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3.10.11

प्यार में कोई तर्क नहीं होता No arguments in love


वो जब भी आसमाँ के उस छोर को देखती है  जहा से आगे उसकी नजर नहीं जाती, तब हर बार यही सोचती है उड़  जाऊ कही दूर इस पिंजरे से जहाँ अपने पंखों के कुचले जाने का डर ना हो , सोचने लगती है हमेशा धरा  और आकाश के प्रेम के विषय में .सोचने लगती है पंछियों की उन्मुक्त दुनिया के बारे में.हर सुबह जब वो जगती है यही सोचती है आज का दिन अच्छा होगा ,आज मुस्कुराहटें खेलेगी चेहरों पर ,आज सब कुछ उसकी सोच की तरह एक दम परफेक्ट होगा पर ये परफेक्ट की परिभाषा हर बार मात दे देती है उसे  ,क्यूंकि वो बस यही सुन सुन कर बड़ी हुई है की दुनिया में कुछ भी परफेक्ट नहीं होता . पर गलत है ये बात क्यूंकि ,एक चीज हमेशा से परफेक्ट होती है वो है उम्मीदें ,उम्मीदें जो दुसरे उससे करते हैं और वो दूसरों से करती है ,ये उम्मीदें हमेशा से परफेक्ट होती है कभी कोई कमी नहीं होती और उम्मीदों का टूटना तो उससे ज्यादा  भी परफेक्ट होता है .
वो सोचती है दुनिया में हर तकलीफ,दुःख ,परेशानी अपने आप में परफेक्ट होती है  या उसके एकदम करीब. रोज देखती है अपने घर की खिड़की से कई लोगो को और हर किसी को देखकर सोचती है ये दौड़ लगा रहा है परफेक्ट होने के लिए और एक दिन आएगा जब ये भी मान लेगा की दुनिया में कुछ भी परफेक्ट नहीं होता . उसके घर में कांच के गिलास नहीं टूटते ये परफेक्ट उम्मीदें टूटती हैं हर रोज जब ये टुकड़े उसके दिल में कही चुभते हैं तो कही से एक और उम्मीद सर उठा लेती है आज नहीं तो कल सब परफेक्ट होगा और सच मानिये ये उम्मीद भी पिछली वाली उम्मीद की तरह एकदम परफेक्ट होती है .

कितना सोचती है ना वो ?उसके हाथों में, पैरों  में चाहे सरपट  भागने का दम ना रहे पर पर उसकी ये सोच भागती रहती है बिना रुके लगातार .पहले भी एसे ही भागती थी उसकी सोच तब अम्मा कहती थी गुडिया इतना नहीं सोचा कर इतना सोचना लड़की जात के लिए ठीक नहीं ,और जब भी अम्मा कहती थी वो चिढ़कर  टाल देती थी हुह लड़की जात के लिए कुछ भी ठीक ना है अम्मा पर ठीक तो बस इतना है की वो उम्मीदें ना करे किसी से पर दूसरों की उम्मीदों  को ना तोड़े ,तुम भी तो यही करती आई हो ,पर मैं ना करूंगी एसा.कभी ना करुँगी .मेरी दुनिया में बेबसी ना होगी,ना किसी पर इतनी निर्भरता की अपने मन की छोटी छोटी खुशिया भी छोडनी  पड़े.

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