Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

19.6.11

बंगाल की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल, केंद्र रखेगा ख्याल

शंकर जालान


यह कहना गलत नहीं होगा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल में गठित नई सरकार को आर्थिक संकट विरासत में मिला है। चुनाव से पहले ही आर्थिक संकट की बात सामने आ गई थी, लेकिन तत्कालीन वित्तमंत्री असीम दासगुप्ता इसे आर्थिक समस्या बताते रहे और यथा समय इसके दूर होने की बात दोहराते रहे। सत्ता संभालते ही ममता को दो लाख करोड़ रुपये के ऋण का बोझ व सरकारी खजाना खाली होने का अहसास हुआ। पहले उन्होंने राज्य की जर्जर आर्थिक स्थिति से केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को अवगत कराया। राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा को भी उन्होंने समस्या का समाधान खोजने का निर्देश दिया। बाद में कोलकाता में श्री मुखर्जी के साथ राज्य की आर्थिक समस्या पर ममता की बैठक हुई, जिसमें राज्य के वित्त मंत्री भी शामिल हुए। मुखर्जी ने मुख्यमंत्री को केंद्र से हर तरह से आर्थिक सहयोग करने का आश्वासन दिया। केंद्र से पश्चिम बंगाल को ऋण से लेकर आर्थिक अनुदान तक की मदद मिलेगी। श्री मित्रा ने इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार लघु बचत योजना के तहत केंद्र से 500 करोड़ रुपये का ऋण लेगी। जरूरत पड़ने पर नियमानुसार बाजार से भी धनराशि जुटाई जाएगी। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार पर केंद्र का अनुदान ठुकरा देने का आरोप लगाया। सूत्रों के मुताबिक पूर्ववर्ती सरकार ने 3 सिंतबर 2010 को केंद्र से 2 हजार 985 करोड़ की आर्थिक मदद मांगी थी। बाद में मदद की राशि में कटौती कर 2 हजार 385 करोड़ मांगा गया लेकिन 4 दिसंबर 2010 को सरकार ने केंद्र को स्पष्ट रूप से कह दिया था कि उसे मदद की जरूरत नहीं है। पूर्व वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता ने श्री मित्रा के इस तर्क के जवाब में कहा कि सितंबर और नवंबर 2010 में उन्होंने केंद्र से जो आर्थिक मदद मांगी थी, वह अगले वर्ष 2011 में खर्च के लिए था लेकिन चुनाव के कारण वोट आन अकाउंट को ध्यान में रखकर उन्होंने आर्थिक मदद लेने से इनकार किया। श्री दासगुप्ता ने कहा कि 1992 से पश्चिम बंगाल को कोयले की रायल्टी से वंचित किया जा रहा है। कोयले की रायल्टी के बाबत केंद्र पर सरकार का 5 हजार करोड़ रुपया बकाया है। राज्य में लघु बचत योजना के तहत जो करोड़ों की राशि जमा होती है, उसपर राज्य को सहज ऋण उपलब्ध होता है। पूर्ववर्ती सरकार केंद्र पर इस योजना के तहत ऋण माफ करने के लिए दबाव डाल रही थी। ममता के मुख्यमंत्री बनने के बाद आर्थिक समस्या दूर करने पर जो तस्वीर उभर कर सामने आयी है, उसमें केंद्र राज्य को हर तरह से आर्थिक सहयोग करेगा। चाहे वह ऋण के रूप में हो या अनुदान के रूप में, ममता वह ग्रहण करेंगी। पूर्व वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता ने ममता सरकार के प्रति केंद्रीय वित्त मंत्री के सकारात्मक रूख को देखते हुए कहा है कि वाममोर्चा सरकार बहुत पहले से केंद्र से मदद मांग रही थी लेकिन उसे नहीं मिली।
वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य को औद्योगिक विकास की पटरी पर वापस लाने के लिए निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिशें शुरू कर दी है। सिंगुर से टाटा मोटर्स के हटने के बाद माकपा ने ममता को उद्योग विरोधी के रूप में प्रचारित किया था। यह और बात है कि इसका विधानसभा चुनाव में उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। सिंगुर और नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन से ममता को जनता का विपुल समर्थन मिला और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस विधानसभा चुनाव पूर्ण बहुमत से जीत गईं।
माकपा ने ममता को जिस तरह उद्योग विरोधी बताया था, उसका मलाल आज भी सुश्री बनर्जी को है। उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा है कि मुख्यमंत्री यह संदेश देना चाहती हैं कि वह उद्योग विरोधी नहीं है। राज्य के औद्योगिक विकास को लेकर वे गंभीर हैं और राज्य में निवेश आकर्षित करने के लिए उद्योगपतियों व पूंजीपतियों का विश्वास जीतना चाहती हैं। राइटर्स सूत्रों के मुताबिक सुश्री बनर्जी ने वित्त मंत्री अमित मित्रा और उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को देश के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों से संपर्क करने को कहा है। दोनों रतन टाटा से लेकर मुकेश व अनिल अंबानी तक से संपर्क साध रहे हैं। जून के दूसरे या तीसरे सप्ताह उद्योगपतियों का सम्मेलन बुलाने की भी योजना है जिसमें देश के प्रमुख उद्योगपतियों को आमंत्रित किया जाएगा। सुश्री बनर्जी सम्मेलन में उद्योगपतियों को बंगाल में निवेश का न्योता देंगी।
मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद सुश्री बनर्जी ने सिंगुर में अनिच्छुक किसानों को भूमि लौटाने की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शेष 600 एकड़ भूमि में टाटा मोटर्स यदि कारखाना लगाना चाहे है तो इसका स्वागत किया जाएगा। सुश्री बनर्जी ने टाटा के साथ टकराव में नहीं जाने का संकेत दिया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद टाटा ने उन्हें जो बधाई संदेश भेजा था उसका सुश्री बनर्जी ने औपचारिक रूप से जवाब दिया है।

No comments: