Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

18.3.12

शपथ ग्रहण

कोई आश्चर्य नहीं कि जनाब आज़म साहेब ने जान बूझ कर अधूरा शपथ पढ़ा हो !

2 comments:

virendra sharma said...

बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी ?

Shalini kaushik said...

sab kuchh chalta hai..
क्या यही लोकतंत्र है?