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3.12.11

जब हमारी भाग्य विधाता ही विदेश से है तो विदेशी से परहेज कैसा ?


fdi ऍफ़ डी आई जिंदाबाद , कब तक बकरे की माँ खैर मनाएगी .

कब तक बचोगे ऍफ़ डी आई से 

  

कब तक बचोगे ऍफ़ डी आई से 

जब सरकार ने कमर कस ली है लाने की 
ये कोई लोक पाल बिल तो है नहीं , जिसको पास करते करते ५ साल बीत जाएँ  
और इतना माल विदेशी आ रहा है , यदि ये भी आ जायेगा तो क्या हो जायेगा . 
यहाँ  के नवाबजादों को बार बार शौपिंग के लिए विदेश नहीं जाना पड़ेगा . 
पर एक फायेदा अवश्य होगा जैसे विदेशी मक डोनाल्ड , पिज़ा -हट  इत्यादि ने हमें रेस्तोरांत चलाने की तमीज़ सिखा दी , ये स्टोर भी हमें स्टोर चलाने की तमीज़ सिखा देंगे. 
जब वैसे भी हम विदेशी गंद खाने के आदि हो चुके हैं , तो कब तक बकरे की मान खैर मनाएगी . 
और ये तो शुरुआत है . 
और यदि पसंद नहीं है तो अगली बार कोई दूसरी सरकार ला कर सालों को वापिस भेज देना . 
  

1 comment:

तेजवानी गिरधर said...

बेहद घटिया टिप्पणी है, तर्कहीन, या कुतर्क ही कहें तो ज्यादा बेहतर होगा, ब्लॉग्स पर लिखने की आजादी का यह दुरुपयोग है