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2.2.12

राज्यपाल व मुख्यमंत्री में टकराव

शंकर जालान


राज्य में राज्यपाल एमके नारायणन और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच टकराव के संकेत मिल रहे हैं। बीते दिनों किसानों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री बनर्जी और राज्यपाल नारायणन के बीच मतैक्य सामने आया है। अब तक कमोबेश हर मुद्दे पर ममता बनर्जी के साथ खड़े नजर आए नारायणन ने इस मुद्दे पर टकराव के अंदाज में कहा- कर्ज के भार से दबे हुए किसान आत्महत्या कर रहे हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि वह केन्द्र के साथ मिलकर हल तलाशे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एकाधिक बार किसानों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं को अनदेखा करते हुए कह चुकी हैं, आत्महत्या करने वाले या तो किसान नहीं थे या फिर पारिवारिक कारणों से उन लोगों ने जान दी। इससे पहले कॉलेजों में छात्र संगठनों के कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष और अस्पतालों में शिशुओं की मौतों को लेकर राज्यपाल चिंता जता चुके हैं, लेकिन कोई मतैक्य सामने नहीं आया था। दोनों ही दफा राज्यपाल ने दुख जताते हुए प्रशासन को जरूरी उपाय करने का सुझाव दिया था। लेकिन किसानों की मौतों को लेकर उन्होंने सीधे तौर पर केन्द्रीय हस्तक्षेप की जरूरत मानी है। उन्होंने प्रधानमंत्री को राज्य में किसानों की मौतों को लेकर एक रिपोर्ट भी भेजी है। राज्यपाल का मानना है कि आत्महत्या करने वाले किसान कर्ज में डूबे हुए थे और फसल की बिक्री न होने से परेशान थे। उनके परिवार जन अनाहार को मजबूर थे। पिछले दो महीनों में दो दर्जन से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें 17 किसान बर्दवान जिले के हैं। मालूम बो कि बर्दवान जिले को बंगाल का चावल भंडार कहा जाता है। मालदा, बांकुड़ा, हुगली और जलपाईगुड़ी में भी आत्महत्या की घटनाएं हुई हैं। जलपाईगुड़ी में चाय बागानों के बंद होने के चलते बेरोजगारी की स्थिति है। हालांकि, सभी मौतों की वजह निजी और पारिवारिक बताकर मुख्यमंत्री ने पल्ला झाडऩे की कोशिश की है। ऐसे में राज्यपाल के ताजा कदम से कांग्रेस और वामपंथी दलों के ममता बनर्जी विरोधी अभियान को बल मिला है। कांग्रेस भी वामपंथी दलों की तर्ज पर राज्य में सड़कों पर उतर चुकी है।

1 comment:

India Darpan said...

बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।