Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

1.10.11

थोडा सा पुण्य


 थोडा सा पुण्य  

सा'ब जी ! सा'ब जी !!हमने जोर से आवाज निकाली .उन्होंने पहले दायें बांये झाँका फिर हमारी सीध में
 देखा वो कुछ समझे तब तक हम उन्हें दंडवत प्रणाम कर चुके थे .हमारे साथी दगडू जी भी हमारी 
देखादेखी श्री चरणों में लोटपोट हो चुके थे .वो बेचारे अचानक आई मुसीबत से छुटकारा पाने की कोशिश
 में बौखलाते हुए पीछे की तरफ खिसके और बोले -जी,मेने आपको पहचाना नहीं ,आप .........

वो आगे कुछ बोल पाते उससे पहले हम बोल पड़े -सा'ब जी ,मैं आपकी बहन के नंदोई के साला का साला
 का साला .

वो बेचारे खींसे निपोरते हुये बोले -अरे आप ,भले पधारे ,मिलकर बहुत ख़ुशी हुयी श्रीमान .......

उनकी बात को पूरी करते हुये हम तुरंत बोल उठे -आपने सही पहचाना ,आपकी स्मरण शक्ति की दाद
 देनी होगी कि अभी तक आपको हमारा नाम तक याद है ,मैं जब से मेरे साथी दगडू को साथ लेकर घर
 से निकला था तब से दगडू को बोलता आ रहा हूँ कि मेरे सा'ब कि इस नाचीज झगडू पर रहम नजर है .

वो हें हें करके बोले -श्रीमान झगडू, मैं आपको कब भुला पाया हूँ जब हम आपसे पहली बार मिले थे तब ........

उनको कुछ याद करते देख हम तुरंत बोल पड़े -......जब आप नेताजी की गाडी रगड़ रगड़ कर चमकाया
 करते थे .कितनी लगन थी आप में ,कितनी तन्मयता थी काम में आपके ,आप कभी भी गाडी में बैठकर
 यात्रा करने की इच्छा तक नहीं रखते थे .

हमारी बात सुनकर वे खुश हो गए और बोले -झगडू ,आज भी मैं भले ही प्रधान बन गया हूँ मगर सा'ब की
गाडी मैं ही सुबह सवेरे चमकाता हूँ .सा'ब की पत्नी जी के चरणों में लोटपोट होकर दिन की शरुआत करता
 हूँ .भक्ति से क्या नहीं मिलता ,नाम स्मरण से सब काम बन जाते हैं .तू बता मैं तेरे लिए क्या कर सकता हूँ ?

साधू -साधू ,धन्य है आप ,मैं रास्ते मैं दगडू सेठ को आपकी परोपकारी स्वभाव के बारे में बताता आ रहा था .आप स्वनाम धन्य हैं सा' ब !आप कृपा करके दगडू सेठ की भेंट स्वीकार कर इन्हें भी कृतार्थ कीजिये .

प्रधान बोले -इसकी जरुरत नहीं है झगडू ,दोस्ती में आपसे कुछ नहीं लूंगा .बस आप काम बताईये ?

मैं बोला ,सा'ब जी ,आप भेंट स्वीकार कीजिये ,जबतक आप इस थेले पर नरम कोमल हाथों से स्पर्श नहीं
 कर लेते तब तक हमारे से कुछ कहते नहीं बन पा रहा हैं .हम खुद को कृत्घन समझ रहे हैं .

उन्होंने सुकोमल हाथों से भेंट स्वीकार की तब हम बोले -साब ,इस दगडू के माथे पर हाथ रख दीजिये ,
आपका सौभाग्यशाली हाथ दगडू के सर पर रहेगा तो गाँव की गौचर जमीन का पट्टा बन जाएगा ........
दगडू के बच्चे भी आपका स्मरण करेगे .और मेरा तो कोई खास काम नहीं है ,बच्चा डिग्री में फेल हो गया
 है सो उसे नया पास का सर्टिफिकेट दिलवा दीजिये और कोई जिले का मुखिया .......

अरे झगडू ,दगडू ! मुझे शर्मिंदा ना कर भाई ,समझ तेरा काम करके मेरी आत्मा को असीम सुख मिलेगा 
बस एक काम कर करना ,एक चिट पर पूरा पता लिख दे और जब बड़े साब बुलाये तब .........

उनकी बात का सार समझ कर हम बोले -सा'ब जी !आपकी नाक थोड़े ही कटायेंगे ,साब की पार्टी के लिए 
बड़ी रसीद लिखवा कर थोडा पुन्य तो हम कमाएंगे .

प्रधान को पुन: प्रणाम कर हम भी खुद को धन्यभाग समझते घर की ओर लौट चले थे .         
      

1 comment:

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण , बधाई

कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें