आ बेटा ,तुझे नेता बना दूँ !!
एक गली में टंगे बड़े से बोर्ड पर विज्ञापन छपा था -"आ बेटा ,तुझे नेता बना दूँ "हमने पुरे मनोयोग से उस
विज्ञापन को पढ़ा .हमारी तो बांछे खिल गयी हुजुर .बड़ी बड़ी डिग्रियों के पीछे भागते भागते बाल ही सफेद
हो गए थे हमारे .आज भी यदि इस गली से नहीं गुजरे होते तो शायद पढ़ते पढ़ते बुड्ढे हो जाते सा'ब मगर
किस्मत के धनी थे हम भी जो अनायास ही इस बोर्ड को पढ़ बैठे और सच कहूँ तो मुझे अपना भविष्य भी
सुनहरा नजर आया .हम आनन फानन में बोर्ड पर लिखे पते पर पहुँच गए थे .काफी भीड़ थी बाहर .लोग
पंक्ति में खड़े खड़े धक्का मुक्की कर रहे थे .उम्र का कोई प्रतिबन्ध नहीं होने के कारण जवान ,अधेड़ ,बुड्ढे
सभी अटे हुए थे .हम भी पंक्ति में खड़े हो गए थे तभी हमारे आगे खड़े ताऊ ने पूछा -तुमने फार्म ले लिया ?
हमने नहीं में सिर हिलाया तो वो बोले -कोई बात नहीं मेरे पास दौ फार्म है पुरे १००/-में ख़रीदा है यदि तुझे
चाहिए तो एक का सौ देकर मेरे से ले सकते हो या फिर पंक्ति छोड़कर पहले फार्म लो .मेने मेरे पीछे देखा
पंक्ति काफी लम्बी हो गयी थी .मेने पचास का सौ देकर ताऊ से फार्म लेना मुनासिब समझा .अब फार्म
भरना था .फार्म में शिक्षा का कोष्ठक नदारद था .कुछ विशेष योग्यताओ पर निशान लगाना था -क्या
आप मक्कार हैं ? अपने खास दोस्त को कितनी बार धोखा दिया ? हर बात की शरुआत झूठ से करते हो?
चोरी करते पकडे गए या नहीं ,झूठ बोलते समय हकलाते हो या नहीं, किसी का बताया काम पूरा कर देते
हो या गोल घुमा देते हो ,चेहरे के भाव और मन के भाव एक ही होते या अलग -अलग .फार्म पढ़ कर तो
हमारा भेजा ही खराब हो गया था सा'ब.जैसे तैसे हमने अपना फार्म भरा .हमारे आगे खड़ा ताऊ फार्म पर
लिखे उत्तर को पढ़ कर मुस्करा रहा था तो हमारे पीछे खड़ी यौवना वंग्य से बोली -डफर !
हम सकपका गए थे शायद हमने फार्म गलत भर दिया था .काफी देर बाद हमारा नंबर आया .हमें एक
कमरे में बुलाया गया .टेबल के एक तरफ एक बुड्ढा था उसने हाथ से कुर्सी पर बैठने का इशारा किया
और हमारे फार्म को एकाग्रता से पढने लगा और फिर मुंह बिचका कर बोला -तुम नेता नहीं बन सकते ?
मेने पूछा -क्यों ? वो बोले -तेरे में एक भी गुण नहीं है नेता बनने के .तुमने अभी तक मक्कारी नहीं की ,
झूठ नहीं बोला ,धोखा नहीं दिया ,चोरी करते पकडे गये, झूठ बोलते हकला गये ,हर किसी का काम किया .
मगर ये सब तो अच्छे गुण हैं .........
वो मेरी बात काट कर बोले -तुझे उपदेशक बनना है या नेता ?
हम बोले -जी, हम नेता बनने आये थे .
वो बोले -देखो ,वैसे तो तुम नेता बनने के काबिल नहीं हो मगर तीन महीने का कोर्स पूरा करके तुम नेता
बन सकते हो .तुम्हे एक प्रश्न पत्र दिया जाएगा.जिसके जबाब लिखे रहेंगे तुम्हे उसके अनुसार आचरण
करना है .हमने उनके हाथ से प्रश्न पत्र ले लिया और तीन महीने बाद फिर आने का वादा कर दिया .
प्रश्न पत्र के उत्तर कुछ इस प्रकार थे
१.मक्कार बनो
२.खुदगर्ज रहो
३.चापलूसी करो
४.झूठ को सच की तरह बोलो
५.सब्ज बाग़ दिखाओ
६.आग में घी डालते रहो
७.समस्या को आगे -पीछे सरकाओ
८.आगे वाले को पीछे धकेलो
९.ऊपर वाले की टांग खेचो ,नीचे गिराओ
१०.झगडा कराओ और पन्च बनो
११.बगुला भगत बनो
१२.चेहरा साफ ,मन काला रखो
१३.गुस्सा पीओं ,गेंढा बनो
१४.काम निकालो ,चलते बनो
१५.चूहे खाओ ,हज भी जाओ
उत्तर पढ़ कर लगा हम जैसे क्या नेता बनेगें .हम जैसे थे वैसे ही रह गए .
1 comment:
देश का नेता कैसा हो, हम बताएं जैसा हो। बढिया व्यंग्य है।
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