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1.12.11

कई सवाल छोड़ गए किशनजी

शंकर जालान




कट्टर माओवादी नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी अब नहीं रहे, लेकिन अपने पीछे एक बहस छोड़ गए। राज्य सरकार कह रही है कि अर्द्ध सैनिक बल व राज्य पुलिस के साझा अभियान के दौरान किशनजी की मौत हो गई। वहीं, माओवादियों के अन्य नेताओं समेत कुछ राजनीति पार्टियों का आरोप है कि सोची-समझी साजिश के तहत किशनजी की हत्या की गई है। राज सरकार व माओवादियों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच यह कहना फिलहाल मुश्किल है कि किशनजी की मुठभेड़ में मौत हुई है या गिरफ्तारी के बाद उनकी हत्या की गई है। दूसरे शब्दों में कहे तो किशनजी अपने पीछे कई सवाल छोड़ गए हैं, जिनका जवाब शायद वक्त के गर्भ में छिपा है। सूत्रों के मुताबिक नि:शुल्क किशनजी के खत्म होने से माओवादियों को जोरजार झटका लगा है, बावजूद इसके इस सिलसिले में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी की कोई प्रतिक्रिया न आना संशय पैदा करती है। हालांकि किशनजी नहीं रहे वाली खबर आने के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता शिशिर अधिकारी ने जरूर कहा कि अब एक सप्ताह के भीतर माओवादियों का खात्मा हो जाएगा, लेकिन उनकी इस बात से और किसी नेता ने सहमति नहीं जताई। अलबत्ता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत दस अन्य वीवीआईपी नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। इससे साफ होता है कि राज्य सरकार को यह डर है कि माओवादी जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं।
जहां, क्रांतिकारी कवि व माओवादियों के शुभचिंतक वरवरा राव ने पश्चिम बंगाल सरकार से माओवादी नेता किशनजी की मौत पर श्वेत-पत्र जारी करने की मांग की है। वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने किशनजी की मौत को फर्जी मुठभेड में हत्या का मामला बताते हुए केंद्र सरकार से इस मामले की जांच कराने व स्पष्टीकरण देने की मांग की है। भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम को एक पत्र लिखकर पूछा है कि क्या यह सच नहीं है कि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य किशनजी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में पश्चिमी मेदिनीपुर में बूरीसोल जंगल में उनकी जघन्य तरीके से हत्या कर दी। माओवादियों के अलावा विभिन्न संगठन से जुड़े लोग व राजनेता इस मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए इसकी जांच की मांग कर रहे है।
वरवरा राव ने कहा-किशनजी के शरीर पर जख्म के कई निशान मिले हैं जो दर्शाते हैं कि मारने के पूर्व उनको काफी यातना दी गई थी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि पकड़े जाने के 24 घंटे के बाद फर्जी मुठभेड़ में किशनजी को मारा गया। राव ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के नियम के तहत किशनजी की मौत के लिए जिम्मेवार लोगों धारा 302 के अंतर्गत मामला दायर करने की भी मांग की। वरवरा राव ने इस बाबत राज्य सचिवालय में राज्य के गृह सचिव जीडी गौतम को एक ज्ञापन सौंपा।
राव ने कहा कि आंध्र प्रदेश की सरकार ने इसी तरह कई माओवादियों को मार दिया था, लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नियम के मुताबिक मारे गए माओवादियों के शवों को वह सरकार पोस्टमार्टम भी कराती थी। उन्होंने कहा कि आजाद (एक अन्य माओवादी नेता, जो कुछ साल पहले मुठभेड़ में मारा गया था) के शव को भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नियम के तहत दिल्ली स्थित उसके आवास पर भेजा गया था।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि पश्चिम बंगाल की वर्तमान सरकार पूर्व के वाममोर्चा सरकार की तरह काम कर रही है। उन्होंने कहा-मैं समझता हूं कि वर्तमान परिस्थिति में फासीवादी, साम्राज्यवादी व सामंतवादी सरकार के साथ बातचीत की जरूरत है।
केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक विजय कुमार ने उस आरोप को खारिज कर दिया, जिसमें कहा जा रहा है कि फर्जी मुठभेड़ में किशनजी की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि यह बेहद साफ और सफल अभियान था, जिसमें हमारे जवानों ने एक मिनट भी नष्ट नहीं किया।
मेदिनीपुर क्षेत्र के पुलिस के डीआईजी विनीत गोयल के मुताबिक यह अभियान पूर्व नियोजित था। खुफिया सूत्रों से हमें खबर मिली थी कि माओवादियों का एक दस्ता इस इलाके में छिपा हुआ है। हमने कार्रवाई की और हमें सफलता मिली। पुलिस सूत्रों ने बताया कि किशनजी के शव के पास एक एके-47 व एक एके-एम राइफलें बरामद की गई थी। समझा जाता है कि एके-47 का इस्तेमाल किशनजी करता था और एके-एम का सुचित्रा। मौके से एक बैग में 82 हजार रुपए नकद के अलावा 160 जीबी की एक हार्ड डिस्क, एक कंबल, पत्र, अहम कागजात, जंगलमहल का नक्शा और दर्दनिवारक दवाएं भी बरामद की गईं।

1 comment:

अमरनाथ 'मधुर'امرناتھ'مدھر' said...

वो आज का किशन था जो तुमने मार डाला
वैसे भी राम, कृष्ण मरने के बाद पुजता |
यूँ शौक में कोई भी खाता नहीं है गोली
मकसद हो नेक जिसका हरगिज नहीं वो छुपता |