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23.10.12



अजय सिंह को विस उपाध्यक्ष और हरवंश सिंह को प्रदेश चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाने के असंतुष्टों के प्रस्ताव से सियसी हल्के हुये भौंचक
 बीते दिनों दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व परिवर्तन को लेकर असंतुष्ट विधायकों की केन्द्रीय नेताओं से हुयी मुलाकात अखबारों की सुर्खी बनी हुयी हैं। इन नेताओं ने मिशन 2013 में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिये केन्द्रीय नेताओं एक पांच सूत्रीय र्फामूला सुझाया हैं। अखबारों में दावा किया जा रहा हैं कि यह मुहिम प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता महेश जोशी के नेतृत्व में चलायी जा रही हैं जिसमें सिंधिया समर्थक गुट शामिल हैं। इस अभियान से यह चर्चा जोर पकड़ गयी हैं कि अभी से मुख्यमंत्री बनने की बिसात बिछना चालू हो गयी हैं। इंकाई राजनीति को जानने वालों का दावा है कि महेश जोशी की हरवंश सिंह के बीच  सालों से तना तनी चल रही हैं। राजनैतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि हरवंश-शिवराज सांठ गांठ के आरोपों के चलते यह मुहिम फेल भी हो सकती हैं। हाल ही में संविधान में हुये संशोधन ाके लेकर जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन खासे उत्साहित हें कि गड़करी की भांति उन्हें भी लगातार दूसरी पारी खेलने को मिल सकती हैं। सिवनी के पूर्व और वर्तमान भाजपा विधायकों नरेश दिवाकर और नीता पटेरिया को अन्य जिलों का चुनाव प्रभारी बनाने को लेकर भी तरह तरह की चर्चायें जारी हैं। पिछले विस चुनाव में गौगपा उम्मीदवार के रूप में 39 हजार वोट लेने वाली इंका नेत्री एवं जनपद अध्यक्ष राजेश्वरी उइके ने आगामी चुनाव में कांग्रेस से उम्मीदवार बनने के लिये अपनी दावेदारी ठोंक दी हैं।
जिले मे चर्चा है प्रदेश इंका असंतोष की-प्रदेश कांग्रेस में चल रहे उठा पटक के दौर की जिले के राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चा जारी हैं। बीते दिनों दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व परिवर्तन को लेकर असंतुष्ट विधायकों की केन्द्रीय नेताओं से हुयी मुलाकात अखबारों की सुर्खी बनी हुयी हैं। इन नेताओं ने मिशन 2013 में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिये केन्द्रीय नेताओं एक र्फामूला सुझाया हैं। इस र्फामूले तहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को केन्द्रीय मंत्री बनाने, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने, वरिष्ठ आदिवासी विधायक बिसाहूलाल सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह को प्रदेश चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाने का सुझाव दिया गया हैं। अखबारों में दावा किया जा रहा हैं कि यह मुहिम प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता महेश जोशी के नेतृत्व में चलायी जा रही हैं जिसमें सिंधिया समर्थक गुट शामिल हैं। इस अभियान से यह चर्चा जोर पकड़ गयी हैं कि अभी से मुख्यमंत्री बनने की बिसात बिछना चालू हो गयी हैं जबकि आज इस बात कीे कोई गारंटी नहीं हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन ही जायेगी। गुटबाजी के लिये मशहूर मध्यप्रदेश में जब तक कांग्रेस के सभी गुटों को आला कमान पूरी सख्ती के साथ एक जुट होकर कांग्रेस को जिताने के लिये लाम बंद नहीं करेगा तब तक कांग्रेंस की संभावनायें प्रबल नहीं बन सकती हैं। और ऐसा हो पायेगा? यह कहना भी अभी संभव नहीं दिख पा रहा हैं। चूंकि इस अभियान में दिये गयेसुझावों में से एक हरवंश सिंह को प्रदेश चुनाव समिति के अध्यक्ष बनाने का भी है इसलिये जिले के राजनैतिक हल्कों में बन रहे इस नये राजनैतिक समीकरण का विश्लेषण भी किया जा रहा हैं। इंकाई राजनीति को जानने वालों का दावा है कि महेश जोशी की हरवंश सिंह के बीच  सालों से तना तनी चल रही हैं। ऐसे में उनके नेतृत्व में चलाये जा रहे अभियान में प्रदेश चुनाव समिति के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद के लिये उनका नाम कैसे शामिल हो गया। जानकार सूत्रों का दावा हैं कि विधायकों के माफीनामे के कांड़ के बाद दिग्गी खेमा हरवंशसिंह से खासा नाराज हैं। इसका खुलासा भी बीते दिनों जिले के कई इंका नेताओं ने देखा भी हैं। इसको भांपते हुये हरवंश सिंह ने एक सोची समझी रणनीति के तहत कमलनाथ और दिग्गी खेमे से परे हट कर सिधिंया खेमे की ओर अपने कदम बढ़ा लिय हैं। परिसीमन समिति में इंका सांसदों में सिधिया और विधायक हरवंश सिंह सदस्य थे। इस दौरान बने संबंधों के चलते ही उन्होंने निकटता बढ़ायी और चार साल तक विपक्ष की सरकार में भी लाल बत्ती का सुख भोगने के बाद अब चुनाव समिति का अध्यक्ष बन कर मिशन 2013 में तुरुप के पत्ते बनने का प्रयास चालू कर दिया हैं। इस र्फामूले की एक विशेषता और यह हैं कि मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार अजय सिंह करे विस उपाध्यक्ष के संवैधानिक पद बिठाने और दूसरंे प्रबल दावेदार भूरिया को केन्द्र में भेजने की जो योजना हैं वह  भी  एक सोची समझी कूटनीतिक चाल कही जा रही  हैं। हरवंश सिंह यह बात भी भली भांति जानते है कि विस उपाध्यक्ष रहते हुये प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में भी वे सिर्फ विस अध्यक्ष ही बन सकते हैं। इस रास्ते से मुख्यमंत्री बनना संभव नहीं हैं। इसीलिये प्रदेश की राजनैतिक शतरंज में यह बिसात बिछायी गयी हैं। इंकाई हल्कों में यह भी चर्चा है कि कमलनाथ और दिग्गी राजा लंबे समय से हरवंश सिंह की राजनैतिक फितरतों को भली भांति जानते हैं जबकि सिंधिंया इससे उतने वाकिफ नहीं हैं। फिलहाल तो आला कमान ने डांट डपट कर असंतुष्टों को खाली हाथ लौटा दिया हैं लेकिन बताया जा रहा हैं कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विस चुनावों के बाद यह मुहिम एक बार फिर नये सिरे से चालू करने की योजना बनायी जा रही हैं। लेकिन राजनैतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि हरवंश-शिवराज सांठ गांठ के आरोपों के चलते यह मुहिम फेल भी हो सकती हैं।
भाजपा में क्या दूसरी पारी खेल पायेंगें सुजीत?-प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के संगठनात्मक चुनावों को लेकर इन दिनों खासी उत्सुकता बनी हुयी हैं। हाल ही में संविधान में हुये संशोधन ाके लेकर जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन खासे उत्साहित हें कि गड़करी की भांति उन्हें भी लगातार दूसरी पारी खेलने को मिल सकती हैं। सिवनी के पूर्व और वर्तमान भाजपा विधायकों नरेश दिवाकर और नीता पटेरिया को अन्य जिलों का चुनाव प्रभारी बनाने को लेकर भी तरह तरह की चर्चायें जारी हैं। संगठनात्मक चुनाव, सहकारिता के चुनाव और अगली विधानसभा टिकिट लो लेकर कुछ भाजपा नेताओं की डिनर डिप्लोमेसी की भी भाजपायी खेमे में खासी चर्चा हें।  जिले में कई गुटों में बंटी भाजपा में प्रदेश नेतृत्व कैसे तालमेल बिठायेगा और किसकी झोली मे क्या आयेगा? इसे लेकर तरह तरह के कयास लगाये जा रहें हैं। वर्तमान जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन के कार्यकाल में हुये एक मात्र लखदौन नगर पंचायत के चुनाव में भाजपा की हुयी करारी हार को उनके विरोधी नेता हथियार बनाने की फिराक में हैं। इसमें वे कहां तक कामयाब होते हैं? इसका खुलासा तो चुनावों के बाद ही हो पायेगा। 
इंका में लखनादौन विस से राजेश्वरी ने किया दावा -कभी कांग्रेस का मजबूत किला रही लखनादौन विस क्षेत्र में मिशन 2013 को लेकर अभी से हलचल चालू हो गयी हैं। पिछला चुनाव गौगपा से लड़कर 30 हजार 8 सौ 57 वोट लेने वाली राजेश्वरी उइके अब कांग्रेस में आकर वर्तमान में लखनादौन जनपद पंचायत की अध्यक्ष हैं। पिछले चुनाव में इंका प्रत्याशी पूर्व विधायक बेनी परते को 41211 तथा चुनाव जीतने वाली भाजपा की शशि ठाकुर को 46209 वोट मिले थे। आजादी के बाद से इस क्षेत्र में कभी ना हारने वाली कांग्रेस को 2003 के चुनाव में शशि ठाकुर ने ही पहली हराया था और भाजपा का परचम फहराया था। हाल ही में यह समाचार सियासी हलकों में चर्चित रहा कि लखनादौन क्षेत्र के 25 हजार आदिवासियों ने हस्ताक्षर करके राजेश्वरी उइके को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाने की गुहार आलाकमान से की हैं। इस पत्र में यह लिखा गया हैं कि राजेश्वनी उइके ही भाजपा से इस क्षेत्र को वापस कांग्रेस को दिला सकतीं हैं। अब इसे क्या कहा जाये कि इंका नेता हरवंश की राजनैतिक चालों एवं उनके समर्थकों द्वारा की गयी हरकतों के चलते ही कांग्रेस का यह किला धूल धूसरित हो गया और हरवंश के समर्थक ही इस किले पर फिर से कांग्रेस का परचम फहराने का दावा कर रहें हैं। इतने पहले चालू हुयी राजनैतिक गतिविधियों को लेकर सियासी हल्कों में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा हैं। उल्लेखनीय हैं कि हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल उर्मिला सिंह के परिसीमन के बाद समाप्त हो गयें घंसौर विस क्षेत्र का काफी बड़ा हिस्सा भी अब लखनादौन क्षेत्र में शामिल हो गया हैं।“मुसाफिर” 

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