसम्मी का यही जूस दो दिन पहले अपने भव्य आश्रम में ही पी लिए होते तो अस्पताल क्यों आना पड़ता ? आखिर उन्हें अनशन करना तो था नहीं ! केवल उन्हें अपनी अहमियत जतानी थी , सो टी वी पर बने रहे |##


  • हमारे घरों की साधारण अ -योगिनी , केवल घर के काम करने वाली औरतें पूरी नवरात्रि व्रत रह जाती हैं | योग गुरु के  नौ  दिन उन पर भारी पड़ गए  | इस पर उनके भक्तों  को ही उन पर धोखा धड़ी  ,जालसाजी का मुकदमा करना चाहिए |###
  • फिर ,गुरु तो गुरु ,यह बालकृष्ण क्या नारद  मुनि बना हुआ है और मीडिया में प्रतिष्ठा पा रहा है ? अन्ना हजारे तो अपना वक्तव्य स्वयं देते हैं , जबकि उनके पृष्ठ सहयोगी किसी से भी ज्यादा काबिल हैं ? ####
  • किसी भी एमबीए, सी ए ,के क्षात्र को रश्क हो सकता है कि क्या वह कभी उतनी कम्पनियों का डाइरेक्टर हो सकता है जितने के बाल कृष्ण है ? संभव नहीं बच्चू , तुमने जो अंग्रेजी में मैनेजमेंट  पढ़ी  है | बालकृष्ण प्रबंधन महाविद्यालय में प्रवेश हेतु धन का प्रबंध करो | ####          

4 comments:

Rajendra Kumar Singh said...

जियो मेरे शेर, क्या पौस्टिक विचार है, आपके जैसे लोगो की ही तो इस देश को जरुरत है. कहा थे अब तक? देश को कब तक पुनः गुलाम बनाने का ठेका लिया है? तुम्हारे जैसे लोगो की वजह से ही यह देश कभी मुस्लिम आक्रमणकारियों या फिर अंग्रेजो का गुलाम रहा. लगे रहो तुम्हे जल्द ही सफलता मिलेगी.

तेजवानी गिरधर said...

स्वामी उग्रनाथ जी महाराज, मैं आपकी टिप्पणी के मूल तत्व से तो सहमत हूं, मगर आपकी भाषा कुछ ठीक नहीं लगी, बहरहाल आपकी टिप्पणी पर आर के सिंह जी ने जो प्रतिक्रिया दी है, ऐसे देशभक्त महाशयों की वजह से ही यह देश आज अपने वजूद में है, अप जैसे लोग तो देशद्रोही ही कहलाएंगे

Ugra Nagrik said...

Shukriya , R.K.Singh ji aur bhai Teesri Aankh |

वनमानुष said...

तीसरी आँख जी,सच लिखने में थोड़ी कडवाहट तो आ ही जाती है, उसका मूल स्वाद ही ऐसा है.