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19.4.12

निर्मल बाबा पर इतना बाँय-बाँय क्यों ?

निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ़ निर्मल बाबा के खिलाफ कई दिनों से टी वी में जो बाँय -बाँय मची है वह क्यों ?
अगर कोई नास्तिक अपने को वैज्ञानिक सोच का आदमी मानता है तो वह माने पर भारतीय संस्कृति में ईश्वर विषयक ज्ञान ही परम विज्ञान है और निर्मलजीत सिंह का विरोध इस बात के लिए नहीं होना चाहिए कि वे वैसी शक्तियों की बात करते हैं जो अलौकिक लगती हैं ।
यह तो स्पष्ट लगता है कि बहुत से लोगों को उनसे जलन है क्योंकि उनके पास उनके भक्तों द्वारा दी गयी एक बड़ी धनराशि आ गयी है । यह जलन पापपूर्ण है । लोग इससे बचें ।
हजारों करोर रुपयों के घोटाले पर भी कभी ऐसी बहस नहीं देखा जैसी आजकल निर्मल बाबा पर हो रही है ।
अगर कोई हँसी, मनोरंजन , शराब , शरीर, ब्लू फिल्म , सिगरेट इत्यादि बेचे तो ठीक और ज़रा कृपा का कारोबार कर बैठा तो खराब । छिह! ऐसे समाज पर ।
अगर किसी को उतनी ही चिंता है तो जैसे सिगरेट पर लिखते हैं कि तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वैसे ही समागम पर लिखवा दें कि अंधविश्वास मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
अगर थोडा-सा फूहरपन माफ़ कर दें तो देता कौन है और ...ट ती किसकी है ।
मैं तो चाहूँगा और इस ब्लॉग के माध्यम से आग्रह करुँगा बाबागिरी को उद्योग का दर्जा प्रदान किया जाय ।
आज से दस वर्ष (लगभग) मुझे एक दिव्य आशीर्वाद प्राप्त हुआ है कि मैं संसार का सबसे बड़ा बाबा बनूँगा और मेरे बड़े भाई उसके प्रत्यक्षदर्शी गवाह हैं । निर्मल जी ने एक तरीका प्रस्तुत किया है । उन्हें कोटि-कोटि धन्यवाद !

1 comment:

Shri Sitaram Rasoi said...

आदरणीय ओम जी,
दो बातें बहुत अहम है।
1- सरकार को टीवी के लिए कानून बनाने चाहियें और सुनिश्चित करना चाहिये कि लोगों को बेवकूफ बनाने बाले या आपत्तिजनक कार्यक्रम नहीं दिखाएं जायें।
2- हममे ज्यादातर लोग बेवकूफ बनने को तैयार ही रहते हैं और जब तक ऐसा है कोई ना काई निर्मल बाबा आता ही रहेगा।
डॉ. ओम