* किसी दिन कोई एक गुंडा
एक झापड़ लगाएगा ,
तो बत्तीस में से कोई दाँत
बचे तो नहीं हैं
जो बाहर आ जाएँ
लेकिन मेरी सारी तर्क शक्ति ,
विचारणा पर भरोसा
आदर्शों पर अडिगता
निकलकर बाहर आ जायेंगें ।
सारा नैतिक बल
ठिकाने लग जायगा । #
3.10.11
किसी दिन कोई गुंडा [कविता ]
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