31.10.12
Indira Gandhi: दुर्गा या दानव
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manojsah
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30.10.12
hindustan huyee ?
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Dr Om Prakash Pandey
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देर आयद मगर दुरूस्त नहीं आयद-ब्रज की दुनिया
मित्रों, किसी महान लेटलतीफ भारतीय ने कभी अपनी लेटलतीफी के बचाव में शायद यह महान मुहावरा गढ़ा होगा-देर आयद दुरूस्त आयद। लेटलतीफी हम भारतीयों के खून में जो है। बाद में भारतीय रेल ने इसे किंचित संशोधन के साथ अपना लिया-दुर्घटना से देर भली। लेकिन कोई जरूरी नहीं कि विलंबित ताल में निबद्ध हरेक रचना महान ही हो। कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि खिचड़ी बनने में काफी देर लग जाए और फिर भी खिचड़ी अधपकी हो या फिर जल गई हो। अब कांग्रेस पार्टी द्बारा केंद्रीय मंत्रीमंडल में किए गए बदलाव को ही लीजिए जिसके लिए काफी समय से लोगों की आँखें 10 जनपथ पर लगी हुई थीं। बदलाव हुआ जरूर है लेकिन वैसा नहीं जैसी कि उम्मीद की जा रही थी। बल्कि इस परिवर्तन के बहाने कुछ ऐसे भी कदम उठाए गए हैं जो जनता की आशाओं के नितांत विपरीत हैं। उदाहरण के लिए मलाईदार और अतिघोटाला संभावित मंत्रालय में काफी होते हुए भी अब तक सीएजी की नजर में ईमानदार रहे जयपाल रेड्डी को पदावनत कर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में भेज दिया गया है। जिस तरह सोमवार को रेड्डी ने अपना नया कार्यभार नहीं संभाला उससे तो यही कयास लगाया जा रहा है कि इसके पीछे हो-न-हो उद्योगपति मुकेश अंबानी का हाथ है।
मित्रों, जहाँ एक तरफ जयपाल रेड्डी को उनकी ईमानदारी के लिए दंडित किया गया है वहीं "दाग अच्छे हैं" की अपनी पुरानी नीति पर चलते हुए असहाय विकलांगों का पैसा खा जानेवाले सलमान खुर्शीद को पुरस्कृत करते हुए अतिमहत्त्वपूर्ण विदेश मंत्रालय की बागडोर सौंप दी गई है। इतना ही नहीं आईपीएल की कालेधन की बहती गंगा में हाथ धोने के बदले जमकर स्नान करने के आरोपी शशि थरुर को भी फिर से मंत्री बना दिया गया है। अभी कुछ ही दिन पहले कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा अध्यक्ष से मिलीभगत कर राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में अभूतपूर्व कौशल का प्रदर्शन करने के आरोपी सुरेश कलमाड़ी और 2-जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में घोटालों का विश्व कीर्तिमान स्थापित करनेवाले ए. राजा को अतिमहत्त्वपूर्ण संसदीय समितियों का सदस्य बनवाकर भी कांग्रेस नेतृत्व ने यही संकेत दिया था कि उसका "दाग अच्छे हैं" की नीति में अभी भी अटूट निष्ठा है। अब जहाँ नेतृत्व की नीति ही उल्टी गंगा बहाने की हो वहाँ आसानी से यह समझा जा सकता है कि नए आनेवाले मंत्रियों से नेतृत्व की क्या अपेक्षाएं हैं और नेतृत्व ने उनको किस प्रकार से या किस प्रकार के काम करने के निर्देश दिए होंगे।
मित्रों, काफी समय पहले महनार में अजंता सर्कस लगा था। तभी एक नए हाथी को सर्कस में शामिल किया गया। जोर-शोर से लाउडस्पीकरों से प्रचार किया गया कि सर्कस में लाया गया हाथी कमाल का है इसलिए यह कमाल के करतब भी दिखाएगा, जैसे-यह फुटबॉल खेलेगा,सूंड से बल्ला पकड़कर क्रिकेट खेलेगा,गेंदबाजी भी करेगा,बाबा रामदेव की तरह योगासन भी करेगा इत्यादि। सर्कस देखने के लिए घोषित तिथि को लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बैठे हुए लोगों से कई गुणा ज्यादा संख्या ऐसे दर्शकों की थी जो खड़े थे। फिर बेकरारी भरा वह पल भी आया जब उक्त हाथी को प्रदर्शन के लिए उपस्थित किया गया। सामने एक फुटबॉल रखा गया जिसे हाथी को किक करना था। हाथी आया और चुपचाप खड़ा हो गया। प्रशिक्षक ने कई-कई बार बार-बार आवाज लगाई लेकिन हाथी अपनी जगह से हिला ही नहीं। ईधर दर्शकों का धैर्य भी जवाब देने लगा था। वे अपना गुस्सा बेजान कुर्सियों पर उतारने लगे। अंत में जब अंकुश से हाथी के मस्तक पर प्रहार किया गया तो उसने अपने पिछले पैरों को मोड़ लिया और पहले तो पटाखा छूटने की-सी धमाकेदार ध्वनि उत्पन्न करनेवाला गैस-विसर्जन किया और फिर बैठ गया। और तभी हमारे राज्य वैशाली जिले में एक नई कहावत ने जन्म लिया-हाथी अयलन (आया) हाथी,हाथी पदलक (पादा) पोएं। रविवार को कांग्रेसरूपी हाथी (बतौर खुर्शीद साहब) द्वारा केंद्र सरकार में किया गया विस्तार और हेर-फेर भी कुछ ऐसी ही घटना है। इस करतब के द्वारा सिर्फ वोट-बैंक को साधने और बेईमानों को प्रोत्साहित करने और ईमानदारों को दंडित करने की ईमानदार कोशिश की गई है। जहां तक युवाओं को ज्यादा संख्या में सरकार में शामिल करने और जिम्मेदारी का काम सौंपने का सवाल है तो सरकार और पार्टी की रसातल में जा चुकी साख को फिर से आसमान की बुलंदियों तक उठाने के लिए मंत्रियों का सिर्फ युवा होना ही काफी नहीं हो सकता बल्कि सबसे बड़ी शर्त तो ईमानदारी होती है जो कि नेतृत्व को चाहिए ही नहीं।
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ब्रजकिशोर सिंह
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ASHUTOSH VERMA
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सुब्रमण्यम स्वामी के खुलासों से सोनिया-राहुल पस्त, मीडिया फिर भी मस्त
http://www.youtube.com/watch?v=RfQohTipfkg&feature=youtu.be&noredirect=1
वो कहते है कि वो केजरीवाल की तरह केवल आरोप लगा कर भागने वाले नहीं है। वो इन आरोपों को न्यायालय में ले जायेंगे और इन मुद्दों को अंत तक ले जायेंगे।
डॉ स्वामी ने यह भी बताते है कि किस प्रकार से सोनिया गाँधी विभिन्न घोटालो में संलिप्त है और किस प्रकार से सोनिया गाँधी ने अनेको येसे काम किये है। जिसके लिए उन्हें कानूनी तौर पर सजा मिलनी चाहिए। डॉ स्वामी कहते है की सोनिया गाँधी का चोरी करने का इतिहास रहा है सबसे पहले इनसुरेन्स एजेंट बनकर चोरी किया, फिर मारुती का टेक्निकल डायरेक्टर बनकर चोरी किया, फिर वो झूटे तरीके से वोटर बन गयी, राहुल गाँधी जब पैदा हुआ तो उसको इतालियन नागरिक बना दिया। तो इस तरह से सब कुछ मिला कर यह देश का सबसे महाभ्रुस्त परिवार है यह और इस परिवार की पोल खोलने की प्रक्रिया आज से उन्होंने सुरु कर दी है।
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29.10.12
‘हिंदी’ में बोले मनमोहन सिंह
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27.10.12
पगथिया: मोहब्बत एक दरिया है .........
पगथिया:
मोहब्बत एक दरिया है .........:
मोहब्बत एक दरिया है, जो डूब गया वो दीवाना।
शमा तो एक जरिया है , जो मिट गया वो परवाना।।
आँखों ...
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25.10.12
अथ श्री हाथी-चींटी कथा-ब्रज की दुनिया
मित्रों,यह सही है कि इस हाथी में इन दिनों अपार बल है। वह पागल भी हो गया है और इसलिए अपने देश को ही उजाड़ने लगा है,तहस-नहस करने लगा है। बलवान हो भी क्यों नहीं उसके पास सलमान खुर्शीद जैसे ऑक्सफोर्ड रिटर्न जो हैं। मुश्किल यह है कि ऑक्सफोर्ड इंगलैंड में है और वहाँ के जंगलों में हाथी होता नहीं इसलिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के नाती खुर्शीद साहब को हाथी के बारे में पढ़ाया भी नहीं गया होगा। वहाँ के पाठ्यक्रम में तो भेड़ियों के बारे में जानकारी देनेवाले पाठ ही होंगे जो वहाँ के जंगलों में पाए जाते हैं। अगर ऑक्सफोर्ड में हाथी के बारे में पढ़ाया जाता तो खुर्शीद साहब ऐसा बयान हरगिज नहीं देते कि हाथी का चींटी क्या बिगाड़ लेगी? तब उनको यह पता होता कि अगर हाथी की सूंड में चींटी घुस जाए तो हाथी की मौत हो जाती है। इस अवस्था में पहले तो हाथी पागल होकर आत्मविनाशक हो जाता है,अपना ही नुकसान करने लगता है और अंत में मर जाता है।
मित्रों,मैं अपने एक आलेख "बालकृष्ण की गिरफ्तारी के निहितार्थ" में काफी पहले केंद्र सरकार को हाथी और आमआदमी को चींटी से संबोधित कर चुका हूँ। अपने उस आलेख में भी मैंने यह बताया था कि एक अकेली चींटी भी अगर हाथी की सूंड में घुस जाए तो इत्ती-सी जीव उसकी जान भी ले सकती है। अगर मेरे उस आलेख को खुर्शीद साहब ने पढ़ा होता तो वे इस तरह का बचकाना बयान नहीं देते लेकिन वे क्यों मुझे पढ़ने लगे? जब उनके लिए आज के भारत का सबसे बड़ा यूथ आईकॉन बन चुका अरविंद केजरीवाल ही चींटी के समान है तो मैं तो शायद उनके लिए जीवाणु होऊंगा जिसे नंगी आँखों से देखा भी नहीं जा सकता।
मित्रों, सलमान खुर्शीद अपने जमाने में किस स्तर के विद्यार्थी रहे होंगे पता नहीं लेकिन इन दिनों साहब कभी राजनीतिज्ञों का इतिहास नहीं पढ़ते हैं यह तय है। आश्चर्य है कि वे हमसे काफी बड़े हैं फिर भी भारतीय राजनीति में कब,क्या और क्यों हुआ उनको पता नहीं है? हमने खुद ही नंगी आँखों से लालू-कल्याण के सूरज को राजनीति के आसमान पर चढ़ते और फिर उतरते देखा है। मुझसे कुछ साल बड़े मेरे भाइयों-बहनों ने इसी कांग्रेसी हाथी पर सवार इंदिरा गांधी को पहले तो जेल भेजते हुए और फिर जेल जाते भी देखा है। मैंने खुद 80 के चुनाव में "पूड़ी-कचौड़ी तेल में,इंदिरा गांधी जेल में" के नारों से आकाश को गुंजायमान होते हुए देखा है। लोकतंत्र में जनता कब किसे उठाकर रद्दी की टोकरी में फेंक दे,कब चींटी को हाथी और हाथी को चींटी बना दे कोई नहीं जानता। फिर भी अगर सलमान खुर्शीद अपने और अपने भाग्य के ऊपर इतरा रहे हैं तो इसे उनका बचपना ही मानना और समझना पड़ेगा। कहा भी गया है-
भीलन लूटी गोपिका वही अर्जुन वही बाण।
पुरूष बली नहिं होत है समय होत बलवान।।
मित्रों,आलेख के प्रारंभ में ही मैंने इस बात का जिक्र किया है कि भ्रष्टाचार शास्त्र के परम् विद्वान और हेराफेरी के जानेमाने विशेषज्ञ खुर्शीद साहब के अनुसार कांग्रेस पार्टी एक हाथी है और चूँकि खुर्शीद साहब भी कांग्रेस में हैं तो प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर वे इस हाथी का कौन-सा भाग हैं? खैर ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई करने के कारण हो सकता है कि उनको हाथी का भूगोल पता नहीं होगा। कोई बात नहीं उनको पता नहीं है तो क्या हुआ हमें तो पता है और अच्छी तरह पता है। जनाब खुर्शीद साहब कांग्रेसरूपी हाथी का खानेवाले दाँत,पेट,आँत,दिल,दिमाग,सूंड,पूँछ तो हो सकते नहीं क्योंकि यह सब तो सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार का कोई लायक-नालायक सदस्य ही हो सकता है। इन दिनों पूँछ पर राबर्ट बाड्रा का दावा सबसे मजबूत लगता है जिस पर हथौड़ा पड़ते ही इन दिनों हाथी पागल-जैसा हो गया है। बचे दिखाने के दाँत तो यह ओहदा सबको पता है कि इन दिनों माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास है। सबसे अंत में तो हाथी की लीद ही बचती है जो जनाब खुर्शीद साहब हो सकते हैं। वैसे इस लीद में भी कई आश्चर्यजनक गुण और विशेषताएँ पाई जाती हैं जिन पर फिर कभी किसी अन्य सुअवसर पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
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ब्रजकिशोर सिंह
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कानजीलाल वर्सेस कजरीवाल ? O.M.G..!

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Markand Dave
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24.10.12
मेला...
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मेले में केला |
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मेले में पकौडी |
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मेले में मिट्टी के खिलौने |
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मेले में कोका कोला |
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मेले में गूड की जलेबी |
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मेले में रेली का रेला |
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M. Afsar Khan
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खुशी-खुशी खुशी को अपना लिया
दफ्न कर गमों को झुठला दिया
कब्र में मगर भूल गया नमक डालना
लौटकर भुतहा सा रूह ने कंपा दिया
दफ्न गमों का पिंजर न गल सका
अक्ल में फिर-फिर वह आ खड़ा
महफूज नहीं इन खुशियों के बीच भी
अफसोस फिर भी खुश नहीं ताउम्र
अटपटा लगे, तो न कहना
यह दस्तूर ए जहां है
चाहो खुशी तो मिलती है वो जरूर
पर मगर गमों के चादर में लिपटी हुई
अस न बस खोलोगे खुशी फिर भी गमों को उकेर कर।
-सखाजी
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Barun Sakhajee
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जिंदगी की कहानी
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ASHISH KUMAR
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शर्म करो महाराज !
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आम आदमी
आम आदमी
क्या रावन लँका में पैदा होते हैं ?
पता नहीं ,मगर यहाँ स्वदेशी का खूब चलन है !!
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विजया दशमी की शुभ कामनाएँ ,आम जनता को छोड़कर ... ?
क्योंकि आम जनता के पटाखे फूटते हैं!!
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एक ही थेली के चट्टे-बट्टे , सिद्ध कीजिये ?
पक्ष और विपक्ष को गले मिलते देखिये !!
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एक वचन या बहु वचन - सदाचार और भ्रष्टाचार ?
सदाचार तो एक जैसा ही होता है पर भ्रष्टाचार तो बहुआयामी रंगीला ..!!
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भक्त - गुरूजी,सुख और दुःख कैसे जाने ?
गुरु- जिसको सबने मिल कर चुना वह दुःख और जो चुना गया
वह सुख।
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गाँव-गाँव में फर्जीवाड़ा पहुंचाईये ?
सरल ,बस बाप ... आप मनरेगा को खूब दूध पिलाईये !!
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"कोयला के सानिध्य" की करामात बतलाईये ?
कोयला अन्दर से भी काला और बाहर से भी, मगर सानिध्य पाने
वाला अन्दर से काला और बाहर से धोल्ला !!
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कानून अपना काम करेगा ?
.................आम आदमी पर !!
न्यायालय में देख लेंगे ?
...................आम आदमी को !!
कानून के हाथ लम्बे होते हैं ?
.................आम आदमी तक !!
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Unknown
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Labels: vyangya
23.10.12
हर सरफरोश .........
हर सरफरोश दुनिया में
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ASHISH KUMAR
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