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30.7.11

'समीक्षा: अन्‍ना हजारे के अनशन की राह में ......

'समीक्षा: अन्‍ना हजारे के अनशन की राह में ......: अन्‍ना हजारे के अनशन की राह में एक और अड़ंगा सामने आ गया है। टीम अन्‍ना से कहा गया है कि वो जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन के लिए पहले नई दिल्‍ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लें।दिल्‍ली पुलिस के प्रवक्‍ता राजन भगत ने कहा है, ‘अभी तक हमने न तो अनशन की इजाजत दी है और न ही इनकार किया है। मजबूत लोकपाल की मांग को लेकर 16 अगस्‍त से जंतर-मंतर पर अनशन की तैयारियों में जुटे अन्‍ना हजारे को दिल्‍ली पुलिस ने इससे पहले साफ कह दि‍या था कि‍ वह जंतर-मंतर पर बेमियादी अनशन नहीं कर सकते|(दैनिक भास्कर )
    सरकार ये भ्रम फ़ैलाने के लिए पूरी तरह तत्पर है की जनता सिविल सोसाईटी के लोगों ने सरकार को डराने की कोशिश कर रही है |अन्ना हजारे जनता को मौजूदा सरकार के खिलाफ भड़काने का प्रयास कर रहे है |जबकि दिखाई ये दे रहा है कि सरकार अन्ना के अनशन को जबरन बंद करने के प्रयास में पूरी तरह तत्पर है |सरकार को लग रहा था कि अगर इस बार उसने अन्ना हजारे को अनशन करने का मौका दे दिया तो जोकपाल बिल का उसका ड्रामाख़त्म हो जायेगा इसलिए दिल्ली पुलिस की आड़ में उसने यह आदेश दिलवा दिया कि दिल्ली में कोई धरना-प्रदर्शन नहीं होने दिया जाएगा |  
              इधर एक महत्वपूर्ण खबर ये है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज के चेयरमैन प्रकाश चंद्र ने एक चौंकाने वाला बयान दिया. यह बयान स्विट्जरलैंड और भारत के बीच काले धन के मामले में हुए क़रार के बारे में है. इस समझौते को स्विट्जरलैंड की संसद की मंजूरी मिल गई है| इस क़रार में भारतीय नागरिकों के स्विस बैंकों के खातों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रावधान है| प्रकाश चंद्र ने कहा कि इस क़ानून के लागू होने के बाद खोले गए खातों के बारे में ही जानकारी मिल सकती है| इस बयान का  मतलब यह है कि जो खाते इस क़ानून के लागू होने से पहले खुले हैं, उनके बारे में अब कोई जानकारी नहीं मिलेगी| यानी भारतीय अधिकारियों को अब तक जमा किए गए काले धन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकेगी|देश की जनता कितना भी चेत जाए हाथ  मलने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता |ये बातें विपक्ष को भी मालूम है पर सवा हितार्थ चुप्पी साधे बैठे हुए है |उनको लगता है कुछ दिनों तक हो-हल्ला मचेगा उसके बाद सब चुप हो जायेंगे |लगता है सत्तापक्ष और विपक्ष इस मामले हाथ मिलाये बैठे है |ये दोनों भ्रष्ट है |भ्रष्टाचार मिटाने का खोखला दावा करते है |और जनता को धोखा देते है |जनता भ्रमित है |कौन सही है ?कौन वास्तव में विशवास के काबिल है ?जाहिर है ऐसे में अब लोकपाल बनने नहीं दिया जायेगा | और पढ़े ......

1 comment:

तेजवानी गिरधर said...

मांग तो भले ही अन्ना की सही लग रही है, मगर अकेले वे ही सही हैं, ये कैसे पता लगाया जा सकता है, यदि पूरा देश उनकी राय से सहमत है तो उन्हें फिर चुनाव में जीतने से कौन रोक सकता है, यानि कि वे राजनीति में टांग भी अडाना चाहते हैं और राजनीति में आना भी नहीं चाहते