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7.10.11

सपनो की खेती और इश्वर

अचंभित हू इश्वर की इस लीला पर की उसने अपनी चित्रकारी के लिए हम सबको बना दिया पहले महिला बने या पहले पुरुष इस बात को करने का कोई मतलब नहीं क्यूंकि इस बात पर वैज्ञानिकों से लेकर धर्मगुरुओं तक सब अपना सर फोड़ चुके हैं पर मेरा मन बंदरों को पूर्वज मानने तैयार नहीं होता क्यूंकि अगर वही सब मानना है तो पहले धर्म ,शास्त्र सबको एक तरफ रखकर सोचना पड़ेगा और अगर सब कुछ अलग रखकर ही सोचना है तो लिखने  या सोचने से बेहतर है सिद्धांतों को गढ़ा जाए पर  मैं सिद्धांतों  को पूरी तरह मानने वालों में से नहीं हू क्यूंकि एक सिद्धांत तभी तक सही होत है जब तक अगला सिद्धांत आकर उसे कचरे के डब्बे में जाने पर मजबूर ना कर दे .
हर नई खोज तभी तक नई होती है जब तक  कुछ नया आकर उसे पुराना ना करे  ठीक वेसे ही जेसे मोहल्ले की नई बहु तब तक नई रहती है जब तक एक नई बहु आकर अपनी बड़े बड़े घुंघरू वाले पायल की झंकार से मोहल्ला ना गूंजा दे,जिस दिन मोहल्ले में दूसरी बहु आई, कोई नई बहु पुरानी हो जाती है ठीक वेसे ही एक नई खोज या सिद्धांत आकर बाकि को पुराना या गलत साबित कर देता है.इसलिए सिद्धांतों की दुनिया किसी ज्यादा बुद्धिमान इंसान के पैदा होने तक ही टिकी है .

इश्वर ने अपनी चित्रकारी में हर रंग डाला ,पर अपने खेल खेल में एक बड़ा काम कर दिया उस चित्र में जान डाल दी और छोड़  दिया चित्र को बिना किसी एक्सपाईरी डेट के ताकि अंत की कोई निर्धारित तिथि ना रहे .  इस सबसे बड़ी बात हम सब की पीढ़ियों को छोड़ दिया शापित यहाँ भटकने के लिए .दे दिए हमें छोटे छोटे मकसद ताकि हम जिंदगी भर उन मकसदों को पूरा करने के लिए भटकते रहे.उसने अपने मजे के लिए हम सबको एक होड़ का, एक दौड़ का हिस्सा बना दिया पर इस सबसे बड़ी बात उसने इस रेस का कोई अंत नहीं बनाया ,बस हमें प्रतिभागी बनाकर  एक दुसरे से होड़ करने के लिए छोड़ दिया. ताकि कोई एक आविष्कार करे तो दूसरा उससे बेहतर करने की सोचे,एक सामाजिक प्रतिष्ठा  पाए तो दूसरा उससे ज्यादा पाने की सोचे ,ठीक वेसे ही जेसे "उसकी साडी मेरी साडी से सफ़ेद केसे" और ये भावना सिर्फ महिलाओं को नहीं पुरुषों को भी बराबर रूप से दी या शायद थोड़ी ज्यादा ही उसकी बीवी मेरी बीवी से सुन्दर कैसे ?उसका घर मेरे घर से अच्छा कैसे ?उसका रुतबा मेरे रुतबे से ज्यादा कैसे?यहाँ तक की उसका बच्चा मेरे बच्चे से होशियार कैसे"?और बस इस होड़ में दे दिया हमें भटकाव अनंत काल का.


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