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31.7.11

राष्ट्र निर्माण .......

जैसे जल है और शर्बत ।
शर्बत में बहुत सी अन्य चीजें घुली हुयी हैं पर जल ही की प्रधानता है , उसी का परिस्कार है या संस्कार है , ऐसी ही किसी राष्ट्र की संस्कृति है ।
कभी एक राज्य के अन्दर कई राष्ट्र होते हैं और कभी एक राष्ट्र के अन्दर कई राज्य ।
यूरोप में कभी ऑस्ट्रिया के अन्दर कई राष्ट्र थे यद्यपि राज्य एक ही था , औस्ट्रिया । यही राष्ट्र जर्मनी और इटली के रूप में स्वतंत्र राज्य भी बने ।
जब जर्मनी का विभाजन हुआ तो एक ही राष्ट्र दो राज्यों में बँट गया ।
फिर एक दिन वह बांटने वाली दीवार ढह गयी और राष्ट्र तो एक था ही वह फिर एक राज्य बन गया ।
अब आप आसानी से भारत का परिदृश्य देख सकते हैं और मेरी पीड़ा को को समझ सकते हैं ।

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