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19.10.12

पवार के मामले में चुप्पी क्यों साधे हैं दिग्गज!


नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री एवं राष्टÑवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार के विवादित मामले में विपक्षी दलों ने भी आश्चर्यजनक रूप से ‘संयम’ का परिचय दिया है। इन लोगों ने उन पर लगे घोटालों के आरोपों पर एकदम नरम तेवर अपनाए रखे। जबकि ऐसे मामलों में आमतौर पर विपक्षी नेता आक्रामक निशाना साधते नजर आते हैं। पूर्व आईपीएस अफसर एवं वकील वाई पी सिंह ने पवार के कुनबे पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगाए हैं। कहा है कि बहुचर्चित लवासा सिटी प्रोजेक्ट में अरबों रुपए का खेल कर दिया गया है। इस खेल में शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार की खास भूमिका रही है। इस घोटाले के तमाम दस्तावेज, उन्होंने अरविंद केजरीवाल को दिए थे। लेकिन उन्होंने भी अज्ञात कारणों से इस मामले को दबाए रखा। ऐसे में उन्होंने खुद पवार कुनबे की पोल खोलने की मुहिम शुरू कर दी है। वाई पी सिंह ने कल मुंबई में मीडिया कांफ्रेंस करके लवासा मामले का खुलासा किया है। उन्होंने एक तरफ पवार परिवार को लपेटे में लिया, तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के चर्चित कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल की नीयत पर भी सवाल उठाया है। वाई पी सिंह ने इस बात पर खास हैरानी जाहिर की है कि केजरीवाल ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ मामला उठाने की पहल कर दी। जबकि लवासा सिटी घोटाले के आगे गडकरी की जमीन का विवाद बहुत छोटा मामला है। उल्लेखनीय है कि बुधवार को यहां टीम केजरीवाल ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने महाराष्टÑ सरकार से मिली-भगत करके किसानों की 100 एकड़ जमीन खुद ले ली है। जबकि यह जमीन बांध बनाने के लिए किसानों से बहुत सस्ती दरों पर ली गई थी। लेकिन गडकरी अपने राजनीतिक रुतबे का लाभ व्यवसायिक हितों के लिए लगातार ले रहे हैं। उनकी 17 कारोबारी कंपनियां हैं। जिनका सालाना कारोबार अरबों रुपए का है। केजरीवाल कहते हैं कि ऐसे में गडकरी, नेता कम व्यापारी ज्यादा हैं। इस स्थिति में मुख्य विपक्षी दल भाजपा से देश कैसे उम्मीद करे कि वह गडकरी के नेतृत्व में विपक्ष की सही भूमिका निभा भी पाएगी। इस मामले को लेकर राजनीतिक हलकों में विवाद गरम बना हुआ है। कांग्रेस के नेताओं ने मांग की है कि टीम केजरीवाल के आरोप गंभीर हैं। ऐसे में नैतिकता के आधार पर भाजपा नेतृत्व को ही तय कर लेना चाहिए कि किस तरह की जांच जरूरी है। टीम केजरीवाल के आरोपों को गडकरी ने खारिज किया है। उन्होंने कह दिया है कि वे इस मामले में किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं। इस मामले में एक खास बात यह है कि यहां राजनीतिक हलकों में कई दिन से चर्चा थी कि केजरीवाल, गडकरी के खिलाफ कोई मामला उठाने वाले हैं। ऐसे में भाजपा नेतृत्व ने भी पहले से ही पलटवार की रणनीति बना ली थी। पार्टी नेतृत्व ने टीम केजरीवाल के आरोपों को नकारने में देरी नहीं लगाई थी। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने यहां तक कह डाला कि गडकरी पर गलत आरोप लगाकर टीम केजरीवाल ने अपनी रही-सही साख भी डुबो दी है। गडकरी के मामले के पहले टीम केजरीवाल ने केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के प्रकरण में बवाल खड़ा किया था। आरोप लगाया था कि खुर्शीद के नेतृत्व वाले एक एनजीओ ने विकलांग कल्याण के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला किया है। इस हेरा-फेरी के लिए बडेÞ पैमाने पर फर्जी वाड़ा किया गया है। इन आरोपों को लेकर कांग्रेस का नेतृत्व टीम केजरीवाल के प्रति आक्रामक मुद्रा में आ गया है। केंद्रीय मंत्री खुर्शीद ने एक टीवी चैनल को कानूनी लड़ाई में घसीट लिया है। इस मसले पर टीम केजरीवाल कई दिनों तक दिल्ली में प्रदर्शन करती रही है। खुर्शीद के इस्तीफे की मांग को लेकर केजरीवाल अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ एक दिन नजरबंद भी रह चुके हैं। अब उन्होंने ऐलान किया है कि वे 1 नवंबर को खुर्शीद के संसदीय क्षेत्र फर्रुखाबाद में आंदोलन करेंगे। इस ऐलान को लेकर खुर्शीद ने कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया है। गुस्से में वे कई बातें ऐसी कह गए, जिसे कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी पचा नहीं पा रहा है। खुर्शीद मामले के पहले टीम केजरीवाल ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ समूह के लेन-देन के मामले में तमाम गंभीर आरोप लगाए थे। चूंकि यह मामला सीधे सोनिया गांधी के परिवार से जुड़ा था, ऐसे में राजनीतिक विवाद अब तक ठंडा नहीं हुआ है। इस प्रकरण को लेकर कांग्रेस का नेतृत्व टीम केजरीवाल से बुरी तरह से खफा है। लेकिन ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ के कार्यकर्ता लगातार किसी ना किसी बड़े नेता पर निशाना साधने में लगे हुए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री पवार पर निशाना साधने वाले वाई पी सिंह ने एक तरफ, जहां पवार की भूमिका पर आरोपों की बौछार की है, वहीं दूसरी तरफ केजरीवाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। वाई पी सिंह का दावा है कि 2002 में शरद पवार के भतीजे, अजित पवार ने महाराष्टÑ के सिंचाई मंत्री के रूप में एक निजी कंपनी ‘लेक सिटी कॉरपोरेशन’ पर खास मेहरबानी की थी। इन्होंने किसानों की 348 एकड़ जमीन डेवलप करने के लिए लेक सिटी को दे दी थी। वह भी महज 23 हजार रुपए महीने की लीज पर। यह जमीन इस संस्थान को फिलहाल 30 साल के लिए लीज पर दी गई है। पूर्व आईपीएस अफसर का दावा है कि वे जो भी आरोप लगा रहे हैं, उनके पास सभी के पुख्ता प्रमाण हैं। आरोप है कि अजित पवार ने कॉरपोरेशन पर मेहरबानी इसलिए की थी, क्योंकि इसमें शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और उनके पति के करीब 21 प्रतिशत के शेयर थे। हालांकि 2006 में सुप्रिया ने अपने शेयर बेच दिए थे। दावा किया गया है कि परोक्ष रूप से पवार परिवार, लवासा सिटी प्रोजेक्ट में बड़ा लाभार्थी रहा है। ‘एक्सिस बैंक’ ने लवासा कॉरपोरेशन का मूल्यांकन 10 हजार करोड़ रुपए का किया है। इसमें सुप्रिया के पति के 10 प्रतिशत के शेयर अभी भी हैं। ऐसे में उनकी यह संपत्ति अरबों रुपए की बैठती है। जबकि 2009 में सुप्रिया ने जब लोकसभा का चुनाव लड़ा था, तो उन्होंने अपने परिवार की निजी संपत्ति महज 15 करोड़ रुपए ही घोषित की थी। ऐसे में संपत्ति के शपथ-पत्र में भी उन्होंने धोखाधड़ी की है। केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में शरद पवार ने लवासा कॉरपोरेशन को किस तरह के फायदे कराए हैं, इनको लेकर भी वाई पी सिंह ने तमाम आरोप लगाए हैं। आरोपों से जुड़े तमाम दस्तावेज भी उन्होंने मीडियावालों को दिए थे। इतने गंभीर आरोप पवार पर एक साथ लगा दिए गए हैं। इसके बावजूद विपक्षी दलों ने इस मामले को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया है। भाजपा-शिवसेना सहित किसी विपक्षी दल ने पवार के खिलाफ कोई कड़ी टिप्पणी नहीं दर्ज कराई है। टीम केजरीवाल के सिपहसालार कुमार विश्वास कहते हैं कि दरअसल, बड़े नेताओं के भ्रष्टाचार खुलने से इनके बीच एक अघोषित गठजोड़-सा हो गया है। शायद इसी का नतीजा है कि नेता एक-दूसरे के खिलाफ बोलने से परहेज कर रहे हैं। कुमार विश्वास ने वाई पी सिंह के इन आरोपों को गलत ठहराया है कि किसी खराब नीयत के चलते उनकी टीम ने पवार के मामले को दबाने की कोशिश की थी। कुमार विश्वास का दावा है कि वे लोग पवार के मामले में और पुख्ता तैयारी करने के फेर में थे। लेकिन वाई पी सिंह धैर्य नहीं रख पाए और अब गलत आरोप लगा रहे हैं। अपने इस रवैये से पता नहीं, वे किसका हित साधना चाहते हैं? साभारः- वीरेंद्र सेंगर (कार्यकारी संपादक), डीएलए

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