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27.5.12

कवि गुरू : याद और विवाद






शंकर जालान










नि:संदेह इसी बार 8 मई को कवि गुरू रवींद्र नाथ टैगोर का जन्मदिन अन्य सालों की तुलना में अधिक जगह और अधिक धूमधाम से मनाया गया, लेकिन कई वजह से यह विवादों में भी रहा। इस वर्ष रवींद्र नाथ टैगोर को विवादों के साथ याद किया गया। तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य सरकार ने
अतीत की परंपरा को तोड़ते हुए इस बार किसी को भी रवींद्र पुरस्कार नहीं दिया, जो कई लोगों का नागवार गुजरा। मालूम हो कि प्रतिवर्ष पचीसे वैशाख यानी रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर यह पुरस्कार साहित्य क्षेत्र के किसी विशिष्ट लोगों को दिया जाता रहा है, लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने इस बार रवींद्र पुरस्कार नहीं दिया। रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर साहित्य के इस बड़े पुरस्कार को अचानक बंद कर देने से कला, साहित्य व संस्कृति जगत के लोग काफी नाराज हैं। इस बात पर हैरत जताते हुए लोगों ने कहा कि सत्ता में आने के करीब एक साल के बाद भी नई सरकार को क्या साहित्य क्षेत्र की एक भी ऐसी विशिष्ट प्रतिभा नहीं मिली, जिसे रवींद्र पुरस्कार से नवाजा जा सके? बीते 60 साल से राज्य सरकार की तरफ से रवींद्र पुरस्कार दिया जाता है। 1950 से प्रतिवर्ष यह पुरस्कार रवींद्र जयंती के मौके पर प्रदान किया जा रहा है।1950 में पहला रवींद्र पुरस्कार सतीनाथ भादुड़ी व निहाररंजन राय को प्रदान किया गया था। उसके बाद परशुराम, ताराशंकर बंद्योपाध्याय, प्रेमचंद मित्र, आशापूर्णा देवी, विमल मित्र, सुशोभन सरकार, लीला मजुमदार, शंख घोष आदि को इस रवींद्र पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। वर्ष 2011 में यह पुरस्कार नोबेल जयी व विशिष्ट अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को दिया गया था। वहीं, राज्य सरकार की ओर से रवींद्र जयंती समारोह का आयोजन पारंपरिक स्थल और समय में किया गया बदलाव भी लोगों को रास नहीं आया।  रवींद्र जयंती समारोह का आयोजन रवींद्र सदन परिसर में न कर इसे परिवर्तित स्थान पर आयोजित करने के कदम पर लोगों ने भारी नाराजगी जताई। राज्य सरकार ने सुबह छह बजे के बदले दोपहर दो बजे एकाडेमी आॅफ फाइन आर्ट्स के सामने खुली सड़क पर रवींद्र जयंती समारोह आयोजित किया, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई नेता व मंत्री व कलाकार भी उपस्थित रहे।
रवींद्र जयंती पर आज महानगर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्कूल, कालेज आदि शिक्षण संस्थानों समेत विभिन्न इलाकों में भी रवींद्र जयंती का पालन किया गया। कई जगह बच्चों व छात्रों ने जुलूस निकाला। इसके अलावा रवींद्र जयंती के मौके पर विभिन्न तरह के आयोजन भी हुए, जिसमें संगीत, काव्य-पाठ, आवृत्ति, रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन पर नाटकों का मंचन, प्रभात फेरी आदि प्रमुख थे। इसमें महिलाओं व स्कूली बच्चों ने रंग-बिरंगी पोशाकों में हिस्सा लिया। 
विशिष्ट रवींद्र संगीत गायिका पुरबी मुखोपाध्याय ने राज्य सरकार के फैसले पर विरोध जताते हुए कहा-‘पचीसे वैशाख’ पर सुबह होने वाले कार्यक्रम की हम उत्सुकता से इंतजार करते हैं। ऐसे पारंपरिक व सम्मानजनक समारोह के समय में परिवर्तन कर इसे दोपहर कर देने का कोई अर्थ समझ में नहीं आ रहा है। मशहूर वाचिक कलाकार गौरी घोष ने कहा-हम सरकारी फैसले का कड़ा विरोध करते हैं। 
एसएफआई के प्रदेश सचिव सायंनदीप मित्र व डीवाईएफआई के प्रदेश सचिव आबास रायचौधरी ने कहा कि प्रतिवर्ष राज्य सरकार की तरफ से रवींद्र जयंती पर रवींद्र सदन परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि यह परंपरा पिछले चार दशक से भी ज्यादा समय से चल रही है। लेकिन इस बार राज्य सरकार ने यह आयोजन सुबह के बदले दोपहर दो बजे करने का निर्णय लिया है जो पूरी तरह परंपरा का उल्लंघन है। 
इधर, कुछ हलकों में राज्य सरकार के इस फैसले के पीछे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की दिनचर्या को मुख्य कारण बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री सुबह देर से सोकर उठती हैं। बाद में व्यायाम, स्नान व पूजा-पाठ करने में उनको काफी वक्त लग जाता है। ऐसे में रवींद्र जयंती के मौके पर सुबह के कार्यक्रम में वे हिस्सा नहीं ले सकतीं, लिहाजा इस बार सरकार की तरफ से रवींद्र जयंती समारोह का स्थान व समय बदल दिया गया है।
मालूम हो कि यह साल कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती का समापन वर्ष था। एक साल पहले यानी 2011 से 2012 के दौरान कोलकाता समेत पूरे राज्य में टैगोर की याद में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। केंद्र सरकार ने रवींद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती के समापन के मौके पर बोलपुर स्थित विश्वभारती के विकास के लिए 150 करोड़ रुपए मंजूर किया है। बांग्लादेश की विदेश मंत्री दीपू मोनी की मौजूदगी में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इसकी घोषणा की। इस मौके पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी उपस्थित थे। इसी समारोह में प्रतिवर्ष ‘टैगोर इंटरनेशनल’ सम्मान प्रदान करने की भी घोषणा की गई। इस बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला व संस्कृति जगत में विशिष्ट योगदान के लिए मशहूर सितारवादक पंडित रविशंकर को यह सम्मान देने की घोषणा की गई। इस साल के अंत में एक समारोह में राष्ट्रपति उनको यह सम्मान प्रदान करेंगे।

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