Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

10.10.11

जग छोड़ गए जगजीत


जगजीत सिंह हिन्दुस्तान को वो नाम है, जिसे आज देश का हर वो शख्स जानता होगा, जिस गीत, गानों, भजनों और गजल आदि से जरा भी लगाव हो। जगजीत भारत के लोगप्रिय गजल गायक में जाने जाते थे। उनके गाने का अंदाज काफी निराला होता था, वो जब भी में गाया करते थे, मन से गाते थे। लोगों को ऐसा लगता था कि गजल में आने वाला किरदार वो खुद हो। यही वजह थी जो लोगों की उनकी गजलों की ओर आकर्षित करती थी। जगजीत जब शो में गाया करते थे तो रंग जमाने के लिए वो चुटकुलों आदि का सहारा लेते थे, जिससे सुनने वाले गजल प्रेमियों को ओर आनन्द आता था। उनका संगीत काफी मधुर और उनकी आवाज संगीत के साथ खूबसूरती से विलय होती है। उनकी ग़ज़लों ने न सिर्फ़ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इज़ाफ़ा किया बल्कि ग़ालिब, मीर, मजाज़, जोश और फ़िराक़ जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया। उनके कई ऐसे गीत थे जो लोगों की जुंबा से कभी नहीं छूट पाएंगे, होठों से छू लो तुम, चिट्ठी ना कोई संदेश, बड़ी नाजुक है ये मंजिल, प्यार मुझसे जो किया तुमने और हम तेरे शहर में आए है मुसाफिर की तरह समेत ढेरों ऐसी प्रस्तुति दी, जिन्हें हम कभी भुला नहीं सकेंगे। जगजीत सिंह को सन २००३ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ७० साल की उम्र में दुनिया में नाम अमर कर गए गजल सम्राट जगजीत सिंह ब्रेन हेमरेज के कारण दिनांक १० अक्टूबर को दुनिया को अलविदा कह गए। हम उनकों श्रृद्धांजली देते है। जगजीत सिंह भले जग छोड़ कर चले गए हो, उनकी गजलें, गीत और अंदाज हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे।

सूरज सिंह सोलंकी।

No comments: