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10.1.13

बलात्कार की ये कौन सी सभ्यता ?


बलात्कार एक बड़ा और संवेदनशील मुद्दा है...बलात्कारियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए लेकिन दिल्ली गैंगरेप के 6 आरोपियों ने चलती बस में जिस हैवानियत का खेल खेला उसके बाद से बलात्कार औऱ बलात्कारियों को सजा को लेकर एक बहस छिड़ गई है। इस बहस के बीच में कुछ ऐसे बयान भी सामने आए जिनका इस बहस से कोई लेना देना नहीं था लेकिन ये बयान फिर भी सुर्खियां बटोरते रहे क्योंकि ये बयान उन नेताओं या लोगों के थे जिनकी हमारे समाज में एक पहचान है(भले ही किसी भी कारण से हो)। इस कड़ी में कई नाम शामिल हैं लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बलात्कार की घटनाओं को भारत और इंडिया से जोड़कर एक नई बहस को जन्म दे दिया। मोहन भागवत कहते हैं कि बलात्कार की घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों(भारत) की बजाए शहरी क्षेत्रों(इंडिया) में अधिक होती हैं। भागवत साहब ने ये कह तो दिया लेकिन क्या कभी ऐसा होता है कि अपराधी बलात्कार छोड़िए किसी भी अपराध को करने से पहले ये देखता है कि वो अपराध शहर में कर रहा है या गांव में..! मैंने तो ऐसे कभी न देखा न सुना कि अपराधी अपराध के लिए गांव की बजाए शहर को मुफीद जगह समझता है। अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति घटिया मानसिकता का व्यक्ति अपने घर में भी अपराध करता है..और घर से बाहर भी। घटिया मानसिकता या घटिया सोच जगह की मोहताज नहीं होती...वो आदमी के दिमाग में होती है चाहे वो आदमी गांव में रह रहा हो या फिर शहर में...ऐसे में भागवत साहब का ये बयान तो किसी भी दृष्टि से तर्कसंगत नहीं लगता।
जहां तक बात है कि शहरी क्षेत्रों में (जिसे भागवत साहब इंडिया कहते हैं) संस्कार और परंपरा और उनके मूल्य समाप्ति की ओर अग्रसर हैं...तो हम ये नहीं कह सकते कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले सभी लोग संस्कारों और परंपराओं को त्याग चुके हैं...या उनमें ये नहीं बचे हैं क्योंकि शहरी क्षेत्रों में भी ऐसे लोग ऐसे परिवार मौजूद हैं(सभी शामिल नहीं) जिनमें आपको परंपराएं और संस्कार साफ दिखाई दे जाएंगे। जबकि इसके विपरित आप गांवों में चले जाईए तो हैरानी होगी की गांवों में जहां कहा जाता है कि संस्कार और परंपराएं निभाई जाती हैं उनका मूल्य समझा जाता है वहां पर कई लोगों में कई परिवारों में(सभी शामिल नहीं) आपको ये चीजें नगण्य मिलेंगी यानि मेरा कहने का आशय है कि व्यक्ति के रहने के स्थान से किसी चीज को लेकर हम न तो अनुमान लगा सकते हैं और न किसी तरह का कोई दावा कर सकते हैं। मानने वाले लोग समझने वाले लोग चाहे वो शहर में रह रहे हों या फिर गांवों में परंपराओं और संस्कारों का मूल्य समझते हैं और उनको निभाते भी हैं।
मुझे लगता है कि मोहन भागवत ने बलात्कार के संदर्भ में भारत और इंडिया का जिक्र कर कहीं न कहीं पश्चिमि सभ्यता का...वहां के रहन सहन का...तौर तरीकों पर विरोध प्रकट किया है लेकिन भागवत साहब ने उदाहरण गलत पेश कर दिया इससे न सिर्फ उनका बयान सुर्खियां बना बल्कि उन पर भारत और इंडिया के नाम पर देश को दो हिस्सों नें बांटने तक का आरोप लगा और उनकी जमकर आलोचना हो रही है जो होनी भी चाहिए क्योंकि तर्कसंगत तो उनका बयान कहीं से नहीं लगता।
ये कहना कि महिलाओं के पहनावे और पश्चिमि सभ्यता के कारण बलात्कार की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं...ये मेरी समझ से तो परे है। इसके पीछे पहला उदाहरण तो क्रिमिनिल लॉ जर्नल में प्रकाशित आंकड़ों का ही देना चाहूंगा जो आंकड़ें बताते हैं कि हाई कोर्ट में 80 फीसदी और सुप्रीम कोर्ट में 75 फीसदी रेप केस ग्रामीण इलाकों से दर्ज थे जबकि वहीं गैंग रेप के मामलों में ये फीसदी 75 और 68 है। दूसरा अगर वाकई में ऐसा होता कि महिलाओं के पहनावे और पश्चिमि सभ्यता के कारण बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं तो फिर ग्रामीण इलाकों में तो बलात्कार की एक भी घटना नहीं होनी चाहिए जबकि अनाधिकारिक तौर पर पुलिस थानों तक नहीं पहुंचने वाली बलात्कार के मामलों की तादाद दर्ज मामलों की तादाद में कहीं ज्यादा है। शहरों में तो कम से कम जागरूक महिलाएं शिकायत दर्ज कराने की लड़ने की हिम्मत जुटा लेती हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में ऐसा देखने को नहीं मिलता क्योंकि ऐसा करने पर बलात्कार करने वाले उन्हें डरा धमकाकर रखते हैं और पुलिस का रवैया भी वहां पर पीड़ित के प्रति बहुत सहयोगात्मक नहीं रहता है...ऐसे तमाम उदाहरण समय समय पर उजागर भी होते आए हैं। इसके साथ ही ग्रामीण और शहरी इलाकों में घरों में होने वाले बलात्कार के मामले न तो थाने तक पहुंचते हैं और न ही मीडिया की सुर्खियां बनते हैं क्योंकि बलात्कार करने वाले कई बार पीड़ित का पिता होता है...तो कई बार चाचा-ताऊ या भाई और मामा या फिर कोई और रिश्तेदार। अब इन्हें कौन सभ्यता का माना जाए गांव की...शहर की या फिर विदेशी सभ्यता। कुल मिलाकर अपराधी हर जगह अपराध करता है चाहे वो बलात्कार कर रहा हो या फिर कोई और अपराध...अब जहां घटिया मानसिकता के लोग...विकृत मानसिकता के लोग ज्यादा तादाद में होंगे जाहिर है वहां ये अपराध ज्यादा होंगे फिर चाहे वो शहर हो या फिर गांव...वहां महिलाएं कैसे कपड़े पहनती हैं या फिर वहां किस सभ्यता का बोलबाला है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

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