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13.1.12

आसन पर नहीं, झूले पर बैठे हैं बाबा

शंकर जालान


कोलकाता । वैसे तो मकर संक्रांति के मौके गंगासागर जाने के लिए सैंकड़ों की संख्या में साधु-संत, बाबा व महात्मा इनदिनों आउट्रमघाट में डेरा डाले हुए हैं। लेकिन कुछ साधु ऐसे हैं, जो अपने अजीबो-गरीब हरकत से श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। उन्हीं में से एक है उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा से आए विजेंद्र बाबा। बाबा यहां आसन पर नहीं, बल्कि झूले पर बैठकर ध्यान लगा रहे हैं और इसी मुद्रा में भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं। तीन दिन पहले यहां पहुंचे बाबा ने बताया कि अपने गुरू विश्वदेवानंदजी हमारे से आज्ञा लेकर मैंने झूले का आसन माना और इसी पर बैठकर भगवान का ध्यान लगाता हूं। बाबा ने बताया कि केवस सफर के दौरान में झूले का इस्तेमाल नहीं करता। इसके अलावा किसी भी मेले या तीर्थयात्रा पर मैं झूले पर ही बैठता हूं। इस सवाल के जवाब में बाबा ने कहा कि नोएडा स्थित आश्रम में भी मैं न केवल दिनभर झूला पर बैठा रहता हूं, बल्कि रात की नींद भी झूले पर पूरी करता है। यात्रा के दौरान में झूले में नहीं सोता। उन्होंने बताया कि साधु का काम ही भिक्षा मांग कर खाना और भगवान को याद करना। मेरे दो चेले हैं। रामू और श्यामू। दोनों सदैव मेरे साथ रहते हैं और भिखा में मिली खाद्य सामग्री से भोजन पका खुद खाते हैं और मुझे भी खिलाते हैं। उन्होंने बताया कि यहां मिलने वाले चढ़ावे के रुपए उनके किराए के काम आते हैं। बाबा यहां चालीस से अधिक शिविर चल रहे हैं उनके भोजन क्यों नहीं करते? इसके जवाब में बाबा ने कहा कि उनके गुरू की आज्ञा है कि भोजन कभी किसी शिविर में नहीं करता। चेलों द्वारा लाई गई खाद्य सामग्री से बने भोजन से ही पेट की ज्वाला शांत करना। उन्होेंने बताया कि वे दूसरी ओर यहां आए हैं और उनके दर्शन करने भारी संख्या में भक्त आ रहे हैं और अपनी श्रद्धा व शक्ति के मुताबिक भेंट में चढ़ा रहे हैं।

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