खुदगर्जों की इस दुनिया में अपनी क्या औकात भला
बेईमान सब गुंबद पर हैं, नींव की क्या औकात भला
भाई-बन्धु, रिश्ते-नाते, ईश्वर तक है लेन-देन में
कुंवर फकीरा देख रहा पर, उसकी क्या औकात भला
कुंवर प्रीतम
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
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