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30.12.11

हम गीता कि पूजा करते हैं, कोर्ट में कसम खाते हैं , फिर पढ़ने कि क्या जरुरत


और गीता जी बच गयी : अब तो हिंदू इसे पढ़ेंगे ही

    
खबर :

‘गीता पर भारत के रुख की हुई पुष्टि’

गीता पूरी दुनिया के लिए, इस पर कोई बैन संभव नहीं


गीता पर प्रतिबंध की माँग खारिज

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कितनी खुशी कि बात है , कि हमारी धर्म निरपेक्ष सरकार ने भी हिंदू धर्म कि पुस्तक का सहयोग दिया . 

यह सारे देश में विजयोत्सव मानाने जैसा है . 

हमें भी  पता चला , कि हिन्दुस्तान में  गीता नाम कि holy पुस्तक है जो हिंदुओं से सम्बन्ध रखती है . 


हिंदू इसका सम्मान करता है , पूजता है , 

पर हिंदू इसे पढता नहीं है .  

बुरा नहीं मानना , शायद आपने इसे पढ़ा हो , या हमेशा पढते हों , पर अपने आस पास के हिंदुओं, अपने घर-परिवार, मित्रों , पधोसिओं , पर नजर डालें और बताएं कि कितने प्रतिशत लोगों ने इसे पढ़ा है . 

इन पंक्तियों का लेखक मैं , अशोक गुप्ता ,पैदायशी हिंदू,  एक शहर से , अच्छे घर में जन्म लेने वाला, पढ़ा-लिखा , पिछले ३२ साल से विदेशों में रह /घूम रहा , R S S का समर्पित कार्यकर्ता, छात्र नेता, दुनिया भर कि जानकारी के बारे में प्रयत्न शील , १८ साल से सत्संगों में जा रहा , उम्र ५७ साल, अभी कुछ समय से गीता जी को पढ़ना शुरू किया है .

धिक्कार है मुझ पर , और मेरे हिंदू होने पर , और मुझे पता है मेरे आस पास के हिंदुओं का , उन्होंने जीवन में कभी गीता जी उठा कर नहीं देखि. 


उनके घरों में चार-पांच कारें मिल जाएँगी , पर एक गीता मांगने पर नहीं मिलेगी , पढ़ने कि तो बात ही छोडो .


यदि एक प्रतिशत हिंदू भी गीता जी का अध्यान करे तो देश का नक्शा अपने आप बदल जायेगा , ऐसा मेरा विश्वास है ,


तब लोगों को अनाचार और भ्रष्टाचार से खुद ही नफरत हो जायेगी चाहे वो I AS हो या नेता या जज . 


धर्म से दूर रहना , निरपेक्ष रहना,  ही सारे फसाद की जड़ है . 


आप क्या कहते हैं !
 


और अगर हिंदुओं को पसंद आ गयी तो उन्हें भ्रष्टाचार की तरफ मोडना मुश्किल हो जायेगा , वे नाम के ही नहीं असल के हिंदू बन जायेंगे .


कोई बात बुरी लगी हो तो बताईएगा जरूर ! और छमा कर दीजियेगा .
खुशी कि बात है कि रुसी अदालत ने मुकदमा ख़ारिज कर दिया , 


पर पक्का है कि,  यदि यही मुकदमा, हिन्दुस्तान कि अदालत में होता,


तो ख़ारिज नहीं हो सकता था 

3 comments:

S.N SHUKLA said...

सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.

नूतन वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ मेरे ब्लॉग "meri kavitayen " पर आप सस्नेह/ सादर आमंत्रित हैं.

Unknown said...

गीता पर प्रतिबन्ध की बात वो ही देश करते हैं जो सिर्फ भौतिक सुखों में जीते हैं ,जो देश सर्वांगीण विकास चाहते हैं उन देशो
ने तो गीता को पाठ्यक्रम में शुरू कर दिया है .आप सही कह रहे हैं की कास १%भारतीय भी गीता का अध्ययन करता और
उसका १%भी अमल कर लेता तो देश की काफी समस्याएं खत्म हो जाती ,व्यक्ति भ्रष्ट और निक्कमे कर्मो से स्वत: दूर रहने वाला
बन जाता .इसवी संवत २०१२ की शुभकामनाएं .

https://worldisahome.blogspot.com said...

महा धन्यवाद श्री शुक्ल जी, डॉ पाण्डेय , एंड श्री गंगाप्रसाद जी ,