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11.9.12

कटाक्ष : परिचय कथा


कटाक्ष : परिचय कथा 

आपका नाम ?
उत्तर मिला - अभिव्यक्ति।
क्या चाहती हो?
सुख का बसेरा।
यहाँ से चली जाओ ,यहाँ जिसकी लाठी उसकी भेंस वाला हाल है।
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आपका नाम ?
उत्तर मिला - वाणी।
क्या चाहती हो?
उत्तर मिला - स्वतंत्रता।
यहाँ लोकतंत्र है,दूसरी जगह ढुंढ़ो।
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आपका नाम ?
उत्तर मिला -  घोटाला।
कहाँ रहते हो ?
उत्तर मिला - देश खाऊ के इर्द-गिर्द।
क्या चाहते हो ?
प्रजा सोती रहे ,मैं जगता रहूँ।
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आपका नाम ?
उत्तर मिला- लूट।
कहाँ रहती हो ?
उत्तर मिला - सत्ता के क्षेत्रफल में।
क्या चाहती हो?
उत्तर मिला - जबान को लगाम।  
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आपका नाम ?
उत्तर मिला - सूक्ति
यहाँ क्यों आयी ?
उत्तर मिला- लोक-मंदिर में रहने।
अब कहाँ जा रही हो?
उत्तर मिला-  बेइज्जती की रपट लिखाने।
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आपका नाम ?
उत्तर मिला- लेखनी
क्या काम करती हो ?
उत्तर मिला - प्रतिबिम्ब दिखाना।
........मगर तुम्हें निमंत्रण नही था, बिन बुलाई मेहमान।
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आपका नाम ?
उत्तर मिला - मौन
पहले कहाँ थे ,अब कहाँ हो ?
उत्तर मिला - ऋषियों की कुटिया में ,अब लुटेरो की बस्ती में।
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 आपका नाम ?
उत्तर मिला -समय।
क्या करते हो ?
उत्तर मिला - परिवर्तन।
कब करोगे ?
जब तुम अपने अधिकार के लिए लड़ोगे।
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आपका नाम ?
उत्तर मिला - रिमोट।
तुम अपाहिज कैसे हुये ?
उत्तर मिला - पैदायश ही ऐसी है, गैरों के हाथो की पुतली हूँ
काम के हो, सिंहासन पर बैठ जाओ।
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