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14.10.11

तृणमूल राज में भी नहीं बदले हालात

शंकर जालान


वर्ष 2007 में पूर्वी मेदिनीपुर जिले में हुए नरसंहार के बाद सुर्खियों
आया। जिले के नंदीग्राम में पुलिस की गोली से 14 गांववासियों की मौत हो
गई थी। इस दर्दनाक घटना की वजह से वाममोर्चे को न केवल सत्ता से हाथ धोना
पड़ा था, बल्कि मुख्य विरोधी दल तृणमूल कांग्रेस को एक मुद्दा मिल गया था
और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी से इस मुद्दे को बेहतरीन तरीके के भुनाया
दूसरे शब्दों में कहे तो इन केश किया। वाम दलों का गढ़ कहे जाने वाले
पूर्वी मेदिनीपुर जिले में 34 सालों में पहली बार वाममोर्चा को करारी हार
का सामना करना पड़ा। कहना गलत नहीं होगा कि इसी घटनाक्रम से मौजूदा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राजनीतिक भविष्य में एक नया मोड़ आया। बनर्जी
ने मौके की नजाकत को भांपते हुए 'परिवर्तन के वादे के साथ राज्यभर एक
अभियान छेड़ा, जिसके तहत उन्होंने राज्य के हित में फैसला लेने का वादा
किया। चुनाव पूर्व बनर्जी का कहना था कि उनकी पार्टी हर हाल में हर
समस्या का हल निकालेगी और लोगों की सुख-शांति से जीवन व्यतीत करने की
दिशा में अहम पहल करेगी।
अफसोस यह है कि बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी हालात जस के तस बने
हुए हैं। साथ ही कई तरह की शिकायतें भी आ रही हैं।
प्रमुख औद्योगिक हल्दिया विकास प्राधिकरण (एचडीए) में हालात पहले जैसे
ही हैं। एचडीए का नेतृत्व कभी माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के
विशेष लोगों में शामिल लक्ष्मण सेठ किया करते थे, लेकिन सत्ता परिर्वतन
के बाद इसकी बागडोर तृणमूल कांग्रेस के सांसद शुभेंदु अधिकारी के हाथों
में आ गई है। एचडीए में परिवर्तन के चार महीने बाद तक भ्रष्टïाचार पर
अंकुश नहीं लग सका है। एचडीए में कार्यरत एक मजदूर के मुताबिक केवल कलर
(रंग) बदला है। पहले लाल थो सो अब हरा हो गया है लेकिन भ्रष्टïाचार का
बोलबाला अब भी वैसे ही है जैसे वाममोर्चा के शासनकाल में था। उन्होंने
कहा- वाममोर्चा के शासनकाल के में जिन लोगों ने हमें परेशान किया वे लोग
अब पाला बदल कर हमें परेशान कर रहे हैं। उनके मुताबिक- वे लोग जो कभी
अपने को सच्चा कम्यूनिष्ट कहते थे उन्होंने ही अब गिरगिट की तरह अपना रंग
बदल लिया है और खुद को तृणमूल कांग्रेस का नेता कहने लगे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वाम मोर्चे ने जिस तरह नंदीग्राम के जरिये
गुंडाराज और भ्रष्टïाचार को बढ़ावा दिया, वही गलती अब तृणमूल कांग्रेस भी
दोहरा रही है। लोगों का कहना है- अगर माकपा का मजदूर संगठन सेंटर ऑफ
इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) मजदूरों से हर महीने 200 रुपये बतौर चंदा
लेता था तो तृणमूल कांग्रेस के इंडियन नैशनल
तृणमूल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीटीयूसी) ने इसे दोगुना कर दिया है
और वे निम्न दर्जे के मजदूरों को एक दिन का वेतन देने के लिए बाध्य कर
रहे हैं।
ध्यान रहे कि इसी साल हुए विधानसभा चुनावों में वाममोर्चा की करारी हार
के बाद माकपा के मान्यता प्राप्त संगठन सीटू का नाटकीय पतन हुआ है। हाल
के कुछ महीनों में सीटू को करीब 16 कार्यालय बंद करने पड़े। सीटू के जिला
सचिव सुदर्शन मन्ना का कहना है कि 'यह हकीकत है कि आईएनटीटीयूसी के
सदस्य, फैक्टरी के मजदूरों से जबरदस्ती पैसे वसूल रहे हैं। जो लोग उनके
संगठन में शामिल होने के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें काम करने की इजाजत
नहीं दी जा रही है। जिन लोगों को 20-25 साल तक काम करने का अनुभव है,
उन्हें भी नए ठेकेदार काम से निकाल रहे हैं। जिले के वाममोर्चा नेता के
मुताबिक तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता मजदूरों से अच्छी-खासी रकम वसूल
रहे हैं और यह राशि नौकरी के ग्रेड के लिहाज से भी तय की जा रही है। उनका
कहना है कि तमाम कंपनियों की परियोजनाओं में प्रबंधन को जानकारी देकर और
बिना जानकारी के भी वसूली की प्रक्रिया जारी है। मन्ना का कहा- पिछले कुछ
महीने में ही हमने मजदूरों के साथ आईएनटीटीयूसी की गुंडागर्दी के करीब
पांच दर्जन मामले दर्ज कराए हैं, लेकिन राज्य पुलिस ने इस समस्या का हल
निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
मालूम हो कि इंडोनेशिया के सलीम समूह की केमिकल हब परियोजना के लिए
नंदीग्राम का चयन करने में सेठ की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। अब सेठ का
रवैया बदला-बदला सा लगता है। सेठ का कहना है कि अधिकारी और उनकी टीम ने
एचडीए में हाल में अपना काम शुरू किया है ऐसे में इसका आकलन करने का अभी
सही वक्त नहीं है। जब उनसे हाल की हिंसात्मक घटनाओं के बारे में पूछा गया
तो उनका कहना था- 'दीदी (बनर्जी) ने कहा है कि राज्य में कोई भी
राजनीतिक हिंसा नहीं होगी। अब हमें इंतजार करते हुए स्थितियों पर निगाह
रखनी होगी।
आईएनटीटीयूसी के एक कार्यकर्ता ने कहा कि मुझे 6-7 साल का अनुभव है। इसके
बावजूद मुझे नौकरी गंवानी पड़ी। उनका कहना है कि करीब एक महीने से मैं
यहां हूं। इस बाबत स्थानीय सांसद और कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों
से बातचीत की, लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है। इस सिलसिले में सांसद ने कहा
कि 'जब मैंने एचडीए के अध्यक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाली तब हमने
इस क्षेत्र में सीटू के दफ्तरों द्वारा जबरदस्ती वसूली जैसे कारनामों पर
अंकुश लगाया। हल्दिया में अब एक नया दौर शुरू हुआ है और यहां निवेश की
संभावनाएं बन रही हैं। नई परियोजनाओं में एचपीएल की विस्तार योजना भी
शामिल है। आईओसी पाइपलाइन के अलावा हल्दिया-पारादीप पाइपलाइन की योजना पर
भी अमल किया जाना है। इस क्षेत्र में कई छोटे उद्योगों के अलावा साउथ
एशियन पेट्रोकेमिकल्स, आईओसी, एक्साइड, शॉ वॉलेस, टाटा केमिकल्स, एचपीएल,
मित्सुबिशी केमिकल्स और हिंदुस्तान लीवर जैसी बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं
भी हैं। कई दूसरी परियोजनाएं मसलन सीईएससी ऊर्जा संयंत्र और सिनो स्टील
परियोजना विभिन्न चरणों में है।
सांसद का कहना है, 'मैंने कुछ हफ्ते पहले ही एचडीए की जिम्मेदारी संभाली
है। कुछ महीने में ही आप भारी मात्रा में निवेश के साथ ही 3-4 नई
परियोजनाएं देखेंगे, क्योंकि ये मंजूरी मिलने के आखिरी चरण में हैं। जिन
लोगों की जमीन गई है उन्हें प्राथमिकता के आधार पर नौकरी मिलेगी।
यह तो मानी हुई बात है और बिल्कुल साफ है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने
हल्दिया में विकास की लहर शुरू कर चुकी हैं। उन्होंने कुछ हफ्ते पहले ही
सार्वजनिक मंच पर यह कहा था कि उनकी पार्टी के नाम पर पैसा मांगने वालों
को उद्योगपति बिल्कुल पैसा न दें। उन्होंने राज्य के कुछ उद्योगपतियों को
संबोधित कर कहा था- 'कुछ क्षेत्रों में लोग उनकी पार्टी के नाम का गलत
इस्तेमाल कर पैसे मांग रहे हैं। कृपया आप उन्हें पैसे न दें। हमें या
हमारी पार्टी को पैसे नहीं चाहिए। हम बंगाल का विकास चाहते हैं और अपनी
विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए हमें काफी कुछ करना है।

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