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16.12.11

कितना सुरक्षित है विद्यासगर सेतु

शंकर जालान


कोलकाता, विद्यासागर सुते जिसे द्वितीय हुगली ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है आखिर कितना सुरक्षित है? इस सेतु पर पर्याप्त संख्या और सही जगह पर सीसी कैमरे नहीं लगा रहने के कारण कभी भी कोई घटना घटी सकती है। अपराधी भय मुक्त होकर कारनामा कर फरार हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम हो कि सीसी कैमरा नहीं होने के कारण उनकी पुलिस आसानी से उन्हें पहचान नहीं पाएगी। मालूम हो कि बीते दिनों राजधानी दिल्ली में एक सेतु के टॉल टैक्स कायार्लय. में कार्यरत एक कमर्चारी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी और सीसी कैमरे के अभावन में पुलिस उनकी शिनाख्त नहीं कर पाई। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ऐसा हादसा यहां कभी भी घट सकता है। विद्यासागर सेतु के टॉल टैक्स कार्यालय में सीसी कमैरे तो लगे हैं, लेकिन वे कायार्लय के भीतर के कामकाज को कैमरे में कैद करते है। सेतु पर होने वाली हरकत को कैद करने में वे सक्षम नहीं है।
ध्यान रहे कि हुगली नदी पर बना यह सेतु हावड़ा ब्रिज से दक्षिण की तरह करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है। स्टेड ब्रिज के रूप में यह एशिया का सबसे लंबा और दुनिया का तीसरा सबसे लंबा सेतु है, जिसमें १२२ वायर केवल लगे हैं। इसे सस्पेंशन ब्रिज भी कहा जाता है। इस सेतु की आधारशिला २० मई १९७२ को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी ने किया था। ३८८ करोड़ की लागत से बने इस ब्रिज को करीब २० साल बाद यानी १० अक्तूबर १९९२ को आम जनता के लिए खोला गया।
कोलकाता को हावड़ा से जोड़ने और हावड़ा ब्रिज पर बढ़ते जाम को कम करने और खास कर देश के अन्य मुख्य शहरों को जोड़ने के लिए विद्यासागर सेतु को बनाया गया था।
जानकारी लेते पर पता चला कि इतने महत्वपूर्ण सेतु का सुरक्षा४ की कोई खास व्यवस्था नहीं है। सेतु पर जो सीसी कैमरे लगे हैं, लेकिन वे पर्याप्त संख्या में नहीं है और न ही उचित स्थान पर लगे हैं। हालांकि बीते १९ सालों में सेतु पर ऐसी कोई घटना नहीं घटी है।
इस बारे में सेतु प्रोजेक्ट के निदेशक विजय संचेती ने बताया कि आने वालों दिनों में सेतु की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। इस सिलसिले में सुरक्षा कमिर्यों ने कहा कि उनके लिए सेड (छावनी) की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्हें मौसम की परवाह किए बगैर चाहें धूप हो या बारिश उन्हें खुले आसमान की नीचे खड़ा रहकर अपना काम करना पड़ता है। कहने का मतलब जिस सेतु से रोजाना लाखों यात्री व वाहनों का आवागमन होता हो उसकी सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा हुआ है। कहने को तो सेतु पर पुलिस वाले तैनात रहते हैं, लेकिन उनका काम केवल उन लोगों को रोकना है, जो हुगली नदी में कूदना चाहते हैं। जानकारों को मुताबिक इस महत्वपूर्ण सेतु और इस पर चलने वाले वाहनों के लिए और चुस्त सुरक्षा की जरूरत है।

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