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15.6.11

बाबा रामदेव और अन्ना के अनशन


बाबा रामदेव और अन्ना के अनशन

पिछले कुछ महिनों में भारत में पहली बार जनता भ्रष्टाचार के विरुद्ध आक्रोशित दिखी है| पहले जनता को अन्ना हजारे में अपना हितैषी नजर आया और जनता उनके साथ रोड पर उतर आयी, उसके कुछ समय बाद ही बाबा रामदेव ने भी अन्ना से भी बड़ा जनान्दोलन खड़ा करने के इरादे से देशभर में घूम-घूम कर आम जनता को अपने साथ आने के लिये आमन्त्रित किया| जिसके परिणामस्वरूप बाबा रामदेव के साथ भीड़ तो एकजुट हुई, लेकिन आम जनता नहीं आयी|

यदि इसके कारणों की पड़ताल करें तो पहले हमें यह जानना होगा कि जहॉं अन्ना के साथ देशभर के आम लोग बिना बुलाये आये थे, वहीं बाबा के बुलावे पर भी देश के निष्पक्ष और देशभक्त लोगों ने उनके साथ सड़क पर उतरना जरूरी क्यों नहीं समझा? इसके अलावा यह भी समझने वाली महत्वपूर्ण बात है कि अन्ना का आन्दोलन खतम होते-होते अन्ना-मण्डली का छुपा चेहरा भी लोगों के सामने आ गया और बचा खुचा जन लोकपाल समिति की बैठकों के दौरान पता चल गया| अन्ना की ओर से नियुक्त सदस्यों पर और स्वयं अन्ना पर अनेक संगीन आरोप सामने आ गये, जिनकी सच्चाई तो भविष्य के गर्भ में छिपी है, लेकिन इन सबके चलते अन्ना की निष्कलंक छवि धूमिल अवश्य दिखने लगी|

अन्ना अनशन के बाद देश की आम जनता अपने आपको ठगा हुआ और आहत अनुभव कर रही थी, ऐसे समय में बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार एवं कालेधन को लेकर देश की राजधानी स्थित रामलीला मैदान में अनशन शुरू किया तो केन्द्र सरकार के मन्त्रियों ने उनकी अगवानी की और मन्त्रियों के समूह से चर्चा करके आमराय पर पहुँचकर समझौता कर लेने के बाद भी बाबा ने अपना अनशन नहीं तोड़ा| इसके विपरीत बाबा के मंच पर साम्प्रदायिक ताकतों और देश के अमन चैन को बार-बार नुकसान पहुँचाने वाले लोग लगातार दिखने लगे, जिससे जनता को इस बात में कोई भ्रम नहीं रहा कि बाबा का अनशन भ्रष्टाचार या कालेधन के खिलाफ नहीं, बल्कि एक विचारधारा और दल विशेष द्वारा प्रायोजित था, जिसकी अनशन खतम होते-होते प्रमाणिक रूप से पुष्टि भी हो गयी|

बाबा के आन्दोलन से देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आम लोगों की मुहिम को बहुत बड़ा घक्का लगा है| बाबा योगी से समाज सेवक और अन्त में राजनेता बनते-बनते कहीं के भी नहीं रहे| उनकी शाख बुरी तरह से गिर चुकी है| इस प्रकार के लोगों के कारण जहॉं भ्रष्ट और तानाशाही प्रवृत्तियॉं ताकतवर होती हैं, वहीं दूसरी ओर आम लोगों की संगठित और एकजुट ताकत को घहरे घाव लगते हैं| आम लोग जो अन्ना की मण्डली की करतूतों के कारण पहले से ही खुद को लुटा-पिटा और ठगा हुआ अनुभव कर रहे थे, वहीं बाबा के ड्रामा ब्राण्ड अनशन के कारण स्वयं बाबा के अनुयायी भी अपने आपको मायूस और हताशा से घिरा हुआ पा रहे हैं|

बाबा ने हजारों लोगों को शस्त्र शिक्षा देने का ऐलान करके समाज के बहुत बड़े निष्प्क्ष तबके को एक झटके में ही नाराज और अपने आप से दूर कर दिया और देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तालिबानी छबि में बदलने का तोगड़िया-ब्राण्ड अपराध अंजाम देने का इरादा जगजाहिर करके अपने गुप्त ऐजेण्डे को सरेआम कर दिया| रही सही कसर भारतीय जनता पार्टी की डॉंस-मण्डली ने सत्याग्रह के नाम पर पूरी कर दी|

इन सब बातों से केन्द्र सरकार को भ्रष्टाचार के समक्ष झुकाने और कठोर कानून बनवाने की देशव्यापी मुहिम को बहुत बड़ा झटका लगा है| आम लोग तो प्रशासन, सरकार और राजनेताओं के भ्रष्टाचार, मनमानी और अत्याचारों से निजात पाने के लिये अन्ना और बाबा का साथ देना चाहते हैं, लेकिन इनके इरादे समाजहित से राजनैतिक हितों में तब्दील होने लगें, विशेषकर यदि बाबा खुलकर साम्प्रदायिक ताकतों के हाथों की कठपुतली बनकर देश को तालिबानी लोगों की फौज से संचालित करने का इरादा जताते हैं तो इसे भारत जैसे परिपक्व धर्मनिरपेक्ष लोकतन्त्र में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता|कुल मिलाकर अन्ना और बाबा रामदेव के आन्दोलनों और अनशनों के बाद आम व्यथित और उत्पीड़ित जनता को सोचना होगा कि उन्हें इंसाफ चाहिये तो न तो विदेशों के अनुदान के सहारे आन्दोलन चलाने वालों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है और न हीं भ्रष्ट लोगों से अपार धन जमा करके भ्रष्टारियों के विरुद्ध आन्दोलन चलाने की हुंकार भरने वाले बाबा रामदेव से कोई आशा की जा सकती है|

6 comments:

Rajendra Kumar Singh said...

साम्प्रदायीक ताकतों को तो is देश से ही उखाड़ फेकना चाहिए. सरकार को ऐसा कानून बनाने चाहिए कि देश का कोई भी नागरिक हिन्दू संस्कृति, सभ्यता, देवी-देवता, भाषा, भ्रस्टाचार, राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र सम्मान की बात ही न कर सके. अगर करता है तो उसे कड़ी से कड़ी सजा, अगर हो सके तो फांसी दे देनी चाहिए. धर्मनिर्पेकछाता का कड़ाई से पालन करना चाहिए. मेरे kuchh सुझाव हैं, अगर इसे कड़ाई से लागू कर दिया गया तो हमारा देश संसार में अनोखा धर्मनिर्पेकछ देश बन जायेगा.
1 मुसलमानों को देश का प्रथम नागरिक माना जाय.
2 उनपर कभी भी आपराधिक मामले दर्ज न किये जाय.
3 अगर किसी कारण करना पड़े तो, जबतक अपराध सिद्ध न हो जाय उनसे कोई पूछताछ न की जाय.
4 उन्हें सरकारी नौकरी में पूर्ण वरीयता दी जाय, वे जिस विभाग में, जिस पोस्ट पर चाहे, उन्हें तत्काल नौकरी दे दी जाय. योग्यता की उनसे कोई बात न की जाय.
5 हर आतंकवादी घटना के पीछे साम्प्रदायीक ताकतों को ही दोषी माना जाय.
6 अगर गलती से कोई मुस्लिम आतंकवादी पकड़ा जाता है तो उसे तत्काल प्रभाव से ससम्मान छोड़ दिया जाय.
7. हिन्दू मुस्लिम झगडे में भले ही एक मुसलमान ने हिन्दुओ की पूरी बस्ती क़त्ल कर दी हो, दोषी हिन्दुओ को ही माना जाय और उसे सजा दी जाय, मुस्लमान को सम्मानित किया जाय.
8 मुसलमानों को रास्ट्रीय झंडे, राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत को अपमानित करने की पूरी छूट होनी चाहिए. इसके लिए उन्हें पुरस्कार दिया जाना चाहिए.
9 देश भर से महात्मा गाँधी की तस्वीर हटा कर ओसामा बिन लादेन की तस्वीर लगनी चाहिए.
10 दाउद इब्राहीम को देश का प्रधान मंत्री मनोनीत कर देना चाहिए.
इसके आलावा और भी बहुत से मसले है जिन्हें सरकार लागू कर दे तो हमारा देश पूर्ण रूपेण धर्मनिर्पेकछ देश बन जायेगा.

तेजवानी गिरधर said...

निरंकुश जी, आप तो भले ही कुछ बच बच कर लिख रहे हैं, मगर प्रतिक्रिया स्वरूप क्या क्या नहीं मिला आपको, इस देश में कुछ लोग तो लट्ठ लिए ही खडे हैं

Ugra Nagrik said...

I appreciate the angle with which MEENA has seen the two movements .

Unknown said...

baba ko aapne sahi pakda hai. lekin agar anna,baba se janta ka bhala nahin hoga to kisse hoga. lagta hai aakhiri me ye batana aap bhul gaye. isi karan shuruat shandaar rahi par ant me lekh ki pari kuch ladkhadai si dikhi hai. phir bhi achi kosis ki aapne sare angles ko samatne ki. dhanyavad.

वनमानुष said...

मेरा ख्याल है कि अन्ना एक सीधे सादे व्यक्ति हैं जो चांडालों से घिर गए हैं.कुकुरमुत्ते की तरह अचानक पैदा हुई तथाकथित सिविल सोसाइटी उन्हें आगे कर सरकार को ब्लैकमेल कर रही है और संवैधानिक प्रक्रियाओं से अनभिज्ञ जनता की वाहवाहियों से मुग्ध होकर अन्ना हजारे भी आजकल बयान पर बयान दिए जा रहे हैं और रामदेव के हश्र से सीख लेते दिखाई नहीं पड़ते.

तेजवानी गिरधर said...

आप सही कह रहे हैं वनमानुष जी, अन्ना का भी वहीं हश्र करते दिखाई देते हैं, अन्ना भी जमीन से दो फीट उपर चल रहे हैं